विष्णु देव के प्रयासों से बदला बस्तर का रंग…साय सरकार की नीतियों से गांवों में आदिवासी संस्कृति और परंपराओं की रौनक बढ़ी

रायपुर 8 अक्टूबर 2024 
करीब तीन दशक से ज्यादा तक छत्तीसगढ़ के बस्तर के कुछ जिलों और जंगली गांवों में नक्सल आतंक का खौफ दिखई देता था। लेकिन पिछले 10 महीने से जब से छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय ने सरकार की कमान संभाली है, धीरे-धीरे यहां की जिंदगी बदल रही है। साय सरकार के प्रयासों से पूरे बस्तर में बदलाव की बयार दिख रही है। केंद्र सरकार के साथ मिलकर नक्सलियों की घेराबंदी से गांवों में फिर आदिवासियों की संस्कृति और परंपराओं के रंग दिखाई देने लगे हैं। सुरक्षा के साथ विकास से अब बस्तर एक नए रुप में लोगों के सामने आ रहा है।

आदिवासी क्षेत्रों में नक्सलियों के आतंक को रोकने के लिए राज्य की विष्णु देव साय सरकार ने सुरक्षा और विकास की नीति को मूल मंत्र बनाया है, इसके सार्थक परिणाम दिख रहे हैं। इन इलाकों में रहने वाले लोगों को शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने के साथ-साथ उन्हें सभी जरूरी सुविधाएं भी दी जा रही है। बस्तर के गांवों में केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ शतप्रतिशत हितग्राहियों तक पहुंचाने की मुहिम चलायी जा रही है।

इसका असर भी देखने को मिल रहा है। स्थानीय हाट बाजार अब गुलजार होने लगे हैं। बंद पड़े हाट बाजार और स्कूल अब फिर से शुरू हो रहे हैं। जिससे बस्तर की तस्वीर बदलती जा रही है और बस्तर में पुनः रौनक लौटी है। अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में पक्की सड़कों के निर्माण, स्कूलों के नियमित रुप से खुलने, उचित मूल्य दुकानों के बेहतर संचालन से बस्तर की तस्वीर बदलने लगी है। केन्द्र सरकार द्वारा नगरनार में देश का सबसे बड़ा इस्पात संयंत्र भी शुरू किया गया है, इससे बस्तर अंचल के विकास को नई गति मिली है और लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। सुकमा जिले के अंदरूनी व अतिसंवेदनशील क्षेत्र में बसा हुआ पूवर्ती गांव एक वक्त नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना हुआ करता था। एक करोड़ रूपए का ईनामी नक्सली हिड़मा तथा टेकलगुड़ा कैंप निर्माण के दौरान नक्सली हमले की घटना का मास्टरमाइंड देवा का यह पैतृक गांव होने के कारण हमेंशा चर्चा में रहा है। माओवादियों का प्रभाव में होने के कारण पूवर्ती गांव में शासन की योजनाएं नहीं पहुंच पा रही थी, लेकिन अब इस गांव में सुरक्षा कैम्प खुलने से यहां के लोगों को तेजी से मूलभूत सुविधाएं सुलभ होने लगी है।

सुरक्षा कैंपों के पास बढ़ी सुविधाएं
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित नए सुरक्षा कैम्पों के आसपास के 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों एवं ग्रामीणों को 17 विभागों की 59 हितग्राहीमूलक योजनाओं और 28 सामुदायिक सुविधाओं के तहत आवास, अस्पताल, पानी, बिजली, पुल-पुलिया, स्कूल इत्यादि मूलभूत संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर छत्तीसगढ़ के माओवादी आतंक प्रभावित जिलों के विद्यार्थियों को तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा के लिए ब्याज रहित ऋण मिल रहा है।

CG : रफ्तार का कहर- ट्रक की चपेट में आकर पति-पत्नी और बच्चे की दर्दनाक मौत, टक्कर के बाद बाइक से उछलकर दूर जा गिरा परिवार

