…और शिक्षक के सस्पेंशन पर हाईकोर्ट ने लगा दी रोक, नियुक्तिकर्ता ही कर सकता है निलंबित, कलेक्टर के आदेश पर लगी रोक

Highcourt News: बीजापुर जिले में पदस्थ शिक्षक और प्रभारी मंडल संयोजक कैलाश चंद्र रामटेके को कलेक्टर द्वारा निलंबित किए जाने और आरोप पत्र जारी करने के आदेश पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। याचिकाकर्ता ने यह दलील दी थी कि निलंबन करने वाला अधिकारी सक्षम नहीं है। न्यायालय ने इस मामले में उत्तरदाताओं को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

बीजापुर जिला के जनपद माध्यमिक शाला बीजापुर में पदस्थ शिक्षक एवं प्रभारी मंडल संयोजक कैलाश चंद्र रामटेके को कलेक्टर बीजापुर द्वारा 15 सितंबर 2024 को निलंबित किया गया था। साथ ही, उनके विरुद्ध 20 सितंबर को विभागीय जांच हेतु आरोप पत्र भी जारी किया गया था। इस कार्रवाई के विरुद्ध रामटेके ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने निलंबन आदेश और आरोप पत्र पर स्थगन आदेश जारी कर दिया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, कैलाश चंद्र रामटेके शिक्षक (एलबी) के पद पर कार्यरत हैं और उन्हें आश्रम छात्रावास संचालन व्यवस्था हेतु प्रभारी मंडल संयोजक नियुक्त किया गया था। उन पर अधीनस्थ कर्मचारियों से पैसे के लेन-देन से संबंधित ऑडियो वायरल होने के बाद यह कार्रवाई की गई थी।

रामटेके ने हाईकोर्ट अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर के माध्यम से याचिका प्रस्तुत की। याचिकाकर्ता की ओर से यह दलील दी गई कि उनका मूल पद शिक्षक (एलबी) है, जिसकी नियुक्ति और अनुशासनिक नियंत्रण का अधिकार संयुक्त संचालक, स्कूल शिक्षा को है। ऐसे में कलेक्टर बीजापुर द्वारा किया गया निलंबन और सहायक आयुक्त आदिवासी विकास द्वारा जारी आरोप पत्र, दोनों ही विधिक रूप से असंगत और अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं।

कोर्ट में दी गयी ये दलील

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी द्वारा यह आधार लिया गया कि, याचिकाकर्ता का मूल पद शिक्षक एलबी है। छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा भारती तथा पदोन्नति नियम 2019 अनुसूची-1 के तहत शिक्षक एलबी की नियुक्ति नियुक्तिकर्ता अधिकारी संयुक्त संचालक है, तथा नियुक्ति कर्ता अधिकारी ही निलंबित कर सकता है। कलेक्टर बीजापुर सक्षम अधिकारी नहीं है। आरोप पत्र सहायक आयुक्त आदिवासी विकास बीजापुर द्वारा जारी किया गया है, जो कि सक्षम अधिकारी नहीं हैं। क्योंकि याचिकाकर्ता का मूल पद शिक्षक एलबी है। उपरोक्त आधारों पर  न्यायालय ने कलेक्टर बीजापुर द्वारा जारी निलंबन आदेश तथा विभागीय जांच हेतु जारी आरोप पत्र के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए उत्तरवादीगण को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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मांगा गया जवाब

याचिका की सुनवाई माननीय न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की एकलपीठ में हुई, जिसमें प्रस्तुत तथ्यों और तर्कों के आधार पर न्यायालय ने कलेक्टर द्वारा जारी निलंबन आदेश और विभागीय जांच हेतु आरोप पत्र के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। साथ ही उत्तरवादीगण (प्रतिवादी अधिकारियों) को नोटिस जारी कर उनका पक्ष प्रस्तुत करने को कहा गया है।

यह मामला अब न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत है, और आगामी सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि क्या प्रशासनिक प्रक्रिया में नियमों का पालन किया गया था या नहीं। यह मामला छत्तीसगढ़ प्रशासनिक तंत्र में संपर्क अधिकारी के अधिकारों और सीमाओं को लेकर एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है।

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