दुल्हन बनी एक्ट्रेस उर्वशी रौतेला…लग रही है बेहद खूबसूरत

मुंबई 18 सितंबर 2024  उर्वशी रौतेला ने ग्लोबल फैशन फेस्टिवल 2024 में मणिपुरी पारंपरिक ड्रेस को इंटरनेशनल स्टेज पर पहना. इस आउटफिट को मणिपुरी डिजाइनर रॉबर्ट नोरेम ने डिजाइन किया था जिस पर 24 कैरट सोने के धागे की कढाई की गई थी.

इस पारंपरिक परिधान में मणिपुरी फैशन की झलक देखने को मिली, जो उनकी सांस्कृतिक विरासत को दिखाती है. उर्वशी ने जो पूरा ड्रेसअप पहना था, वह पारंपरिक रूप से मैतेई मणिपुरी दुल्हन द्वारा पहना जाता है. यह पहली बार है, जब किसी बॉलीवुड सेलिब्रिटी ने मणिपुरी दुल्हन की पोशाक पहनकर रैंप पर वॉक किया. तो आइए जानते हैं, उर्वशी के ड्रेसअप में क्या खास था.

मणिपुर की दुल्हनों की पोशाख भारत की पारंपरिक दुल्हनों की ड्रेस से अलग होती है. वहां पर दुल्हन की ड्रेस में बेलनाकार ड्रम के आकार की स्कर्ट होती है जिसे पोटलोई नाम से जानते हैं. इसे मोटे फाइबर और बांस से बनाया जाता है. इसके ऊपर साटन का कपड़ा लगाया जाता है और फिर उसे डेकोरेट किया जाता है.

स्कर्ट को बनाने में कई दिन लग जाते हैं. इस ड्रम जैसी स्कर्ट को एक सुंदर बेल्ट के साथ पहना जाता है. इसके बाद सिर से लेकर नीचे तक ट्रांसपैरेंट दुपट्टा भी कैरी किया जाता है. इसे हॉफ स्लीव्स वाले ब्लाउज के साथ कैरी किया जाता है. साथ में लेयर्ड नेकलेस और कोकगी लीटेंग नाम के बड़े हार के साथ पेयर करते हैं.

मणिपुरी दुल्हनें गहरे हरे रंग का ब्लाउज पहनती हैं और ब्लाउज और स्कर्ट के चारों ओर मलमल का घूंघट लपेटती हैं, जैसा कि मणिपुरी एक्ट्रेस और रणदीप हुड्डा की पत्नी लिन लैशराम ने दुल्हन बनते समय पहना था. लेकिन उर्वशी ने लाल रंग का आउटफुट चुना था.

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उर्वशी की लाल पोटलोई में 24 कैरेट के असली सोने से बने धागों की कढ़ाई की गई थी. दुल्हनें पारंपरिक रूप से हरे रंग का ब्लाउज पहनती हैं और उसके चारों ओर एक सफेद नेट का दुपट्टा पहनती हैं. लेकिन उर्वशी ने लाल रंग का आउटफिट पहना था जिस पर सुनहरे रंग की कढ़ाई की गई थी.

डिजाइनर रॉबर्ट नाओरेम ने उत्तर पूर्वी फैशन का प्रायोरिटी देते हैं. मिस वर्ल्ड खिताब जीतने वाली सुष्मिता सेन, हरनाज कौर संधू और लारा दत्ता के साथ भी वह काम कर चुके हैं और वह भी मणिपुरी ड्रेस पहन चुकी हैं.

कहां से हुई पोटलोई की शुरुआत?

पोटलोई का इतिहास कई पीढ़ियों से चला आ रहा है और यह मैतेई साम्राज्य के प्राचीन काल से चली आ रही है. कहा जाता है कि मैडिंगु भाग्यचंद्र महाराज का शासनकाल 1763-1798 तक था. उन्होंने शास्त्रीय रास-लीला नृत्य के लिए नृत्य पोशाक के रूप में पोटलोई की शुरुआत की थी.

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