शिक्षा विभाग में प्रमोशन घोटाला: 19 कर्मचारियों की पदोन्नति हुई कैंसिल, तो 6 महीने तक आदेश ही दबा दी, अब हुआ खुलासा, तो मचा हड़कंप

Teacher Promotion:  शिक्षा विभाग में भी अजब गजब कारनामें होते हैं। अंधेरगर्दी का आलम ये है कि दर्जनों अपात्र कर्मचारियों का प्रमोशन कर दिया जाता है, फिर पदोन्नति रद्द हो जाती है… आदेश तक जारी हो जाता है, लेकिन डिमोशन की पूरी की पूरी फाइल ही दबा दी जाती है। कमाल की बात ये भी है कि अपात्र होने के बावजूद कर्मचारी पदोन्नति के पद और पैसे दोनों का लाभ 6 महीने तक लेते रहे और अफसरों को कानों कान खबर तक नहीं हुई। अब इसे अनदेखी मान लीजिये, रसूखदारों का प्रभाव जान लीजिये या फिर लेनदेन का असर समझ लीजिये, लेकिन सौ टके का सवाल तो यही है कि,  बिना अफसरों की सहभागिता से एक नहीं,  दो नहीं,  पूरे के पूरे 19 कर्मचारी 6 महीने तक डिमोट होने के बावजूद काम कैसे करते रह गये।

19 कर्मचारियों के डिमोशन की फाइल दबा दी गयी

मामला जगदलपुर (बस्तर) का है, दरअसल नियमानुसान प्रमोशन नहीं होने पर 19 कर्मचारियों को विभाग ने पदावनत (डिमोशन) करने का आदेश दिया था। लेकिन अफसरों ने डिमोशन के आदेश को ही दबा दिया, वो भी एक दो महीने नहीं पूरे 6 महीने तक। कमाल की बात ये है कि इस दौरान पदोन्नत कर्मचारी अपने अपने स्कूलों में काम करते भी रहे और बढ़ी हुई सैलरी भी लेते रहे। हैरानी की बात ये है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से ये आदेश जारी हुआ और फिर डीईओ कार्यालय में ही महीनों तक दबा रह गया। अब जब ये मामला खुला है, तो अफसरों के हाथ पांव फूले हैं। मौजूदा डीईओ पूर्व के अधिकारियों पर पूरा पल्ला झाड़ रहे हैं।

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जानिये क्या है पूरा मामला

मामला जगदलपुर का है, पूरे प्रकरण को समझने के लिए आपको 6 साल पीछे जाना होगा। दरअसल हुआ ये था कि 20 अप्रैल 2018 को नियमित कर्मचारियों के साथ-साथ कार्यभारित व आकस्मिकता निधि अंतर्गत काम करने वाले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पदोन्नति हुई थी। प्रमोशन पर सवाल उठे, तो मामले की जांच शुरू हुई। जांच के दौरान पाया गया कि प्रमोशन में गड़बड़ियां हुई है, जिसकी वजह से चतुर्थ श्रेणी के 19 कर्मचारियों को पदावनत कर दिया गया।  ये आदेश 16 जून 2023 को जारी किया गया था। जिसके बाद मामले को लेकर पदोन्नत हुए सहायक ग्रेड 3 ने जांच की मांग कर दी। विभाग की तरफ से प्रमोशन मामले को लेकर एक कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने भी जांच के दौरान माना कि प्रमोशन में गड़बड़ियां हुई है, लिहाजा पदोन्नति कैंसिल करने का फैसला सही ठहराया गया। कमेटी की सिफारिश पर तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से पदावनत हुए 19 कर्मचारियों के लिए आदेश जारी किया गया, जिसमें डिमोशन के बाद तत्काल उन्हें नयी शाला में पदस्थ करने का आदेश दिया गया। लेकिन आदेश की वो फाइल ही दबा दी गयी। अब इस मामले का खुलासा हुआ, तो विभाग में हड़कंप मचा है।

क्या बोले जिला शिक्षा अधिकारी

इस मामले में जब nwnews24.com ने जिला शिक्षा अधिकारी बलीराम  बघेल से बात की। डीईओ ने पूरे मामले का ठिकरा पूर्व की जिला शिक्षा अधिकारी पर फोड़ दिया। डीईओ ने बताया कि ..

मैं तो अभी अभी आया हूं, मैंने ही तो आदेश जारी कराया, अब उन्होंने क्यों नहीं जारी कराया, ये तो आप उन्ही से पूछ लीजिये, लेकिन मैंने इस आदेश को क्रियान्वित किया है। सभी पदावनत कर्मचारियों को मैंने पोस्ट के जरिये भी आदेश भेज दिया है, मैंने निर्देश दिया है कि आदेश का तुरंत पालन किया जाये।

हालांकि इस मामले में जब nwnews रिपोर्टर ने ये सवाल पूछा कि, आखिर सवा साल तक आदेश दबा कैसे रह गया, इसकी कोई जांच होगी? क्या नियम विरुद्ध प्रमोशन पाये कर्मचारियों से रिकवरी होगी? जवाब में डीईओ ने कहा…

मैं तो अभी इसको जारी किया हूं, सभी को बोला हूं वो आदेश का पालन करें, अभी इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं बोलूंगा

मामले में अफसर व बाबूओं की भूमिका भी संदेह में

अंदरखाने की खबर यही है कि इस मामले में अफसर से लेकर बाबूओं तक की भूमिका संदेह के दायरे में है। अगर अधिकारियों ने आंखें नहीं मूंदी होती, तो इतनी बड़ी कार्रवाई फाइलों में दबकर नहीं रह जाती। पूर्व की डीईओ तो सवालों में है ही, कुछ बाबूओं ने भी इसमें खेला किया है। हालांकि इस मामले में अब जांच भी जल्द शुरू होगी और सच्चाई भी सामने आयेगी। कुछ और कर्मचारियों पर भी मामले में गाज गिर सकती है।

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