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एग्जिट पोल में NDA को एक बार फिर बढ़त, छत्तीसगढ़ की 11 सीटों में कोरबा सहित इन सीटों ने BJP का बढ़ा रखा है टेंशन !

रायपुर 1 जून 2024। देश में सातवें चरण के मतदान के साथ ही एग्जिट पोल आना शुरू हो गये है। एग्जिट पोल के रूझान से एक बार फिर बीजेपी के चेहरे खिल गये है। बात करे छत्तीसगढ़ की तो प्रदेश की 11 लोकसभा सीटोें में बीजेपी सभी सीटों पर जीत का दंभ भर रही है। लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट की माने तो सूबे की इन 11 सीटों में कोरबा और कांकेर की सीट फंसती हुई नजर आ रही है, जिसने बीजेपी की भी चिंता बढ़ा रखी है। लोकसभा चुनाव के परिणाम भले ही 4 जून को आयेगी, लेकिन साल 2024 के इस चुनाव में पूर्व CM भूपेश बघेल सहित राष्ट्रीय नेत्री सरोज पांडेय और नेता प्रतिपक्ष डाॅ.चरणदास महंत जैसे बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।

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देशभर की 543 लोकसभा सीटों पर आज सातवें चरण के मतदान के साथ ही चुनाव संपन्न हो गये है। आगामी 4 जून को काउंटिग के बाद देश में किसकी सरकार बन रही है, इसका फैसला होगा। लेकिन मतगणना से पहले देर शाम से आ रहे एग्जिट पोल ने राजनेताओं की धुक-धुकी बढ़ा दी है। बात करे छत्तीसगढ़ की तो पांच महीने पहले ही प्रदेश की सत्ता में कमबैक करने के बाद बीजेपी अपनी जीत को लेकर काफी उत्साहित है। सूबे की विष्णुदेव सरकार प्रदेश की सभी 11 सीटों पर जीत का दंभ भर रही है। वहीं कांग्रेस के नेता पिछली बार की अपेक्षा इस बार ज्यादा सीट जीतकर आने की दलील दे रहे है। छत्तीसगढ़ की 11 सीटों पर गौर करे तो राजनांदगांव लोकसभा के बाद दूसरे नंबर पर कोरबा लोकसभा की सीट हाई प्रोफाइल सीटों में शामिल है।

राजनांदगांव सीट से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ ही कोरबा लोकसभा सीट पर बीजेपी की राष्ट्रीय नेत्री सरोज पांडेय और नेता प्रतिपक्ष डाॅ.चरणदास महंत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। साल 2009 में अस्तित्व में आये कोरबा लोकसभा सीट पर कभी भी किसी एक पार्टी का कब्जा नही रहा है। बात करे कोरबा लोकसभा सीट की तो साल 2009 में इस सीट से डाॅ.चरणदास महंत पहली बार सांसद बने, इसके बाद साल 2014 में डाॅ.बंशीलाल महतो ने डाॅ.चरणदास महंत को चुनाव हराकर अपनी जीत सुनिश्चित की थी। साल 2019 में एक बार फिर कांग्रेस पार्टी से ज्योत्सना महंत ने बीजेपी के ज्योतिनंद दुबे को हराकर इस सीट पर कांग्रेस को कब्जा दिलाया था। साल 2024 में कांग्रेस ने जहां एक बार फिर ज्योत्सना महंत पर अपना विश्वास जताते हुए उन्हे टिकट दिया।

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वहीं बीजेपी इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए स्थानीय नेताओं को दरकिनार कर दुर्ग से सांसद रही सरोज पांडेय को कोरबा से चुनावी मैदान में उतारा। सियासी पंडितो की माने तो राष्ट्रीय नेत्री सरोज पांडेय को कोरबा से टिकट मिलने के बाद से ही कोरबा सीट से टिकट के दावेदार कुछ बड़े नेताओं के बीच नाराजगी व्याप्त थी। लेकिन सरोज पांडेय ने इस सीट पर उन नाराज नेताओं को ज्यादा वेटेज न देते हुए दुर्ग-भिलाई की टीम के साथ कोरबा लोकसभा सीट पर रणनीति के तहत चुनाव लड़ना शुरू किया गया। उधर नेता प्रतिपक्ष डाॅ.चरणदास महंत ने अपनी पत्नी ज्योत्सना महंत के चुनावी रथ की कमान संभाल रखे थे। राजनीतिक जानकार बताते है कि विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद डाॅ.महंत ने सबसे पहले कांग्रेस के गढ़ वाले मजबूत क्षेत्रों में व्याप्त नाराजगी को मिटाने के साथ ही डैमेज कंट्रोल करना शुरू किया गया।

जिसमें उनके काफी हद तक कामयाब होने की बात भी सामने आती है। ऐसे में सबसे ज्यादा बढ़त देने वाली पाली-तानाखार विधानसभा में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपनी सबसे ज्यादा ताकत झोंकने के साथ ही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को साधने की काफी कोशिशे की। बावजूद इसके सियासी जानकार बताते है कि इस क्षेत्र से एक बार फिर कांग्रेस को बढ़त मिलनी तय है। रामपुर विधानसभा के साथ ही कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में कंवर और राठिया वोटर कांग्रेस के साथ एक बार फिर जा सकते है। वहीं भरतपुर-सोनहत, मनेंद्रगढ़ और बैकुंठपुर में बीजेपी को बढ़त मिलने का दावा किया जा रहा है। कुल मिलाकर देखा जाये तो कोरबा लोकसभा सीट में एक बार फिर पाली तानाखार और रामपुर विधानसभा निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में है। इन दोनों विधानसभा से जिस किसी भी प्रत्याशी को बढ़त मिलती है, उसके सिर पर जीत का ताज सजना तय माना जा रहा है।

बात करे बस्तर क्षेत्र की तो यहां से कट्टर हिंदुत्व का चेहरा रहे महेश कश्यप का सीधा मुकाबला पूर्व मंत्री रहे कवासी लखमा से है। बस्तर के सियासी जानकार बताते है कि यहां मोदी वर्सेज दादी की लड़ाई है। कवासी लखमा को क्षेत्रीय लोग दादी के नाम से पुकारते है। नक्सल समस्या के साथ ही धर्मांतरण यहां बड़ा मुद्दा है, जिसे लेकर कांग्रेस और बीजेपी हमेशा एक दूसरे को घेरते आये है। इसी तरह कांकेर लोकसभा सीट पर बीजेपी के भोजराम नाग का कांग्रेस के विरेश ठाकुर से सीधा मुकाबला है। पिछले चुनाव में विरेश ठाकुर को काफी छोटी मार्जिन से हार का सामना करना पड़ा था। सियासी जानकार बताते है कि चुनाव हारने के बाद भी पूरे 5 सालों तक बिरेश ठाकुर क्षेत्र में सक्रिय रहे, जिसका उनको इस चुनाव में फायदा मिल सकता है। कुल मिलाकर देखा जाये तो छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में कोरबा और कांकेर की सीट फंसती हुई नजर आ रही है। अब ये देखने वाली बात होगी कि 11 सीटों में बीजेपी सभी 11 सीटों पर जीत दर्ज कर नया रिकार्ड बनाती है या फिर कांग्रेस अपने सीटों का आकड़ा बढ़ाने में कामयाब होती है, ये तो 4 जून को ही स्पष्ट हो पायेगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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