प्रमोशन को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, विभागीय छोटी सजा से सिर्फ एक साल ही रोका जा सकता है प्रमोशन
High Court News: विभागीय छोटी सजा से सिर्फ एक साल ही प्रमोशन बाधित रहेगा। हाईकोर्ट ने एक याचिका के फैसले में ये निर्देश दिया है। इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। कोर्ट का फैसला नजीर बनेगा। दरअसल डी.डी. नगर, रायपुर निवासी- एफ.डी. साहू वर्ष 2012-2013 में जगदलपुर, जिला-बस्तर में पुलिस विभाग में सब इन्सपेक्टर के पद पर पदस्थ थे।
उक्त पदस्थापना के दौरान एक अपराध की विवेचना में लापरवाही के आरोप में पुलिस महानिरीक्षक, जगदलपुर द्वारा उन्हें लघुदण्ड-एक वेतनवृद्धि एक वर्ष के लिये असंचयी प्रभाव से रोकने के दण्ड से दण्डित किया गया, परन्तु एक वर्ष पश्चात् उक्त लघुदण्ड का प्रभाव समाप्त हो जाने के पश्चात् भी एफ.डी. साहू को पुलिस इन्सपेक्टर पद पर प्रमोशन प्रदान ना किये जाने से क्षुब्ध होकर सब इन्सपेक्टर एफ. डी. साहू द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं पी.एस. निकिता के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की गई।
अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं पी.एस. निकिता द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिवकुमार शर्मा विरूद्ध हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड एवं अन्य इसके साथ ही यूनियन ऑफ इण्डिया विरूद्ध एस. सी. पारासर एवं अन्य के वाद में यह न्याय निर्णय दिया गया है कि यदि किसी शासकीय अधिकारी/कर्मचारी को एक वर्ष की वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकने के दण्ड से दण्डित किया जाता है।
ऐसी स्थिति में एक वर्ष पश्चात् दण्ड का प्रभाव समाप्त हो जाने पर उक्त शासकीय अधिकारी/कर्मचारी उच्च पद पर प्रमोशन एवं वेतनवृद्धि का पात्र है परन्तु याचिकाकर्ता के मामले में उसे दिये गये लघुदण्ड का प्रभाव समाप्त हो जाने के पश्चात् भी उसे पुलिस इन्सपेक्टर पद पर प्रमोशन नहीं दिया गया। उक्त मामले की सुनवाई हाईकोर्ट, बिलासपुर के सीनियर जस्टिस संजय के. अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में शिवकुमार शर्मा एवं एस. सी. पारासर के वाद में पारित न्याय निर्णय के आधार पर उक्त रिट याचिका को स्वीकार कर याचिकाकर्ता एफ. डी. साहू को उक्त लघु दण्डादेश का प्रभाव समाप्त हो जाने पर वर्ष 2016 से निरीक्षक (इन्सपेक्टर) के पद पर प्रमोशन, सीनियरटी एवं अन्य आर्थिक लाभ प्रदान करने का आदेश किया गया। उक्त न्यायनिर्णय को हाईकोर्ट, बिलासपुर द्वारा हाईकोर्ट की नजीर (AFR) घोषित किया गया।