CG- …और शिक्षक बन गया जानलेवा डाक्टर: पत्नी के मेडिकल स्टोर में डाक्टर बनकर बैठता था शिक्षक, छात्रा का किया ऐसा इलाज, हो गयी मौत, डाक्टरों ने ली दो छात्रों की जान

गौरेला पेण्ड्रा मरवाही 25 जुलाई 2024। झोलाछाप डाक्टरों ने सप्ताह दिन में दो बच्चों की जान ले ली। अब प्रशासन की तरफ से कार्रवाई की बात कही जा रही है। पहला मामला मरवाही क्षेत्र का है जिसमे एक 14 साल की स्कूली छात्रा के इलाज का ठेका 1300 रुपये में में किया और जब हालात बिगड़ी तो शासकीय अस्पताल भेज दिया जहा पर उसकी मौत हो गई।।तो दूसरे मामला गौरेला के शासकीय छात्रावास में रहने वाले 12 साल छात्र की जान उसके गाव के झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज में चली गई। जानकारी के मुताबिक जीपीएम जिले में छोलाछाप डाक्टरों का जाल बिछा हुआ है। पिछले कुछ महीनों में फर्जी डाक्टरों की संख्या और बढ़ी है।

14 साल की छात्रा की मौत

मरवाही विकास खण्ड के चिचगोहना के बरझोरखी की रहने वाली 14 साल की छात्रा उमा उरैती से जुड़ा हुआ है। जानकारी के मुताबिक निमधा गांव में रहने वाला प्रदीप जायसवाल जो कि पेशे से शासकीय शिक्षक है। निमधा के बस स्टैंड में उसकी पत्नी की वर्षा मेडिकल स्टोर भी है। शिक्षक ही डाक्टर बनकर अस्पताल में इलाज किया करता था। तीन दिन पहले शासकीय शिक्षक के पास एक छात्रा के परिजन इलाज कराने ले गये। शिक्षक प्रदीप जायसवाल ने बताया कि उसके पास सभी बीमारी का इलाज है, वो 1300 रुपये में बच्ची को पूरी तरह से ठीक कर देगा। शिक्षक ने कुछ दवाईयां देकर बच्ची को घर भेज दिया और पर देर रात बच्ची की तबियत सुधरने के बजाए बिगड़ने लगी तो जिसके बाद परिजन बच्ची को लेकर सीधे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मरवाही लेकर आए जहा पर कुछ देर इलाज के बाद बच्ची की मौत हो गई। आरोप है कि झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज के चलते बच्ची की मौत हुई है। पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है तो झोलाछाप डॉक्टर की पत्नी के नाम से संचालित वर्षा मेडिकल स्टोर को सील कर दिया है।

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आदिवासी छात्र की मौत

वहीं एक अन्य मामले में गौरेला के टिकरकला आदिवासी प्री मेट्रिक छात्रावास का है। जहां छात्रावास प्रबंधन की लापरवाही से छात्र की मौत हो गयी। कोटमीखुर्द के रहने वाले महिपाल कंवर अपने बेटे आयुष कंवर  आदिवासी छात्रावास में रहकर पढ़ाई करता था। 2 जुलाई को उसे छात्रावास में छोड़ आए। पर अचानक 12 जुलाई को हॉस्टल से बच्चे के परिजनों को फोन आया कि आपका बेटा आयुष की तबियत ठीक नही है।  परिजन बच्चे को लेकर गांव कोटमीखुर्द आ गये और  गांव के मुड़ाटिकरा में रहने वाले चन्द्रभान पैकरा नाम के झोलाछाप डाक्टर से इलाज कराने लगे। झोलाछाप डॉक्टर चन्द्रभान ने बच्चे के हाथ में इंजेक्शन लगाया जिसके बाद बच्चे की तबियत बिगड़ने लगी। झोलाछाप डॉक्टर ने घबराकर बच्चे को बस्ती गाव स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया।  जहा मौजूद डॉक्टरों ने आयुष को मृत घोषित कर दिया।

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