60 छात्रों पर एक प्रधान पाठक व एक शिक्षक का सेटअप अव्यवहारिक, राज्य स्तरीय शिक्षक संघ ने जताया विरोध, अनिल टोप्पो बोले, ये नियम नहीं बदला, मुख्यमंत्री से दर्ज करायेंगे शिकायत

रायपुर 10 अगस्त 2024।  शिक्षा विभाग के युक्तियुक्तकरण को लेकर बनाये गये नियमों के विरोध में अब अब शिक्षक संगठन उतर आये हैं। राज्य स्तरीय शिक्षक संघ ने भी इसका विरोध किया है। संघ ने प्राथमिक शालाओं में 60 दर्ज संख्या पर एक प्रधान पाठक और एक सहायक शिक्षक के मापदंड का तीखा विरोध किया है। छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार टोप्पो ने कहा है कि ये निर्णय छात्रहित, शिक्षा गुणवत्ता व शिक्षक के दृष्टिकोण से बिल्कुल भी उचित नहीं है। क्योंकि कक्षा 1 से 5 वीं तक कुल 18 विषय होते हैं। कक्षा और विषय को देखें तो प्रतिदिन के काल-खण्ड के आधार पर 1 प्रधानपाठक व 1 शिक्षक के भरोसे 18 कालखंड/ विषय की पढ़ाई हो ही नहीं सकती। प्रति दिन कुछ विषय छूटते हैं।

वहीं प्राथमिक शाला के शिक्षकों द्वारा विभागीय निर्देश अनुसार कई गैर-शैक्षणिक कार्य का निर्वहन किया जाता है। चूंकि प्राथमिक शाला शिक्षा की नींव होती है। वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी युक्तियुक्तकरण की दिशानिर्देश में जो छात्र/शिक्षक अनुपात निर्धारित किया गया है, वह सिर्फ और सिर्फ वित्तीय भार को कम करने का आधार प्रतीत होता है। जिसका छात्रहित और शिक्षा गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है। साथ ही इससे प्रभावित होने वाले हजारों शिक्षकों को भी कई परेशानियां होंगी। छत्तीसगढ़ की सरकार एक संवेदनशील सरकार के रूप में मानी जाती है।

उन्होंने कहा है कि आम जनमानस सहित कर्मचारियों को इनसे काफी उम्मीदें हैं और ऐसे में सरकार के अधिकारियों द्वारा इस प्रकार का अव्यवहारिक दिशानिर्देश जारी किया जाना छात्रहित में नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार टोप्पो, उपाध्यक्ष ईश्वर प्रसाद बिषी व महासचिव के.के.साहू ने संयुक्त रूप से कहा हम इस अव्यावहारिक दिशा- निर्देश का विरोध करते हैं। इस निर्देश को लेकर हम उच्च विभागीय अधिकारियों तक आपत्ति दर्ज कराएंगे। समाधान नहीं किए जाने पर इस निर्देश के कारण आने वाली समस्याओं और विसंगतियों को लेकर हम  मुख्यमंत्री के समक्ष भी अपनी शिकायत दर्ज कराएंगे।

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छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से कहा कि हम मांग करते हैं कि यदि युक्तियुक्तकरण करना ही है तो सबसे पहली प्राथमिकता शिक्षा गुणवत्ता और छात्रहित को ध्यान में रखते हुए किया जाए। जिसमें प्राथमिक विद्यालय में कक्षा अनुरूप विषय के अनुपात में कम से कम 3 से 5 शिक्षक की व्यवस्था हो। इसी तरह माध्यमिक और हायर सेकेंडरी स्तर पर भी कक्षा-विषय-संख्या के आधार पर शिक्षक की पदस्थापना की जाए। पहले से पर्याप्त शिक्षकीय विद्यालयों में अतिरिक्त शिक्षक की नियुक्ति देकर सीनियर शिक्षकों को परिवीक्षा अवधि का हवाला देकर अतिशेष न निकाला जाए। जिस विद्यालय में अतिशेष शिक्षक हैं वहां से यदि कोई अन्य शिक्षक स्वेच्छा से अतिशेष न होने के बावजूद दूसरे विद्यालय में पदस्थापना चाहते हों तो उन्हें भी प्राथमिकता दी जाए। संघ के पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से कहा कि युक्तियुक्तकरण जरूर होनी चाहिए लेकिन ऐसा न हो जिससे पूरी तरह शिक्षा स्तर प्रभावित हो जाए।

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