केरल के अस्पताल में 42 घंटे तक लिफ्ट में फंसा रहा शख्स,लिफ्ट में ही करनी पड़ी टॉयलेट , प्यास लगने पर
केरल 16 जुलाई 2024 लिफ्ट में लोगों के फंसने के मामले आए दिन आते रहते हैं. कभी बिजली गुल होने पर तो कभी तकनीकी समस्या के कारण, लोगों का लिफ्ट में फंसना और बाहर निकलना लगा रहता है. ज्यादातर मामलों में ऐसा कुछ मिनटों के लिए ही होता है. लेकिन केरल के एक अस्पताल में एक हैरान करने वाला केस सामने आया, जहां एक मरीज 42 घंटे तक लिफ्ट में फंसा रहा. दो दिनों तक लिफ्ट में फंसे रहने के बाद बाहर आए मरीज रवीचंद्रन नायर (59) ने अपनी आपबीती सबको बताई है.
रवीचंद्रन ने एक अंग्रेजी अखबार को दी जानकारी में कहा,’42 घंटे तक लिफ्ट के अंदर फंसे रहना किसी बुरे सपने जैसा था. लिफ्ट रुक जाने के बाद सबसे पहले मैंने अलार्म का बटन दबाया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. वहां, कोई इंटरकॉम भी नहीं था, जिसकी मदद से लिफ्ट ऑपरेटर से संपर्क किया जा सके. इसलिए मैंने फोन का इस्तेमाल करते हुए लिफ्ट के अंदर लिखे अलग-अलग हेल्पलाइन नंबरों पर कॉल किया. लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. इस बीच फोन मेरे हाथ से फिसलकर गिर गया और उसने काम करना बंद कर दिया.’
लिफ्ट के एक कोने में पेशाब कर दिया
उन्होंने आगे बताया, ‘मैंने लिफ्ट के एक कोने में पेशाब कर दिया. रुक-रुककर कभी-कभी, मैं जोर-जोर से मदद के लिए चिल्लाने लगता था. मैं सो नहीं पाता था. जब मुझे प्यास या भूख लगती थी, तो मैं बस अपने होंठ चाटता था. मैं लगातार अलार्म बेल दबाता रहता था, हालांकि लिफ्ट के चैंबर में कोई पंखा या लाइट नहीं थी, फिर भी कुछ हवा अंदर आती रहती थी, जिससे ऑक्सीजन की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होती थी.’
फोन पर नहीं हुआ संपर्क, बढ़ी चिंता
रवीचंद्रन ने आगे बताया,’मेरा मनोबल टूटता जा रहा था, जिसे बनाए रखने के लिए मैंने अपनी पत्नी की लिखी और प्रकाशित हो चुकी कविताएं दोहराईं. शनिवार को मैं घर नहीं पहुंचा. लेकिन परिवार श्रीलेखा और दो बच्चों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. उन्हें लगा कि अपने अनियमित काम के दौरान मेरी दूसरी ड्यूटी लगा दी गई है, लेकिन जब रविवार को भी मैं नहीं लौटा तो उन्होंने फोन पर संपर्क करने की कोशिश. हालांकि, मेरे फोन से संपर्क ना होने के बाद उनकी चिंता बढ़ गई.’
लिफ्ट ऑपरेटर ने आकर बचाया
रवीचंद्रन ने बताया की मेरे घर वालों से बात करने पर पता चला कि मैं अपने दफ्तर में भी नहीं हूं. इसके बाद उन्होंने पुलिस थाने पहुंचकर केस दर्ज कराया. पता चला मैं शनिवार दोपहर से लापता हूं. रविवार दोपहर तक उन्होंने स्थानीय पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी. घरवाले भी उसकी तलाश में जुट गए थे. वे सदमे में थे. उन्होंने मेडिकल कॉलेज के परिसर की तलाशी ली, लेकिन उन्हें पता नहीं चला कि मैं लिफ्ट में फंसा हुआ हूं. सोमवार सुबह लिफ्ट ऑपरेटर ड्यूटी पर आया और उसने मुझे बचा लिया गया.