CG- एक स्कूल ऐसा भी…: स्कूल में एक भी छात्र नहीं, लेकिन पदस्थ हैं तीन-तीन शिक्षक, अफसर आंखें मूंद बैठे हैं..

School News। छत्तीसगढ़ में स्कूल को लेकर बड़ी विडंबना है। कहीं स्कूलों में सरप्लस शिक्षक पदस्थ कर दिये गये हैं, कहीं बच्चों के बावजूद शिक्षकों की तैनाती कर दी गयी है। किसी स्कूल में छात्रों के बावजूद शिक्षक नहीं है, तो कहीं बच्चों के अनुपात में शिक्षकों को टोटा है। शिक्षा विभाग के ही आंकड़े बताते है कि प्रदेश में साढ़े पांच हजार स्कूल ऐसे हैं, जहां केवल एक ही शिक्षक है। 610 स्कूलों में तो शिक्षक ही नहीं हैं। विभाग के मुताबिक राज्य के स्कूलों में 7300 से ज्यादा अतिशेष शिक्षक हैं। 4077 स्कूलों का युक्तियुक्तकरण होने से भी करीब 5000 अतिशेष शिक्षक मिलेंगे। दोनों को मिलाकर 12000 अतिशेष शिक्षक विभाग को मिलते। इन शिक्षकों को 5500 से अधिक एक शिक्षकीय स्कूल और 610 स्कूल जहां एक भी शिक्षक नहीं है, वहां शिक्षकों को पदस्थ करने की विभाग की प्लानिंग है।

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इनसब के बीच जशपुर जिले से एक स्कूल की चौकाने वाली जानकारी आयी है। जशपुर जिले के ग्राम पंचायत दिवानपुर के शासकीय प्राथमिक शाला हलबोहा में अनोखा मामला सामने आया। इस विद्यालय में पहली से पांचवी कक्षा तक इस साल एक भी बच्चे एडमिशन नही लिया है। यहां एक हेडमास्टर समेत तीन शिक्षक पदस्थ है। बच्चे का टोटा बना यह स्कूल में दिनभर शिक्षक बेकार बैठे रहते हैं। स्थानीय ग्रामीणों की तरफ से ही अप स्कूल को मर्ज करने की मांग उठने लगी है। ग्राम पंचायत दीवानपुर के हलबोला बस्ती में 10 से 15 घर है। इस विधालय में तीन टीचर पदस्थ है जिनमें एक शिक्षक प्रधान पाठक राजेश कुमार दिवाकर,और दो सहायक शिक्षिका तिलोतमा सिदार एवं अनुपमा पैंकरा शामिल है।

शासन स्कूल में शिक्षकों की सैलरी और व्यवस्था के नाम पर हर महीने लाखों रुपये खर्च करती है, लेकिन यहां न तो बच्चे है और न ही बच्चो की दर्ज संख्या बढाने में यहां पदस्थ शिक्षक रुचि दिखा रहे है। जिले के अधिकांश स्कूलों का यही हाल हैं इसके कारण सरकारी स्कूल के बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं लेकिन दीवानपुर के हलबोहा प्राथमिक शाला के मामले में यह बात बिल्कुल अलग साबित हो रही हैं, क्योंकि यहां शिक्षकों की इच्छा शक्ति कमजोर हैं, उनके पास बच्चों के लिए पर्याप्त समय है जिससे यहां बच्चे का टोटा बना हुआ हैं। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि प्रधान पाठक ने जीरो दर्ज संख्या का आवेदन दिया गया है। इस पर प्रधान पाठक को दो बार नोटिस जारी किया गया है। साथ ही अगस्त माह का वेतन भी रोक दिया गया है और शासन के युक्तियुक्तकरण नियम के तहत एक किमी में पदस्थ टूकुपखना विद्यालय में हलबोहा विद्यालय को मर्ज किया जाएगा।

लेकिन बड़ा सवाल उठना लाजिमी है है कि इतने दिनों से विभाग की तरफ से पहल क्यों नहीं की गयी। बिना बच्चों वाले स्कूलो में शिक्षकों को रखा ही क्यों गया। बिना बच्चों वाले स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थाना का आखिर औचित्य क्या है। अफसरों को जानकारी नहीं है, तो ये शर्मनाक बात है ही, अगर अफसरों की इसकी जानकारी नहीं है, तो वो उससे भी ज्यादा शर्मनाक बात है।

NW News