OP Choudhary Birthday Special: IAS की नौकरी छोड़ यूं ही कोई सियासत का सितारा थोड़े ना बन जाता है। उसके लिये तो हौसले आसमानी और इरादे फौलादी होने चाहिये। ठीक ओपी चौधरी की तरह…। आज यूथ आइकान और छत्तीसगढ़ की सियासत के कोहिनूर ओपी चौधरी अपना 45वां जन्मदिन मना रहे हैं।आज से ठीक छह बरस पहले ओपी चौधरी ने जब कलेक्टर की नौकरी छोड़ राजनीति की दुनिया में कदम रखा था, तो पूरा देश हैरान था।
शायद ही कोई था, जो उनके इस फैसले को सराहा होगा। हर कोई रायपुर कलेक्टर की नौकरी छोड़, भाजपा का एक मामूली सा कार्यकर्ता बनने के उनके फैसले को गलत ही बता रहा था। उपर से, 2018 के चुनाव में गृह क्षेत्र खरसिया से उनकी हार के बाद तो हर सियासी पंडित उनके इस फैसले को गलत बताने में ही लगे हुए थे। लेकिन ओपी चौधरी की किस्मत की भविष्यवाणी करने वाले शायद ये भूल गये कि ओपी ने जिंदगी के हर इम्तिहान को ही हारकर जीत में बदला है। फिर चाहे छोटे से गांव से निकलकर देश के सबसे मुश्किल इम्तिहान को पास करने की बात हो या फिर कलेक्टर की नौकरी छोड़ राजनीति में कदम रखने का फैसला।
ब्यूरोक्रेसी से राजनीति तक
पूर्व आईएएस ओपी चौधरी छत्तीसगढ़ के राजगढ़ से विधायक बने हैं। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में 2 जून 1981 को जन्में और पले बढ़े ओपी चौधरी 2005 बैच के आईएएस बने थे। तब उनकी उम्र 23 साल थी, जिसके चलते चर्चा में आ गए थे।चौधरी दुर्ग जिले में एसडीएम के पद पर तथा बाद में जांजगीर और सरगुजा जिलों में सीईओ जिला पंचायत के पद पर तैनात रहे।बाद में उन्हें राज्य की राजधानी रायपुर में नगर आयुक्त के रूप में तैनात किया गया और वे जनसंपर्क संचालक बने।चौधरी ने दंतेवाड़ा, जांजगीर और रायपुर जिलों में कलेक्टर के रूप में कार्य किया, जब तक कि उन्होंने अगस्त 2018 में आईएएस से इस्तीफा नहीं दे दिया। ओपी चौधरी ने दंतेवाड़ा कलेक्टर रहते कमाल का काम किया। नक्सल इलाके में शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए उन्हें प्रधानमंत्री अवार्ड से भी पुरस्कृत किया जा चुका है।चौधरी ने रायपुर के कलेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया और 2018 में भाजपा में में शामिल हो गए । उन्होंने खरसिया विधानसभआ से 2018 छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के उमेश पटेल से हार गये। 2023 में, ओपी चौधरी 64443 मतों के अंतर से रायगढ़ से विधायक बने। 29 दिसंबर 2023 को उन्होंने वित्त, वाणिज्यिक कर, आवास और पर्यावरण, योजना और आर्थिक एवं सांख्यिकी मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला।
चाहते तो चीफ सिकरेट्री बन सकते थे ओपी चौधरी
ओपी चौधरी ने कुछ समय पहले अपने इंटरव्यू में कहा था कि ‘बीजेपी में शामिल होने से पहले मुझे पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलने का अवसर मिला. जब मैंने बीजेपी में शामिल होने की इच्छा ज़ाहिर की, तो उन्होंने बड़ी नम्रता के साथ कहा कि इतने लंबे करियर के साथ तो आप मुख्य सचिव बन सकते हैं’. उन्होंने कहा कि राजनीति में बहुत कठिनाइयां पेश आती हैं और ज़्यादातर लोग जो हमें शीर्ष पर देखते हैं, वो ये देखने की ज़हमत नहीं करते कि एक सफल राजनीतिक व्यक्ति बनने के लिए क्या कुछ करना पड़ता है. लेकिन मैं अड़ा हुआ था और अपने फैसले पर दोबारा गौर करने के लिए तैयार नहीं था’. अब एक पूर्ण-कालिक राजनेता के तौर पर, चौधरी को लगता है कि सेवा को छोड़ने की बजाय, आईएएस अधिकारियों को सिस्टम के भीतर रहते हुई ही काम करने का कोई रास्ता निकालना चाहिए.
