ऑनलाइन गेमिंग की लत: युवाओं में बढ़ती आत्महत्या की चिंता…

  1. आर्थिक दबाव और कर्ज – कई ऑनलाइन गेम्स में इन-गेम खरीदारी और सट्टेबाजी के चलते युवा कर्ज में डूब जाते हैं, जिससे मानसिक तनाव बढ़ता है।

  2. असफलता का डर – गेमिंग में लगातार हारने या प्रोफेशनल गेमिंग में सफल न होने का डर उन्हें मानसिक रूप से कमजोर बना देता है।

  3. परिवार और समाज से दूरी – अत्यधिक गेमिंग के कारण युवा अपने परिवार और दोस्तों से दूर हो जाते हैं, जिससे अवसाद बढ़ता है।

  4. नकारात्मक मानसिक प्रभाव – लंबे समय तक स्क्रीन पर रहने और हिंसक गेम्स खेलने से मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है।

  5. शिक्षा और करियर पर प्रभाव – गेमिंग की लत के कारण पढ़ाई और करियर प्रभावित होता है, जिससे आत्मग्लानि और निराशा बढ़ती है।

समाधान और रोकथाम:

  • माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नज़र रखनी चाहिए।

  • मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए समय-समय पर काउंसलिंग करानी चाहिए।

  • सरकार को ऑनलाइन गेमिंग के नियमों को सख्त बनाना चाहिए, खासकर सट्टेबाजी वाले गेम्स पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

  • युवाओं को गेमिंग के बजाय खेलकूद और अन्य रचनात्मक गतिविधियों की ओर प्रोत्साहित करना चाहिए।


ऑनलाइन गेमिंग मनोरंजन का साधन है, लेकिन जब यह लत बन जाता है, तो यह घातक साबित हो सकता है। सही मार्गदर्शन और नियंत्रण से इसे रोका जा सकता है।

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