रेप पीड़िता के गर्भपात की हाईकोर्ट ने नहीं दी इजाजत, कोर्ट ने गठित की थी 9 सदस्यीय डाक्टरों की टीम, कोर्ट ने कहा…

बिलासपुर 29 अगस्त 2024। दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात कराने की अनुमति देने वाली याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। दरअसल परिजनों ने गर्भपात के लिए याचिका दायर की थी, जिसे लेकर हाईकोर्ट ने डाक्टरों की एक टीम गठित करने का आदेश दिया था। डाक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने गर्भपात की अनुमति नहीं दी। कोर्ट ने माना इस वक्त में गर्भपात का फैसला पीड़िता के लिए जान का खतरा हो सकता है। दरअसल हाईकोर्ट से दुष्कर्म की शिकार नाबालिग के गर्भवती होने पर परिजनों ने गर्भपात कराने की अनुमति मांगी थी। विशेषज्ञों द्वारा गर्भपात करना पीड़िता के लिए खतरनाक होने की डाक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने गर्भपात की इजाजत नहीं दी है।

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मामले में जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की कोर्ट में सुनवाई हुई। उन्होंने पीड़िता का विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम गठित कर जांच रिपोर्ट देने कहा था। 9 सदस्यों की टीम ने जांच पाया, कि 20 सप्ताह का गर्भ समाप्त किया जा सकता है, इसके अलावा विशेष परिस्थिति में 24 सप्ताह  का गर्भ पीड़िता के जीवन रक्षा के लिए हो सकता है। मामले में पीड़िता 24 सप्ताह  से अधिक से गर्भवती है। ऐसे में गर्भ समाप्त करना उसके स्वास्थ्य के लिए घातक है, और पीड़िता का सुरक्षित प्रसव कराया जाना उचित है।

भ्रूण स्वस्थ्य होने के साथ उसमें किसी प्रकार के जन्मजात विसंगति नहीं है। मेडिकल रिपोर्ट में याचिकाकर्ता की गर्भावस्था की उम्र लगभग 32 सप्ताह है, और डॉक्टरों ने राय दी कि पीड़िता का सहज प्रसव की तुलना में गर्भ समाप्त करना अधिक जोखिम होगा, और गर्भावस्था को समाप्त करने से इनकार कर दिया गया। विशेषज्ञों के अभिमत के साथ ही हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी, और कहा कि, जांच रिपोर्ट में इस गर्भकालीन आयु में गर्भावस्था को समाप्त करने से सहज प्रसव की तुलना में अधिक जोखिम हो सकता है। गर्भावस्था जारी रखें, भ्रूणहत्या न तो नैतिक होगी और न ही कानूनी रूप से स्वीकार्य होगी।

कोर्ट ने गर्भावस्था का चिकित्सकीय समापन करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा, कि दुष्कर्म की शिकार नाबालिग पीड़िता को बच्चे को जन्म देना है, राज्य सरकार को सभी आवश्यक व्यवस्थाएं करने और सब खर्च वहन करने का निर्देश दिया गया है। यदि नाबालिग और उसके माता-पिता की इच्छा हो तो प्रसव के बाद बच्चा गोद लिया जाए। राज्य सरकार कानून के लागू प्रावधानों के अनुसार आवश्यक कदम उठाएगी।

NW News