कर्मचारियों के लिए हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, निलंबन अवधि को माना ड्यूटी, वेतन कटौती का आदेश रद्द

बिलासपुर 24 मार्च 2025। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में निलंबन अवधि को ड्यूटी मानने का आदेश दिया है, जिससे सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है। रायगढ़ वन मंडल में कार्यरत फॉरेस्टर दिनेश सिंह राजपूत की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस बीडी गुरु की एकल पीठ ने राज्य शासन के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें निलंबन अवधि को ड्यूटी का हिस्सा नहीं मानते हुए शत-प्रतिशत वेतन कटौती का निर्देश दिया गया था।
क्या है पूरा मामला?
फॉरेस्टर दिनेश सिंह राजपूत पर पेड़ों की अवैध कटाई से संबंधित जानकारी छिपाने और गलत जानकारी देने का आरोप लगाया गया था। इस आरोप के आधार पर उन्हें 02 जुलाई 2019 से 10 महीने 7 दिन के लिए निलंबित कर दिया गया। बाद में विभागीय जांच में आरोप आंशिक रूप से सही पाए गए, लेकिन अन्य कर्मचारियों को हल्की सजा दी गई, जबकि दिनेश सिंह राजपूत पर कड़ी कार्रवाई की गई।
याचिकाकर्ता ने राज्य शासन के 05 सितंबर 2022 के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की। उन्होंने तर्क दिया कि उनकी निलंबन अवधि को सेवा का हिस्सा नहीं माना गया, जबकि अन्य कर्मचारियों के मामले में ऐसा किया गया था।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए निलंबन अवधि को ड्यूटी अवधि मानने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि अनुशासनात्मक और अपीलीय प्राधिकरण ने भेदभावपूर्ण तरीके से निर्णय लिया, जबकि समान परिस्थितियों वाले अन्य कर्मचारियों को राहत दी गई।
फैसले के मुख्य बिंदु:
✅ निलंबन अवधि को ड्यूटी का हिस्सा माना जाएगा।
✅ निलंबन के दौरान वेतन में की गई कटौती को रद्द किया गया।
✅ अन्य कर्मचारियों के समान व्यवहार की बात दोहराई गई।
कर्मचारियों के लिए क्यों है अहम?
यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण नजीर साबित हो सकता है, जिससे भविष्य में भेदभावपूर्ण अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगेगी। हाईकोर्ट का यह निर्णय उन कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है, जो अनुचित निलंबन के कारण वेतन कटौती जैसी परेशानियों का सामना करते हैं।