हर पांचवां बच्चा मोटापे का शिकार! AIIMS ने बताई चौंकाने वाली सच्चाई

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की एक ताजा रिपोर्ट ने अभिभावकों और नीति-निर्माताओं दोनों को चौंका दिया है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में बचपन में मोटापा (Childhood Obesity) तेजी से बढ़ रहा है और यह सिर्फ एक शारीरिक समस्या नहीं, बल्कि भविष्य में गंभीर बीमारियों का कारण बनने वाला साइलेंट टाइम बम बन चुका है।
रिपोर्ट के अहम आंकड़े:
AIIMS द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि:
शहरी क्षेत्रों में हर 5 में से 1 बच्चा अधिक वजन या मोटापे का शिकार है।
पिछले 10 वर्षों में बच्चों में मोटापे की दर में तीन गुना वृद्धि देखी गई है।
8 से 15 वर्ष के आयु वर्ग में फास्ट फूड, स्क्रीन टाइम और फिजिकल एक्टिविटी की कमी मोटापे के मुख्य कारण हैं।
किशोरावस्था में मोटापा डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों का खतरा कई गुना बढ़ा देता है।
विशेषज्ञों की चेतावनी:
AIIMS के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव अग्रवाल ने बताया:
“मोटापा अब सिर्फ एक कॉस्मेटिक समस्या नहीं है। यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, आत्मविश्वास और शारीरिक विकास को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। सबसे खतरनाक बात यह है कि मोटे बच्चे बड़े होकर भी मोटे ही रहते हैं, जिससे उन्हें जीवनभर कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है।”
खानपान और जीवनशैली बनी बड़ी वजह
रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के मोटापे में जंक फूड, शक्करयुक्त ड्रिंक्स, मोबाइल-टीवी पर ज्यादा समय, और खेलकूद की कमी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावा माता-पिता द्वारा अनुशासित दिनचर्या न अपनाना भी इस समस्या को बढ़ा रहा है।
क्या करें अभिभावक?
विशेषज्ञों ने कुछ जरूरी उपाय बताए हैं:
बच्चों को रोज़ाना 1 घंटे की फिजिकल एक्टिविटी के लिए प्रेरित करें।
स्कूलों में स्वस्थ आहार नीति लागू की जाए।
टीवी और मोबाइल का समय सीमित करें।
हेल्दी डाइट जैसे फल, सब्ज़ियाँ और होममेड खाना दें।
बच्चों के वजन और BMI की नियमित जांच कराएं।
सरकार से अपील
AIIMS की रिपोर्ट में सरकार से मांग की गई है कि:
स्कूलों में फिजिकल एजुकेशन को अनिवार्य किया जाए।
बच्चों के लिए जंक फूड पर नियंत्रण और पोषण संबंधी शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए।
अर्बन और रूरल हेल्थ मिशन में चाइल्ड ओबेसिटी को शामिल किया जाए।