Rural india की आर्थिक प्रगति, निवेश के लिए यह सही समय

Rural india: वित्त वर्ष 2024 तक, ग्रामीण भारत की प्रति व्यक्ति आय 2,058 डॉलर तक पहुंच गई, जो एक बड़ी उपलब्धि है। यह उपलब्धि शहरी भारत ने वित्त वर्ष 2012 में हासिल की थी। यह आंकड़ा बताता है कि ग्रामीण भारत का आर्थिक विस्तार हो रहा है, जिसका भारत की GDP पर भी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। पिछले दो दशकों में, ग्रामीण प्रति व्यक्ति आय 9% की प्रभावशाली चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ी है, जबकि शहरी क्षेत्रों की वृद्धि दर 7.6% रही है। इस बदलाव को दर्शाते हुए, खाद्य पदार्थों पर ग्रामीण खर्च, जो 1990 में कुल मासिक खपत का 59% था, वित्त वर्ष 2023 में घटकर 46.4% रह गया है। यह गैर-आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च के क्रमिक विविधीकरण को दर्शाता है।
Rural india की आर्थिक प्रगति, निवेश के लिए यह सही समय

ग्रामीण भारत की आर्थिक प्रगति के पीछे सरकारी पहलकदमियां हैं, जो ग्रामीण जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से शुरू की गई हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना जैसे कार्यक्रम ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्यों को 100 दिनों का रोजगार प्रदान करते हैं। इससे सड़कों के माध्यम से देश के गांवों को जोड़ा जा रहा है। लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे सब्सिडी हस्तांतरण संभव हो रहा है,
जिससे बचत बढ़ रही है और महंगे अनौपचारिक लोन पर निर्भरता कम हो रही है। इन प्रयासों के तहत, राज्य सरकारों ने सामूहिक रूप से ₹3.1 ट्रिलियन सालाना (भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 1.1%) मूल्य के वेलफेयर और सब्सिडी कार्यक्रम शुरू किए हैं। प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, साइक्लिकल डिमांड में सुधार, और बाहरी चुनौतियों के बावजूद ग्रामीण अर्थव्यवस्था में स्थिरता के कारण ग्रामीण भारत निवेश के लिए एक आकर्षक क्षेत्र बन गया है।
वर्षों के ठहराव के बाद, ग्रामीण मजदूरी में वृद्धि ने इसे और गति दी है। जलाशयों में पर्याप्त जल स्तर, सरकारी रोजगार योजनाओं से बढ़ती श्रम मांग, और गैर-कृषि क्षेत्रों में बढ़ती भागीदारी से मजदूरी में सकारात्मक वृद्धि हो रही है। हाल ही में, अग्रणी कंज्यूमर स्टेपल कंपनियों के बयानों से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की संभावनाओं को बल मिला है। ये कंपनियां ग्रामीण बाजारों में मजबूत मांग की उम्मीद कर रही हैं। ग्रामीण भारत में हो रहा परिवर्तन न केवल क्षेत्रीय विकास को दर्शाता है, बल्कि एक व्यापक आर्थिक बदलाव को भी दिखाता है, जो उपभोग पैटर्न, निवेश के अवसरों, और देश के विकास की दिशा को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है।