Supreme Court लौटेगा अपने पारंपरिक स्वरूप में, CJI बीआर गवई ने बहाल किया पुराना प्रतीक चिह्न, शीशे के दरवाजे भी हटेंगे

Supreme Court  :  भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक बड़ा बदलाव हुआ है। देश के नए प्रधान न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने प्रतीक चिन्ह को फिर से बहाल कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट भवन के गलियारों में लगाए गए शीशे के दरवाजे भी हटाए जाएंगे। इन बदलावों के साथ सुप्रीम कोर्ट अब अपने पारंपरिक और मूल स्वरूप में वापस लौटने जा रहा है।

Supreme Court लौटेगा अपने पारंपरिक स्वरूप में

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यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और वकीलों की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। वकीलों का कहना था कि शीशे के दरवाजों और नए प्रतीक चिन्ह ने कोर्ट की पारंपरिक गरिमा और पहचान को प्रभावित किया है।

गौरतलब है कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर नया प्रतीक चिन्ह जारी किया गया था, जिसमें अशोक चक्र, सुप्रीम कोर्ट की इमारत और संविधान की तस्वीर शामिल थी। इसमें “यतो धर्मस्ततो जयः” (जहां धर्म है, वहां विजय है) भी लिखा गया था। हालांकि यह ध्येय वाक्य पुराने प्रतीक चिन्ह का भी हिस्सा रहा है।

CJI बीआर गवई ने गत 23 मई को अदालत में सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया था कि शीशे की दीवारें और दरवाजे हटाए जाएंगे और सुप्रीम कोर्ट को उसकी पारंपरिक पहचान में लौटाया जाएगा। इस निर्णय से सुप्रीम कोर्ट का गलियारा अब पुनः गैर-वातानुकूलित हो जाएगा, लेकिन इसकी ऐतिहासिक और गरिमामयी छवि बरकरार रहेगी।

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