Decision Paralysis: जब सोचते-सोचते रुक जाती है ज़िंदगी, जानिए क्या है यह मनोवैज्ञानिक स्थिति

Decision Paralysis :आपने कभी रेस्टोरेंट में मेनू देखकर खुद को उलझन में पाया है? सब कुछ लज़ीज़ लग रहा हो और समझ ही न आए कि क्या ऑर्डर करें? अगर हां, तो आप Decision Paralysis यानी निर्णय पक्षाघात के शिकार हो सकते हैं। यह सिर्फ खाने तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन के बड़े फैसलों में भी यही स्थिति हमें जकड़ लेती है।
Decision Paralysis: जब सोचते-सोचते रुक जाती है ज़िंदगी,

क्या है Decision Paralysis?
यह एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति विकल्पों की अधिकता के कारण कोई फैसला नहीं ले पाता। चाहे करियर चुनना हो, रिश्ते से जुड़ा कोई कदम हो या जीवन से जुड़ा कोई बड़ा निर्णय — व्यक्ति सोचता ही रह जाता है और कदम उठाने में असमर्थ हो जाता है।
क्यों होता है ऐसा?
विकल्पों की भरमार
गलती का डर
परफेक्शनिज़्म
दूसरों की राय से भ्रम
कैसे पहचानें कि आप भी इसके शिकार हैं?
निर्णय लेने में अत्यधिक समय लगना
बार-बार राय बदलना
हर निर्णय पर पछताना
छोटे-छोटे फैसलों में भी असमंजस
बचाव के उपाय:
विकल्पों की संख्या सीमित करें
प्राथमिकता तय करें
“परफेक्ट” की जगह “सही” निर्णय पर ध्यान दें
समय-सीमा तय कर निर्णय लें
खुद पर भरोसा रखें