शिक्षक LB को एक और बड़ा झटका: संविलियन पूर्व का समस्त अवकाश हुआ शून्य, शिक्षा विभाग को पांच वर्ष बाद याद आई संविलियन 2018 की सेवा शर्त कंडिका 4 ,

रायपुर 29 अगस्त 2024। संविलियन के बाद शिक्षकों ने सुकून की जितनी आस लगा रखी थी, संविलियन के बाद शिक्षकों की परेशानी उतनी ही ज्यादा बढ़ गयी है। पहले वरीष्ठता चली गयी…पेंशन में झटका लग गया…और अब छुट्टी भी गायब हो गयी। छुट्टी खत्म होने का मामला नया है, जिसे लेकर सूरजपुर जिला शिक्षा अधिकारी ने आदेश जारी किया, तो जिले के शिक्षकों में हड़कंप मच गया। दरअसल जिला शिक्षा अधिकारी सूरजपुर ने एक आदेश जारी किया है। आदेश के मुताबिक 2018 के पूर्व पंचायत विभाग में बतौर शिक्षाकर्मी, सेवा के जितने भी अवकाश बचे थे, उन तमाम अवकाशों को शून्य घोषित कर दिया है।

छत्तीसगढ़  संयुक्त शिक्षक संघ जिला सूरजपुर के जिलाध्यक्ष सचिन त्रिपाठी ने  बताया कि प्रदेश के समस्त संविलित शिक्षको की सेवा पुस्तिकाएं संविलयन पश्चात भी वही है उन्हें परिवर्तित नहीं किया गया है।  प्रथम नियुक्ति से लेकर 2024 तक के समस्त प्रकार के अवकाशों को एकीकृत कर सेवा पुस्तिका में संधारित किया गया है। प्रदेश के शिक्षक उसी के अनुपात में अपनी आवश्यकता के अनुसार अपने अवकाश का उपभोग करते आये है,अगर अवकाश की गणना 2018 से नए सिरे से की जानी थी तो 2024 तक विभाग कँहा सोया हुवा था अब जबकि शिक्षको ने अपनी सेवा पुस्तिकाओं में इंद्राज एकीकृत अवकाश के अनुसार 2024 तक अपनी छुट्टियां खर्च कर दी तब छुट्टियों के पृथक करण का आदेश जारी करना प्रदेश के शिक्षको के अवकाश पर डाका डालने के समान होगा।

सचिन त्रिपाठी ने बताया कि यदि अवकाश कटौती का यह आदेश 2018 में ही जारी कर दिया जाता तो शिक्षक अपनी छुट्टियां एहतियात के साथ खर्च करते या फिर संविलियन के पूर्व यह बता दिया जाता कि संविलयन पश्चात आपका अवकाश मर्ज नहीं किया जाएगा तो शिक्षक अपने अवकाश को यूं व्यर्थ जाने नही देते, उसका उपभोग कर लेते। परन्तु अब छुट्टियों में कटौती होने से अनेक शिक्षको के पास अर्जित/लघुकृत इत्यादि अवकाश शेष ही नही रहा।

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छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सचिन त्रिपाठी अवकाश कटौती पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि प्रशासन के तरफ से लगातार शिक्षक विरोधी आदेश जारी होने से शिक्षक संवर्ग में नकारात्मक छवि का संचार हो रहा है और शिक्षकों में हताशा भी बढ़ रही है। सरकार को, शासन/प्रशासन और कर्मचारियों के मध्य एक स्वस्थ वातावरण निर्मित करने के लिये स्वयं पहल करने अत्यावश्यक हो गया है अन्यथा शिक्षको के गिरते मनोबल से अपेक्षाकृत परिणाम की आशा बेईमानी होगी।

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