खबर का असर: गालीबाज CAC हुआ सस्पेंड, खबर छपने के कुछ ही घंटे बाद किया गया निलंबित

Teacher News। NWNEWS की खबर पर बड़ा असर हुआ है। गालीबाज संकुल समन्वयक ( मूल पद-सहायक शिक्षक) को सस्पेंड कर दिया गया है। शिक्षक के साथ गाली गलौज, धमकी और प्रताड़ित करने की खबर कल ही NW न्यूज ने पोस्ट की थी। सूरजपुर जिले की इस खबर के बाद विभाग ने तत्काल संज्ञान लिया और प्रभारी संकुल समन्वयक लाल साय सिंह को सस्पेंड कर दिया।

आपको बता दें कि सूरजपुर जिले के शासकीय प्राथमिक शाला अखोराकला में सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ लाल साय सिंह को प्रभारी संकुल समन्वयक अखोराकला का भी चार्ज मिला हुआ था। संकुल समन्वयक बनकर लाल साय सिंह ना तो शासन के निर्देश के मुताबिक स्कूल में हर दिन चार पीरियड क्लास लेते थे और ना ही स्कूल ही आते थे। उलटे अधीनस्थ स्कूलों के शिक्षकों पर दवाब बनाते और दुर्व्यवहार करते थे।

पढ़िये ये खबर –शिक्षक की ऐसी भाषा…की मवाली भी सरमा जाये…. सुन बे गुप्ता….मा&&&…बनि&&&& …मोला कोई कुछ…CAC बने सहायक शिक्षक पर छाया पावर का ऐसा सुरूर, कि शिक्षक पर कर दी गालियों की बौछार…

पिछले दिनों उन्होंने शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला घाघीटिकरा अखोराकला के शिक्षक अशोक गुप्ता के साथ फोन पर गाली गलौज की और जान से मारने की धमकी दी। इस मामले में शिक्षक अशोक कुमार गुप्ता ने अधिकारियों से शिकायत भी की थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही थी। जिसके बाद 28 नवंबर को NW NEWS ने शिक्षक की ऐसी भाषा…की मवाली भी सरमा जाये…. सुन बे गुप्ता….मा&&&…बनि&&&& …मोला कोई कुछ…CAC बने सहायक शिक्षक पर छाया पावर का ऐसा सुरूर, कि शिक्षक पर कर दी गालियों की बौछार… खबर पोस्ट की थी।

खबर छपने के बाद तुरंत ही विभाग ने इस मामले में संज्ञान लिया और कुछ ही घंटे बाद गालीबाज सीएसी को सस्पेंड कर दिया गया। प्रभारी संकुल समन्वयक लाल साय सिंह को बीईओ कार्यालय में अटैच किया गया है। वो निलंबन अवधि में प्रेमनगर बीईओ कार्यालय में अटैच रहेंगे।

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बिना पढ़ाये लेते थे वेतन

इधर शासकीय प्राथमिक शाला अखोराकला के प्राचार्य ने भी स्वीकार किया है कि सहायक शिक्षक लाल साय सिंह स्कूल नहीं आते थे। शासन का नियम है कि संकुल समन्वयकों को चार पीरियड हर दिन लेना है,लेकिन शासन के नियमों को ठेंगा दिखाते हुए लाल साय सिंह ना तो क्लास ही लेते थे और ना स्कूल आते थे। स्कूल के प्रधान पाठक ने बताया कि उनका वेतन विवरणी भी स्कूल से नहीं भेजा जाता था, बावजूद लाल साय सिंह की पैठ इतना ज्यादा थी, कि बिन अबसेंटी के ही उनका हर महीने का वेतन निकल जाता था।

 

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