ब्रेकिंग: nwnews24.com की खबर पर मचा हड़कंप, रविवार की छुट्टी के दिन खुला वन विभाग, बाइसन की मौत के गुनाहगार डॉ राकेश वर्मा की छुट्टी, तुरंत प्रभाव से गाड़ी-फाइल जमा करने का फरमान..

Nw news Impect: nwnews24.com में छपी खबर का बड़ा एक्शन हुआ है। बाईसन की मौत मामले में वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारी राकेश वर्मा की छुट्टी हो गयी है। उन्हें निर्देशित किया गया है कि वो तत्काल प्रभाव अपने प्रभार में रखी गाड़ियां, दस्तावेज व अन्य सामिग्री को जंगल सफारी के डायरेक्टर के सुपूर्द करें। जांच में डॉ वर्मा को ही बाइसन की मौत का गुनाहगार माना गया है। nwnews24.com के पास वो जांच रिपोर्ट भी है, जिसमें पाया गया कि एक्सपायरी दवा होने की जानकारी किस तरह से डॉ वर्मा से छुपायी, जिसकी वजह से फीमेल बाइसन की बेहोशी की हालत में ही मौत हो गयी।

दरअसल आज ही nwnews24.com ने खबर पोस्ट की थी…

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इस खबर के पोस्ट होते ही वन विभाग में हड़कंप मच गया। रविवार की छुट्टी के बावजूद वन विभाग के दफ्तर खोले गये। मामले में सीसीएफ वाइल्ड लाइफ सतोविषा समाजदार ने एक्शन लेते हुए वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारी राकेश कुमार वर्मा से जवाब तलब किया, तो डॉ राकेश कुमार वर्मा ने इस बात को स्वीकार किया कि बाइसन को एक्सपायरी दवा दी गयी थी।

जांच रिपोर्ट में सीसीएफ ने लिखी गंभीर बातें

सीसीएफ की जांच में डॉ राकेश के गैर जिम्मेदाराना रवैये को बाइसन की मौत की वजह माना गया। लिहाजा उन्हें तत्काल सभी कामों से अलग कर दिया गया है। अपने आदेश में सीसीएफ सतोविषा ने लिखा है कि डॉ राकेश कुमार वर्मा वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारी, जंगल सफारी नया रायपुर को अत्यंत गंभीर लापरवाही एवं वन्यप्राणी चिकित्सा संबंधी प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के कारण वन्यप्राणी संरक्षण की दृष्टि से वन्यप्राणी के उपचार एवं निदान तथा अन्य सभी संबंधित कार्यों से तत्काल प्रभाव से अलग किया जाता है। उन्हें उनके प्रभार में रखे वाहन, सभी अभिलेख, सामिग्री संचालक सह वनमंडलाधिकारी जंगल सफारी अटल नगर को सौंपने को कहा गया है।

क्या है पूरा मामला

दरअसल बारनवापारा अभ्यारण से 40 नग गौर को गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कोरिया ट्रांसलोकेट किया जाना था। इसके लिए 25 जनवरी सुबह लगभग 5 बजे डॉ. राकेश कुमार वर्मा एवं डॉ. अजीत पाण्डेय, वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारी के द्वारा 2 बाइसन को बारनवापारा अभ्यारण्य के मुड़पार में डार्ट कर ट्रॅक्यूलाईज किया गया। उक्त बाइसन में से 1 लगभग 2-3 वर्ष की मादा थी, जिसे ट्रांसलोकेट करने हेतु रेस्क्यू वाहन में सुरक्षित रखा गया, जबकि दूसरा ट्रॅक्यूलाईज गौर नहीं मिल पा रहा था। ट्रैकिंग कर 15-20 मीटर की दूरी पर उसे पकड़ा गया। बाइसन को काफी प्रयास के बाद भी उठा पाना संभव नहीं हो पा रहा था। अत्याधिक विलंब तक ट्रेक्यूलाईज अवस्था में रखा जाना उचित नहीं होने के फलस्वरुप उक्त वन्यप्राणी को रिवाईवल देकर दूर से ही निरीक्षण किया गया एवं होश आते ही जंगल की ओर दौडता हुआ चला गया। कालांतर में निगरानी के दौरान यह गौर स्वस्थ हालत में पाया गया।

