CG : मानिकपुर खदान क्षेत्र में ग्रामीण की मौत, ठेका कंपनी और SECL प्रबंधन ने मामले में कर दी लीपापोती, सवालों के घेरे में पुलिस की जांच
कोरबा 19 जून 2024। मानिकपुर कोयला खदान क्षेत्र में एक ग्रामीण की मौत के बाद एसईसीएल प्रबंधन और पुलिस की कार्य प्रणाली सवालों के घेरे में है। बताया जा रहा है कि खदान परिक्षेत्र में 21 दिन पहले हुए एक्सीडेंट के बाद घटनास्थल को ही बदल दिया गया। घटनास्थल से एक्सीडेंट करने वाले वाहन को हटाने के साथ ही इस पूरे मामले में ठेका कंपनी और एसईसीएल प्रबंधन के जवाबदार अधिकारियों ने लीपापोती कर दी। उधर घटना के 21 दिन बाद भी पुलिस जांच के नाम केस डायरी नही मिलने का हवाला देकर पूरे मामले से पल्ला झाड़ती नजर आ रही है। अब मामले की हकीकत सामने आने के बाद एक बार फिर एसईसीएल प्रबंधन के बीच हड़कंप मचा हुआ है।
एसईसीएल की खदानों में किस तरह से सुरक्षा मानको के साथ खिलवाड़ किया जाता है। इसकी बानगी मानिकपुर ओपन काॅस्ट कोल माइंस में देखी जा सकती है। यहां काम कर रहे ठेका कंपनियों की मनमानी के कारण पिछले दिनों एक ग्रामीण की जान चली गयी। बताया जा रहा है कि 29 मई को ग्राम कुरूडीह में रहने वाला अश्वनी पटवा अपने साथी देव कुमार साहू के साथ कोरबा जाने के लिए निकला था। दोनों युवक बाइक से मानिकपुर खदान क्षेत्र से निकले सड़क से गुजर रहे थे। तभी मानिकपुर खदान में बन रहे साईलो के पास ठेका कंपनी की तेज रफ्तार हाईवा ने बाइक सवार युवको को चपेट में लेकर टक्कर मार दी।
इस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल दोनों युवको को आनन फानन में कोरबा के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां दुर्घटना के कुछ देर बाद ही अश्वनी पटवा नामक युवक की मौत हो गयी। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो मानिकपुर खदान में काम कर रही ज्वाला कंस्ट्रक्शन नामक ठेका कंपनी के वाहन से ये दुर्घटना घटित हुई थी। लेकिन दुर्घटना में घायल युवक की मौत के बाद एसईसीएल प्रबंधन और ठेका कंपनी ने मिलकर इस पूरे घटनाक्रम पर लीपापोती शुरू कर दी। बताया जा रहा है कि दुर्घटना के बाद मौके पर पहुंची मानिकपुर पुलिस द्वारा इस घटना पर प्राथमिकी तो दर्ज की गयी, लेकिन दुर्घनाग्रस्त वाहन पर कोई कार्रवाई नही किया गया।
वहीं खदान परिक्षेत्र में ठेका कंपनी के हाईवा से हुए इस दुर्घटना की जानकारी को दबाने के लिए घटनास्थल को ही खदान परिक्षेत्र से लगे रापाखर्रा सड़क मार्ग के पास बता दिया गया। लिहाजा इस पूरे मामले पर जब मानिकपुर चौकी प्रभारी से जानकारी चाही गयी, तो उन्होने भी मानिकपुर खदान से लगे रापाखर्रा गांव मार्ग पर दुर्घटना होने की जानकारी दी गयी। उनसे जब दुर्घटनाकारित वाहन की जानकारी चाही गयी, तो उन्होने कोई जानकारी नही होने की बात कहते हुए केस डायरी रामपुर से नही आने के कारण जांच पेंडिंग होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया।
वहीं एसईसीएल मानिकपुर खदान के सब एरिया मैनेजर एच.के.प्रधान से जब इस दुर्घटना की जानकारी चाही गयी, तो उन्होने गोलमोल जवाब देकर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। बताया जा रहा है कि दुर्घटना के बाद ज्वाला कंस्ट्रक्शन के अधिकारियों द्वारा बकायदा मृतक के परिजनों को मुंह बंद करने के लिए तीन लाख रूपये मुआवजा दिया गया, ताकि ग्रामीण खदान में आंदोलन ना करे। गौरतलब है कि एसईसीएल के खदान क्षेत्र में दुर्घटना होने पर उसकी जांच DGMS द्वारा की जाती है। बताया जा रहा है कि निर्माण स्थल पर सुरक्षा मानकों की कई बड़ी खामियां है। ऐसे में यदि DGMS की टीम मौके पर जांच के लिए पहुंचती, तो बड़ी कार्रवाई हो सकती थी। लिहाजा DGMS और पुलिस के प्रपंच से बचने के लिए एसईसीएल प्रबंधन और ठेका कंपनी ने घटनास्थल को ही खदान से बाहर बता दिया गया।
जिस पर अब पुलिस भी अपनी मुहर लगाती नजर आ रही है। यहीं वजह है कि आज 21 दिन बाद भी युवक के मौत की केस डायरी सिविल लाइन थाना से मानिकपुर चौकी नही पहुंच सकी है। जिसके कारण पुलिस की जांच अधूरी होने की दलील दी जा रही है। खैर मानिकपुर खदान में दुर्घटना के बाद लीपापोती का ये कोई पहला मामला नही है। इससे पहले भी कई मामलों में एसईसीएल प्रबंधन की मनमानी उजागर हो चुकी है। ऐेसे में अब ये देखने वाली बात होगी कि खदान परिक्षेत्र में हुए इस दुर्घटना के बाद पुलिस पूरे मामले पर सही तरीके से तफ्तीश कर समय रहते दोषियों पर कार्रवाई करती है या फिर इस पूरे मामले पर एक बार फिर लीपापोती कर दी जायेगी, ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।