पूर्व IAS आलोक शुक्ला व अनिल टूटेजा की बढ़ सकती है मुश्किलें, EOW में दर्ज हुई एक और FIR, पूर्व महाधिवक्ता का भी नाम

रायपुर 4 नवंबर 2024। पूर्व IAS आलोक शुक्ला, अनिल टूटेजा और पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती है। ACB/EOW ने तीनों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। ये FIR तीनों के व्हाट्सएप चैट के आधार पर दर्ज की गयी है। दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि 2015 में ईओडबल्यू में दर्ज नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले से संबंधित मामले और इसी आधार पर ईडी द्वारा 2019 में दर्ज मामले को ये सभी लोग, बाधित करने का प्रयास कर रहे थे। यही नहीं दवाब बनाकर और साक्ष्यों को भी प्रभावित करने का प्रयास किया गया, ताकि कोर्ट में इसका लाभ मिल सके।

एफआईआर में ये उल्लेख है कि कि अनिल टुटेजा एवं डॉक्टर आलोक शुक्ला छ.ग. शासन में महत्वपूर्ण पदाधिकारी बन गये थे तथा इन अधिकारियों का वर्ष 2019 से लगातार सरकार के संचालन नीति निर्धारण एवं अन्य कार्यों में काफी हस्तक्षेप था। यह सरकार के सबसे शक्तिशाली अधिकारी थे तथा सभी महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थापना और स्थानांतरण में इनका हस्तक्षेप था। एक तरह से कहा जाए कि छत्तीसगढ़ सरकार की सारी ब्यूरोक्रेसी इनके नियंत्रण में थी तो यह कहना अतिश्योक्ति नहीं था।

वांछित अधिकारियों को वांछित पदस्थापना भी इनके नियंत्रण में थी, इस कारण राज्य सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ अधिकारियों पर इनका नियंत्रण था। एफआईआर में कहा गया है कि इन सभी ने आपराधिक षडयंत्र करते हुए राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में पदस्थ उच्चाधिकारियों के प्रक्रियात्मक एवं विभागीय कार्यों से संबंधित दस्तावेज एवं जानकारी में बदलाव करवाते हुए, अपने विरुद्ध दर्ज नागरिक आपूर्ति निगम के मामले को अपने पक्ष में हाईकोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए दवाब बनाया। ताकि उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ मिल सके।

एफआईआर में कहा गया है कि इन लोगों द्वारा गवाहों को अपना बयान बदलने के लिए भी दबाव बनाया गया, राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों में पदस्थ उच्चाधिकारियों से मिले कर नान घोटाले से संबंधित दस्तावेज, वाट्सऐप चेट्स के माध्यम से प्राप्त करते हुए, अभियोजन साक्ष्य को प्रभावित किया गया।

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पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय सतीश चंद्र वर्मा समेत दोनों आईएएस अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग करते हुए बड़ी गड़बड़ी करने का आरोप है। ईओडब्ल्यू की एफआईआर में बताया गया है कि साल 2019-20 में हाईकोर्ट में दूषित तरीके से अग्रिम जमानत भी हासिल की गई है, जिसका वाट्सएप चैट समेत कई सबूत ईओडब्ल्यू के हाथों लग चुका है। ईओडब्ल्यू में तीनों आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,7क,8,13(2) और आईपीसी की धारा 182,211,193,195-ए,166 ए और 120 बी धाराएं प्रभावी की गई है।

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