nwnews24.com की खबर पर वन विभाग ने लिया संज्ञान

बारनवापारा अभ्यारण्य से गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान ट्रांसलोकेट की गई मादा बाइसन की मृत्यु की खबर ऑनलाईन न्यूज पोर्टल में समाचार प्रकाशित किया गया, जिसमें उक्त गौर की मृत्यु का कारण एक्सपायर्ड दवाई दिया जाना बताया गया है, जिसे मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक, छत्तीसगढ़ द्वारा संज्ञान में लिया जाकर सीसीएफ को अग्रिम कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया है। सीसीएफ ने इस मामले में डॉ. राकेश कुमार वर्मा, वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारी से फोन पर ही जानकारी मांगी। जवाब में में डॉ. वर्मा, वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारी ने Activon (Diprenorpine HCl 12 mg/ml) औषधि (ग्रंच नंबर 123040) दवा के 03/2024 कालातीत हो जाने का तथ्य स्वीकार किया गया।

डा राकेश वर्मा ने बरती गंभीर लापरवाही

डॉ. राकेश कुमार वर्मा, वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारी द्वारा पूर्व में उक्त दवा के एक्सपायर्ड हो जाने की कोई जानकारी विभाग के अधिकारियों को नहीं दी गई थी न ही बाइसन के ट्रांसलोकेशन के समय भी इसकी जानकारी दी गयी। बल्कि, यह बताया गया कि सभी दवाईयां सुरक्षित है। विवेचना डॉ. राकेश कु‌मार वर्मा, वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारी जिन्हें बारनवापारा अभ्यारण्य से गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कोरिया में गौर ट्रांसलोकेट करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया था। उन‌के द्वारा सर्वप्रथम 2 बाइसन को ट्रांसलोकेट करने के उद्देश्य से डार्ट कर ट्रैक्यूलाईज करने की कार्यवाही में अत्याधिक लापरवाही बरती गई, जिसके फलस्वरूप 2 बाइसन के स्थान पर 1 बाइसन ही ट्रांसलोकेट हो पाया।

डॉ राकेश वर्मा को माना गया बाइसन की मौत का जिम्मेदार

सीसीएफ ने अपनी जांच में पाया कि दूसरा ट्रेंक्यूलाईज गौर दवा की अत्याधिक मात्रा दिये जाने के कारण अधिक समय तक निश्चेतन अवस्था में रहा, जिसके फलस्वरुप यह गौर ट्रांसलोकेट नहीं हो पाया। जिसकी संपूर्ण जवाबदेही डॉ. राकेश कुमार वर्मा, वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारी की है जिसमें उनकी लापरवाही स्पष्ट परिलक्षित हो रही है। Activon दवा के एक्सपायर्ड हो जाने तथा उक्त दवा का सेवन ट्रांसलोकेट की गई 1 फीमेल बाइसन को कराये जाने के कारण उक्त वन्यप्राणी की मृत्यु होना संभावित प्रतीत हो रहा है ।

डा वर्मा पर लगे ये गंभीर आरोप

संपूर्ण घटनाक्रम में प्रथम दृष्टया डॉ. राकेश कुमार वर्मा, वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारी की उनके शासकीय दायित्व के प्रति निष्ठा संदेह की परिधि में आती है क्योंकि उनके द्वारा न केवल गौर को ट्रॅक्यूलाईज करने में लापरवाही बरती गई बल्कि Activon दवा के कालातीत हो जाने का तथ्य भी विभागीय अधिकारियों से छिपाया जाकर उन्हें गुमराह किया गया तथा उक्त कालातीत दवा का उपयोग वन्यप्राणी गौर को ट्रॅक्यूलाईज करने में किया गया।

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