गांवों में मिलने लगा सरकारी राशन
दरभा ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम कोलेंग में बारहमासी सड़क का निर्माण हुआ है, बिजली पहुंची है, आंगनबाड़ी केन्द्र प्रारंभ हुआ है। लोहंडीगुड़ा विकासखण्ड के ग्राम बोदली में उचित मूल्य दुकान खोली गयी है तथा पहुंच मार्ग का निर्माण किया जा रहा है। सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड अंतर्गत आने वाले गांव पूवर्ती में बनी राशन दुकान जल्द ही शुरू होगी। इस गांव में राशन दुकान नहीं होने के कारण यहां के लोगों को कई किलोमीटर दूर पैदल चल कर दूसरे गांव में राशन लेने जाना पड़ता है। अब गांव में ही राशन दुकान खुलने से ग्रामीणों को उनके ही गांव में राशन मिलने लगेगा। शासन-प्रशासन की पहुंच से कोंसो दूर बसा, यह गांव दशकों से मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा था, लेकिन अब यहां शासन की योजनाएं पहुंचने लगी है।

6 महीने में 32 सुरक्षा कैम्पों बने
6 महीने में 32 फारवर्ड सुरक्षा कैम्पों की स्थापना की गई। यही नहीं 9 महीनों के दौरान केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ मिलकर प्रदेश की पुलिस ने अलग-अलग मुठभेड़ों में 160 से ज्यादा नक्सलियों को ढेर किया गया। पिछले निकट भविष्य में दक्षिण बस्तर एवं माड़ में रि-डिप्लायमेंट द्वारा 29 नए कैम्पों की स्थापना भी प्रस्तावित है।

मारे गए सभी बड़े नक्सली नेता
पिछले 9 महीनों में बस्तर संभाग के अंतर्गत सुरक्षा बलों द्वारा तेलंगाना राज्य के निवासी माओवादी कैडर DKSZC सदस्य जोगन्ना, DKSZC सदस्य रंधीर, TSC सदस्य, CRC कमाण्डर सागर, DVCM विनय उर्फ रवि जैसे शीर्ष माओवादी कैडर्स के शव विभिन्न मुठभेड़ के पश्चात बरामद की गई एवम् इस अवधि में महाराष्ट्र राज्य निवासी माओवादी कैडर ACM संगीता उर्फ सन्नी तथा उडीसा निवासी PPCM लक्ष्मी का भी शव मुठभेड़ के पश्चात बरामद किया गया। इस प्रकार बड़ी संख्या में अन्य प्रांत के रहने वाले शीर्ष माओवादी कैडर्स का नक्सल विरोधी अभियान के दौरान पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में मारा जाना छत्तीसगढ़ में पहली बार हुआ है।

CG : रफ्तार का कहर- बेकाबू स्कॉर्पियो ने स्कूटी-बाइक समेत ठेले को मारी टक्कर, दुर्घटना में एक की मौत 6 घायल, नाराज भीड़ ने स्कॉर्पियो में लगा दी आग

गेम चेंजर बनी नियद नेल्ला नार योजना
नक्सल प्रभावित इलाकों में नियद नेल्ला नार योजना गेम चेन्जर्स साबित हो रही है। पहले नक्सली गतिविधियों के कारण शासन-प्रशासन द्वारा संचालित योजनाओं का समुचित लाभ भी अंदरुनी इलाकों में स्थानीय लोगों को नहीं मिल रहा था। लेकिन जब से नियद नेल्ला नार संचालित की जा रही है। यहां के लोगों की जिंदगी ही बदल गई है। प्राथमिक शाला भवन, आंगनबाड़ी भवन, उचित मूल्य की दुकान का निर्माण किया जा रहा है। डीटीएच का इंस्टालेशन हो रहा है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में यहां के बच्चों को पूरक-पोषण आहार मिल रहा है। गांवों में शुद्ध पेजयल उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हैण्डपंप लगाए जा रहे हैं। गांवों तक सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। जिससे अतिसंवेदनशील इलाके के इन गांवों की तस्वीर बदलने लगी है।

Related Articles