ईडी का बड़ा खुलासा: PDS घोटाले के आरोपी अफसर HC जज के संपर्क में थे, सुप्रीम कोर्ट में ED का दावा, Whatsapp से हुआ बड़ा खुलासा

नयी दिल्ली 5 अगस्त 2024। छत्तीसगढ़ के चर्चित नान घोटाले में ईडी ने बड़ा खुलासा किया है। ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने हलफनामे में कहा है कि छत्तीसगढ़ में करीब एक हजार करोड़ रुपये के कथित पीडीएस घोटाला मामले में शामिल अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जज से संपर्क किया था। सुप्रीम कोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया है कि तत्कालीन कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के दो नौकरशाह अपने खिलाफ चल रहे मामले को कमजोर करने के लिए सबूतों से छेड़छाड़ कर रहे थे। अक्टूबर 2019 में दो आरोपी वरिष्ठ अधिकारी अनिल कुमार टुटेजा और आलोक शुक्ला को जमानत देने वाले हाईकोर्ट के जज इनके संपर्क में थे. ईडी ने दावा किया है कि तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा दोनों आरोपी और न्यायाधीश के संपर्क में थे. हालांकि ईडी के 1 अगस्त के हलफनामे में संबंधित न्यायाधीश का नाम नहीं है, लेकिन व्हाट्सएप चैट डिटेल वाली कॉपी से पता चलता है कि वह न्यायमूर्ति वही थे…जिनका कुछ दिन पहले तबादला हुआ है।

हालांकि, ईडी के 1 अगस्त के हलफनामे में संबंधित जज का नाम नहीं है. लेकिन व्हाट्सएप चैट डिटेल्स से पता चलता है कि वह छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक जस्टिस थे. ईडी ने कहा कि उनसे उनके भाई और राज्य के बड़े अफसर के जरिए संपर्क किया गया था। ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को आगे बताया है कि छत्तीसगढ़ के नागरिक जन आपूर्ति निगम (पीडीएस) घोटाले में आरोपी दो वरिष्ठ नौकरशाह अनिल कुमार टुटेजा और आलोक शुक्ला अक्टूबर 2019 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जज के संपर्क में थे।

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उसी जज की अदालत से 16 अक्तूबर 2019 को आलोक शुक्ला को जमानत पर रिहाई का आदेश जारी हुआ था. ईडी ने दावा किया है कि तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा दोनों दागियों और न्यायाधीश के बीच संपर्क बनाए हुए थे. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक जस्टिस को इस साल पटना हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था। ईडी ने कहा है कि मुकदमे को पटरी से उतारने की कोशिश किए जाने की जांच शुरू करने के लिए हमारे पास पर्याप्त सबूत हैं. टुटेजा तत्कालीन एडवोकेट जनरल सतीश चंद्र वर्मा के माध्यम से न्यायाधीश के संपर्क में थे, जैसा कि 31 जुलाई और 11 अगस्त 2019 के व्हाट्सएप संदेशों से स्पष्ट है।

इसमें कहा गया है, “व्हाट्सएप संदेशों से पता चला है कि न्यायाधीश की बेटी और दामाद का बायोडाटा तत्कालीन एजी द्वारा अनुकूल कार्रवाई के लिए टुटेजा को भेजा गया था, जो न्यायाधीश और दोनों मुख्य आरोपी टुटेजा और शुक्ला के बीच समन्वय का काम कर रहे थे.” ईडी ने कहा, “टुटेजा और शुक्ला आरोपी शुक्ला की अग्रिम जमानत के मामले को लेकर जज के भाई के संपर्क में थे, जो जज की बेंच के समक्ष लंबित था. जैसे ही 16 अक्टूबर 2019 को दोनों आरोपियों को जमानत दी गई, जज के भाई को मुख्य सचिव के पद से हटा दिया गया और 1 नवंबर 2019 को योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया।

इसमें कहा गया है कि दोनों आरोपी सह-आरोपी शिव शंकर भट्ट के मसौदा बयान को साझा कर संशोधित करने में शामिल थे, ताकि अनुसूचित अपराध में अन्य प्रमुख आरोपियों की भूमिका कमजोर साबित की जा सके. ईडी ने कहा कि टुटेजा और शुक्ला के तत्कालीन महाधिवक्ता के साथ 4 अक्टूबर से 16 अक्टूबर 2019 के व्हाट्सएप चैट के विश्लेषण से हाईकोर्ट के जस्टिस के भाई और तत्कालीन एडीजी आर्थिक अपराध शाखा-भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो रायपुर की भूमिका का पता चलता है. इस समय वही अनुसूचित अपराध का बचाव करने के प्रभारी थे. दोनों आरोपियों को भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी करने के लिए उनके खिलाफ दर्ज मामले को कमजोर करने में इन्होंने ही अहम भूमिका निभाई।

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