उन्होंने स्पष्ट रूप से इनकार किया कि उन्हें सिविल सेवा छोड़ने का खेद है और कहा कि 2018 में उनकी चुनावी हार के बाद उन्हें सेवा में लौटने की पेशकश हुई थी लेकिन ‘अपने जीवन के बेहतरीन 13 साल’ का आनंद लेने के बाद वो जीवन में आगे बढ़ना चाहते थे.उन्होंने कहा, ‘सोच समझ कर लिए गए एक फैसले के लिए खेद क्यों होना चाहिए? आपको चीज़ें एक पैकेज में मिलती हैं, सफलता और विफलता दोनों के साथ यही है. जो लोग ऐशो-आराम चाहते हैं वो नौकरशाही में बने रह सकते हैं, लेकिन मुझे कुछ और चाहिए था’.“चौधरी ने कहा कि वे चाणक्य के उस कथन से प्रभावित होकर राजनीति में आए हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि अच्छे लोगों के राजनीति में भाग नहीं लेने का पहला दुष्परिणाम यह होता है कि बुरे लोग अच्छे लोगों पर शासन करते हैं। इसलिए मैंने 13 साल के प्रशासनिक जीवन को छोड़ते हुए इस बड़ी चुनौती को स्वीकार किया और राजनीति में आया।
बड़ा आदमी बनाने का अमित शाह ने किया वादा पूरा
ओम प्रकाश चौधरी अपनों के बीच ओपी के नाम से चर्चित है। रायगढ़ के खरसिया के बयांग गांव में 2 जून 1981 को जन्मे ओपी चौधरी रायगढ़ से इस बार चुनाव जीते हैं। ओपी चौधरी पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह को कितना यकीन है, इसका पता इसी से चलता है कि चुनाव प्रचार के दौरान ही अमित शाह ने कह दिया था कि अगर ओपी चौधरी को रायगढ़ से जीत मिली, तो उन्हें बड़ा आदमी पार्टी बनायेगी। अमित शाह ने अपना किया वादा पूरा किया और फिर उन्हें वित्त, वाणिज्यिक कर, आवास एवं पर्यावरण, योजना तथा आर्थिक एवं सांख्यिकी जैसे महत्वपूर्ण विभागों की बागडोर सौंपी।
पत्नी अदिति IRPS अफसर हैं
भारतीय रेल सेवा (IRPS) की अधिकारी अदिति पटेल (Aditi Patel) ओपी चौधरी की धर्मपत्नी हैं। अदिति पटेल ने 2013 में अपने पहले ही प्रयास में UPSC क्रैक किया। तब तक वो MBBS पूरा कर चुकी थीं। उनके पिता का कैंसर से निधन होने के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी मां के कंधों पर आ गई थी, लेकिन संघर्ष करते हुए मां ने न केवल बच्चों को पढ़ाया बल्कि खुद भी ज्यूडीशियल सर्विसेज में चयनित हुईं। मध्यप्रदेश में बतौर जिला एवं सेशन न्यायाधीश अतिति की मां सेवाएं दे चुकी हैं। मां के संघर्षों से प्रेरणा लेकर अदिति ने भी यूपीएससी निकालने का साहस दिखाया और पहले ही अटेम्प्ट में परीक्षा पास की।