ब्रेकिंग-हाईकोर्ट में युक्तियुक्तकरण : युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पर हाईकोर्ट की सख्ती, कहा, दावा-आपत्ति के बिना काउंसिलिंग असंवैधानिक

रायपुर, 5 जून 2025।छत्तीसगढ़ में चल रहे युक्तियुक्तकरण (Rationalisation) को लेकर प्रदेशभर के शिक्षकों की चिंताओं पर आज माननीय हाईकोर्ट ने गंभीरता से संज्ञान लिया। मामले की विशेष सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य शासन द्वारा बिना दावा-आपत्ति लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू करना असंवैधानिक है।

कोर्ट ने आदेश दिया कि युक्तियुक्तकरण की किसी भी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने से पहले सभी शिक्षकों से दावा-आपत्ति आमंत्रित की जाए, और उनका विधिवत निराकरण किया जाए। इसके बाद ही स्थानांतरण या नियुक्ति की किसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए।

इस सुनवाई में शासन की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट में अंडरटेकिंग देते हुए कहा कि अब सभी शिक्षकों से दावा-आपत्ति ली जाएगी और उसका समाधान करने के बाद ही युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

हाईकोर्ट की इस टिप्पणी और आदेश के बाद शिक्षक संगठनों और शिक्षकों में राहत की भावना देखी गई है।

इस पूरे मामले में शिक्षकों की ओर से अधिवक्ताओं की एक मजबूत टीम — देवाशीष तिवारी, गोविंद देवांगन, राजेश वर्मा और उनकी सहयोगी टीम ने हाईकोर्ट में सशक्त पैरवी की। उन्होंने शिक्षकों की समस्याओं और युक्तियुक्तकरण की खामियों को बारीकी से न्यायालय के समक्ष रखा।

सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर में बड़ी संख्या में शिक्षक प्रतिनिधि और नेता उपस्थित रहे। इनमें प्रमुख रूप से रविन्द्र राठौर, जितेंद्र शर्मा, विक्रम राजपूत, देवेंद्र हरमुख, राजीव नयन शुक्ला, द्वारिका भारद्वाज, शशि अग्रवाल, जितेंद्र यादव, भगवती कोसरिया और रविन्द्र बड़तिया, जैसे नाम शामिल रहे, जिन्होंने लगातार इस मुद्दे पर संघर्ष किया है।

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विरेंद्र दुबे ने दी प्रतिक्रिया

इधर शिक्षक साझा मंच के प्रांतीय संचालक व शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष विरेंद्र दुबे ने कहा है कि युक्तियुक्तकरण के निर्देशों व प्रक्रिया की विसंगतियों पर शिक्षक संगठनों की आपत्तियों पर उच्च न्यायालय की मुहर लगी है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के रुझ से शिक्षकों को न्याय की उम्मीद जगी है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने  संबंधित निर्देशों व प्रक्रिया को असंवैधानिक मानते हुए सुधार का निर्देश दिया है। विरेंद्र दुबे ने मांग की है कि  मुख्यमंत्री इस पर संज्ञान लेते हुए  शिक्षक संगठनों से चर्चा कर सर्वसम्मत समाधान निकालें।

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