ब्रेकिंग: मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्त की नियुक्ति पर लगी रोक, अनुभव की नई शर्त के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर हुई थी याचिका

रायपुर 29 मई 2025। छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की नियुक्तियों पर कानूनी पेंच फंस गया है। अनुभव की नई और विवादित शर्तों को लेकर दायर याचिकाओं के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 29 मई 2025 को इन नियुक्तियों पर अंतरिम रोक लगा दी है।

क्या है मामला?

राज्य शासन ने पहले जब इन पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे, तब अनुभव की कोई विशेष शर्त नहीं थी। लेकिन 9 मई 2025 को इंटरव्यू कॉल लेटर जारी करते समय सर्च कमेटी ने एक नई मापदंड जोड़ते हुए, आवेदनकर्ताओं से —

  • विधि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनसंपर्क या प्रशासन जैसे क्षेत्रों में कम से कम 25 वर्षों का अनुभव, और

  • मुख्य सूचना आयुक्त पद हेतु 30 वर्षों का अनुभव मांगा।

इस बदलाव के कारण 172 आवेदनों में से केवल 51 को इंटरव्यू के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया।

 हाईकोर्ट में दायर हुई याचिका

नए शर्तो के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका पर दिया स्थगन राज्य शासन द्वारा अनुभव को लेकर जोड़ी गई नई शर्तों के खिलाफ हाई कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई है जिसमें अधिवक्ता डी.के सोनी ने दोनों पदों के लिए आवेदन दिया था।अनुभव की इस नई शर्त को लेकर अधिवक्ता डी.के. सोनी ने WPC 3811/2025 और WPC 3815/2025 के तहत छत्तीसगढ़ शासन के खिलाफ याचिकाएं दायर कीं।
याचिका में दावा किया गया कि जब वैकेंसी निकली थी, तब अनुभव की ऐसी कोई शर्त नहीं थी, इसलिए इंटरव्यू से ठीक पहले शर्त जोड़ना संविधानिक रूप से अनुचित है।

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इस पर सुनवाई करते हुए माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने नियुक्तियों पर स्थगन आदेश जारी करते हुए इंटरव्यू के बावजूद किसी भी नियुक्ति पर रोक लगा दी है

 सूचना आयोग पर बढ़ता दबाव

वर्तमान में आयोग में केवल सूचना आयुक्त आलोक चंद्रवंशी कार्यरत हैं। दूसरे सूचना आयुक्त एन.के. शुक्ल का कार्यकाल 21 मई 2025 को समाप्त हो गया है, जबकि एक पद 11 नवंबर 2022 से रिक्त है। ऐसे में अब पूरा कार्यभार एकमात्र आयुक्त के कंधे पर आ गया है, जिससे आयोग की कार्यक्षमता पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो गए हैं।

 क्या होगा आगे?

अगर कोर्ट में यह मामला लंबा खिंचता है, तो नए पदों पर नियुक्तियों में और देरी हो सकती है। अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट के आगामी निर्णय पर टिकी हैं, जो तय करेगा कि अनुभव की यह नई शर्त कायम रहेगी या रद्द की जाएगी।

छत्तीसगढ़ सूचना आयोग की नियुक्तियों का यह संवेदनशील मामला एक बार फिर यह दिखाता है कि प्रशासनिक पारदर्शिता और प्रक्रियात्मक न्याय कितने आवश्यक हैं — खासकर जब बात सूचना अधिकार जैसे लोकतांत्रिक स्तंभ की हो।

भाविन जैन ने की ये मांग

वहीं, रायपुर के आरटीआई कार्यकर्ता भाविन जैन ने बताया कि उन्होंने 15 जनवरी 2025 को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अंजलि भारद्वाज के प्रकरण में 15 जनवरी 2019 और 26 नवंबर 2024 में दिए गए आदेशों का पालन करना सुनिश्चित करने को कहा था। गौरतलब है कि 15 जनवरी 2019 के आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि सर्च कमेटी द्वारा चयन के मानदंड सार्वजनिक किए जाएंगे। जैन ने चर्चा में बताया कि अभी सर्च कमेटी ने जो 30 वर्ष और 25 वर्ष के अनुभव के मानदंड और शर्त जोड़ी वह शॉर्ट लिस्टिंग करते वक्त जोड़ी, उसे शॉर्ट लिस्टिंग से पहले सार्वजनिक किया जाना चाहिए था।

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