CG ब्रेकिंग: कई प्रोफेसर सहित 8 लोगों पर FIR, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में छात्रों को नमाज पढ़ाने का विवाद

बिलासपुर, 26 अप्रैल 2025गुरुघासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर में छात्रों को कथित रूप से दबाव डालकर नमाज पढ़वाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस गंभीर मामले में कोटा थाना पुलिस ने प्रोफेसर और छात्रों समेत 8 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

आरोपियों में प्रो. दिलीप झा, डॉ. मधुलिका सिंह, डॉ. ज्योति वर्मा, डॉ. नीरज कुमारी, डॉ. प्रशांत वैष्णव, डॉ. सूर्यभान सिंह, डॉ. बसंत कुमार और टीम कोर लीडर छात्र आयुष्मान चौधरी के नाम शामिल हैं। सभी पर छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

मामले के तूल पकड़ने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) रजनेश सिंह ने जांच के आदेश दिए थे। शुरुआती जांच के बाद कोटा थाने में अपराध पंजीबद्ध किया गया, जिसे अब जांच के लिए कोनी थाने ट्रांसफर कर दिया गया है।

बिलासपुर में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) और विभिन्न छात्र संगठनों ने इस घटना के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि छात्रों पर धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए दबाव डाला गया, जो संविधान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ है।

इस घटना के सामने आने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन पर भी सवाल उठने लगे हैं। प्रदर्शनकारियों ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की अपील की है।

फिलहाल पुलिस इस संवेदनशील मामले में गहन जांच कर रही है। सभी आरोपियों से पूछताछ की जाएगी और जांच के निष्कर्षों के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और विधि अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।

गुरुघासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी, बिलासपुर में यह मामला तब सामने आया जब विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें नमाज पढ़ने के लिए दबाव डाला गया। छात्रों ने इस पर विरोध जताते हुए दावा किया कि यह एक धार्मिक गतिविधि थी, जो उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है। इसके बाद स्थानीय राजनीतिक दलों और छात्र संगठनों ने इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिससे मामला और गर्मा गया।

विरोध प्रदर्शन के दौरान, यह आरोप भी सामने आया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले पर चुप्पी साधी हुई थी, जिससे छात्रों में असंतोष फैल गया। धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम के तहत इस मामले की गंभीरता को समझते हुए पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की और आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कर जांच शुरू की। इसके बाद इस मामले में न्याय की मांग तेज हो गई, और पुलिस प्रशासन ने मामले की गहनता से जांच का आश्वासन दिया है।

 

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