पूजा खेड़कर जैसे छत्तीसगढ़ में भी कई: डिप्टी कलेक्टर, नायब तहसीलदार, डाक्टर, शिक्षक कईयों के पास फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट, दिव्यांग संघ ने किया बड़ा दावा

रायपुर 25 जुलाई 2024। IAS पूजा खेड़कर के फर्जीवाड़े का मुद्दा पूरे देश में गरमाया हुआ है। लोकसभा में भी इस मुद्दे की गूंज सुनायी पड़ी, लेकिन खुलासा हो रहा है कि सिर्फ पूजा खेड़कर ही नहीं, दिव्यांगता के नाम कई अन्य राज्यों में अधिकारियों को ने झोल किया है। छत्तीसगढ़ में भी इसे लेकर बड़ा खुलासा छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ की तरफ से किया गया है। इस मामले में संघ ने प्रेस कांफ्रेंस कर दावा किया है कि छत्तीसगढ़ में 21 अफसरों ने फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी हासिल की है।

संघ ने जिन अधिकारियों की सूची मीडिया में दी है, उसमें 7 डिप्टी कलेक्टर, 3 लेखा अधिकारी, 3 नायब तहसीलदार, 2 सहकारिता निरीक्षक, 3 वेटनरी डाक्टर शामिल हैं। संघ के अध्यक्ष हितराम चंद्राकर ने कहा है कि अधिकारियों की मिलीभगत से इस तरह का कारनामा अंजाम दिया गया है। आरोप लगाया गया है कि लोरमी में पदस्थ ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी गुलाब सिंह राजपूत, मुंगेली के चिकित्सक एमके राय और बिलासपुर के हेल्थ ज्वाइंट डायरेक्टर प्रमोद महाजन की मिलीभगत से ये किया गया है। संघ ने इन अफसरों को बर्खास्त कर जेल भेजने की मांग की है।

संघ ने चेतावनी दी है कि सरकार ने उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया, वो आंदोलन को मजबूर होंगे। 15 दिन का वक्त सरकार को दिया गया है। संघ ने कहा कि 21 अगस्त को प्रदेश के दिव्यांग रायपुर में आंदोलन कर सीएम हाउस तक पैदल मार्च करेंगे।संघ ने कहा कि 2 साल पहले भी कृषि विभाग के 52 कृषि विस्तार अधिकारी, उद्यान विभाग के 11 ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी, मुंगेली जिले के 39 अधिकारी-कर्मचारी, जल संसाधन विभाग के 10 SE, , पीडब्ल्यूडी के 15 SE के खिलाफ शिकायत की गयी थी, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी।

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आरोप है कि 50 हजार से 1 लाख में फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जाता है। संघ ने आरोप लगाया है कि उनकी शिकायत पर 200 लोगों के खिलाफ शिकायत के बाद केवल 3 ही कर्मचारियों ने राज्य मेडिकल बोर्ड से अपना परीक्षण कराया, जांच में ये साफ हो गया है कि वो तीनों फर्जी प्रमाण पत्र से नौकरी लेने में कामयाबी हासिल की थी। उन्होंने आरोप लगाया है कि फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी के मामले में कृषि विभाग की सहायक संचालक रिचा दुबे बर्खास्त हो चुकी है, जबकि अब तक उनके खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया है। उसी तरह से सत्येंद्र सिंह चंदेल व्याख्याता, अक्षय सिंह व्याख्याता के खिलाफ भी विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

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