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CM साहब……..नौनिहालों के भविष्य के साथ खेलने वाले भ्रष्ट अफसरों पर कब होगी कार्रवाई ? कलेक्टर पत्र लिख-लिखकर थक गये, लेकिन एक्शन की जगह मिल रहा संरक्षण !

रायपुर 2 जुलाई 2024। छत्तीसगढ़ में सत्ता के बदलते ही भ्रष्टाचारियों के बीच हड़कंप मचा हुआ है। लेकिन शिक्षा विभाग में कुछ अफसर ऐसे भी है, जिनके भ्रष्टाचार का खुलासा होने के बाद बकायदा कलेक्टर द्वारा कार्रवाई के लिए शिक्षा सचिव तक को पत्र लिखा गया। लेकिन सरकार बदलने के बाद भी भ्रष्ट अफसरों की पकड़ इतनी मजबूत है कि उन पर आज तलक एक्शन नही हो सका। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यहीं है कि आखिर नौनिहालों के उज्जलव भविष्य के लिए मिलने वाले फंड में सेंधमारी करने वाले अफसरों पर कार्रवाई कब होगी ?

गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री रहे बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पास है। एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री साय ने शिक्षा विभाग के अफसरों की बैठक ली थी। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नही करने के सख्त तेवर दिखाये हैं। इसके साथ ही पूर्ववर्ती सरकार में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत स्कूल भवनों के मरम्मत कार्य में हुए भ्रष्टाचार की जांच का भी आदेश दिया गया। सीएम साय के इस आदेश के बाद एक बार फिर भ्रष्ट अफसरों के बीच हड़कंप मचा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ पूर्ववर्ती सरकार के कुछ भ्रष्ट अफसर ऐसे भी है, जिन्हे सरकार बदलने के बाद भी राजधानी स्तर पर पूरा संरक्षण प्राप्त है।

दरअसल पूरा मामला कोरिया जिला में बालवाड़ी योजना में हुए लाखों रूपये के भ्रष्टाचार से जुड़ा है। कोरिया जिला के तत्कालीन डीएमसी मनोज पांडेय द्वारा पूर्ववर्ती सरकार में जिले के 176 प्राथमिक शालाओं के लिए 26 लाख 40 हजार रूपये का आबंटन वर्ष 2023 मेें किया गया। लेकिन सरकार के इस फंड से नौनिहालों का भविष्य उज्जवल करने के बजाये तत्कालीन डीएमसी मनोज कुमार पांडेय ने भ्रष्टाचार की सेंध लगा दी। मीडिया द्वारा इस मामले का खुलासा होने के बाद कोरिया कलेक्टर विनय लंगहे द्वारा मामले की जांच का आदेश दिया गया। जांच में खुलासा हुआ कि वर्ष 2023 में वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले ही फरवरी माह में डीएमसी मनोज कुमार पांडेय ने बालवाड़ी योजना के फंड में बड़ा खेल कर दिया।

नौनिहालों के बेहतर शिक्षण कार्य के लिए सामानों की खरीदी के लिए सभी प्राथमिक शाला के प्रधान पाठकों को मौखिक आदेश देकर सूरजपुर के ओम प्रकाश पुस्तक भंडार से घटिया स्तर के सामानों की खरीदी कर पैसों के भुगतान का आदेश दे दिया गया। जिला प्रशासन की जांच में जब सामानों की जांच की गयी, तो महत 5560 रूपये के सामानों को डीएमसी के कहने पर 3 गुना कीमत में प्रधान पाठकों पर दबाव बनाकर ओम प्रकाश पुस्तक भंडार को एक सप्ताह के भीतर पैसों का भुगतान करवा दिया गया। जांच में इस भ्रष्टाचार का खुलासा होने के बाद कोरिया कलेक्टर विनय लंगहे ने 6 जुलाई 2023 को ही कार्रवाई के लिए प्रबंध संचालक राजीश गांधी शिक्षा मिशन को पत्र लिखा गया था।

लेकिन कलेक्टर के पत्र लिखने के बाद भी पूर्ववर्ती सरकार में मजबूत पकड़ रखने वाले डीएमसी मनोज पांडये पर कोई कार्रवाई नही हो सकी। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद कलेक्टर विनय लंगहे ने दोबारा 4 मार्च 2024 को स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट के साथ कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया। लेकिन कलेक्टर के बार-बार पत्र लिखने के बाद भी आज तक भ्रष्ट अफसर पर कोई एक्शन नही लिया जा सका है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यहीं है कि आखिर कलेक्टर के लगातार पत्र लिखने के बाद भी नई सरकार में कार्रवाई क्यों नही हो रही है ? क्या भ्रष्ट अफसरों की पहुंच कलेक्टर औ शिक्षा सचिव और मंत्री से भी से उपर हो चुकी है ? ऐसे में अब ये देखने वाली बात होगी कि नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और भ्रष्टाचार के इस मामले पर मुख्यमंत्री संज्ञान लेते है, ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

 

 

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