युक्तियुक्तकरण ब्रेकिंग: हाईकोर्ट में युक्तियुक्तकरण पर हुई सुनवाई….कोर्ट ने प्रभावित शिक्षकों को लेकर दिया ये आदेश

Yuktiyuktkaran News : युक्तियुक्तकरण के मामले पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। शिक्षकों ने नियम विरुद्ध युक्तियुक्तकरण व अतिशेष सहित कई अन्य बिंदुओं पर कोर्ट में चुनौती दी है। युक्तियुक्तकरण की सभी याचिका को एक साथ क्लब कर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों की दलीलों को सुना। आज करीब एक साथ 70 से ज्यादा केसों की सुनवाई हुई। कोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद ये निर्देश दिया है कि प्रभावित शिक्षक तीन दिन के भीतर अपना अभ्यावेदन जिला कमेटी को देंगे।

इससे पहले युक्तियुक्तकरण से प्रभावित शिक्षकों ने अलग-अलग बिंदुओं को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी, अजय श्रीवास्तव, देवाशीष तिवारी, गोविंद देवांगन, राजेश वर्मा सहित अन्य अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखा। सभी का पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने प्रभावित शिक्षकों को तीन दिन के भीतर जिला कमेटी में अभ्यावेदन देने को कहा है।

वहीं जिला कमेटी तय समय सीमा के भीतर अभ्यावेदन का निराकरण करेगी। कोर्ट ने आदेश दिया है कि सुनवाई तक संबंधित शिक्षकों पर दवाबपूर्ण कार्रवाई नहीं की जायेगी। हालांकि ये राहत सिर्फ उन शिक्षकों को मिलेगी, जिन्होंने ज्वाइन नहीं किया है, मतलब, जिन शिक्षकों ने ज्वाइन नहीं किया है, उन पर विभाग दवाब नहीं बना सकेगा।

वहीं जिन शिक्षकों ने ज्वाइन कर लिया है, लेकिन युक्तियुक्तकरण को लेकर याचिका दायर की है, उन्हें ये राहत नहीं मिलेगी। हालांकि ज्वाइनिंग कर चुके प्रभावित शिक्षक भी अपना अभ्यावेदन जिला कमेटी के समक्ष करा सकते हैं।

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण मामले की सुनवाई बुधवार को जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की अदालत में हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता शिक्षकों को थोड़ी राहत की खबर मिली है। सुनवाई के दौरान मौजूद सहायक शिक्षकों समग्र शिक्षक फेडरेशन के महासचिव अश्वनी कुर्रे ने कहा है कि सुनवाई के बाद प्रभावित शिक्षकों को न्यायालय से न्याय की उम्मीद बनी हुई है।

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मामले की अधिक जानकारी देते हुए अधिवक्ता गोविंद देवांगन ने बताया कियाचिकाकर्ताओं को अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है, जिसका निराकरण जिला स्तर की कमेटी करेगी। साथ ही, याचिकाकर्ताओं को इसके लिए समय भी प्रदान किया जाएगा।

सुनवाई में अधिवक्ता गोविंद देवांगन सहित अन्य अधिवक्ताओं ने याचिकाकर्ता शिक्षकों का पक्ष रखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए युक्तियुक्तकरण नियमों को मनमाना और गैर-कानूनी बताया। उन्होंने तर्क दिया कि विभाग ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में कई खामियां छोड़ीं, जैसे शिक्षकों को दावा-आपत्ति का अवसर न देना, रात में अतिशेष सूची जारी करना, और सुबह काउंसलिंग के लिए बुलाना। , जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। अधिवक्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि युक्तियुक्तकरण नीति कानूनसम्मत नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए।

सुनवाई के दौरान यह भी बात सामने आई कि परिवीक्षा अवधि वाले शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण से मुक्त रखने का निर्णय भेदभावपूर्ण है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 के समानता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं को “अतिशेष” घोषित करने का निर्णय भी बिना सुनवाई के लिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

अश्वनी कुर्रे ने बताया कि सुनवाई में जोरदार बहस हुई, जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों से न्यायालय ने कई सवाल किए, ।
। युक्तियुक्तकरण का मामला जटिल होने के कारण प्रत्येक याचिकाकर्ता की परिस्थितियों के आधार पर अलग-अलग निर्णय होने की संभावना है। विशेष रूप से उन शिक्षकों को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिन्होंने नए संस्थानों में पदभार ग्रहण नहीं किया।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता गोविंद देवांगन ने बताया कि अभी न्यायालय का विस्तृत आदेश अभी अपलोड नहीं हुआ है इसलिए कुछ अधिक नहीं कहा जा सकता।

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लेकिन सुनवाई के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर हमने अपना पक्ष रखा है कि। अब इस मामले में आगे की प्रक्रिया याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन और जिला स्तर की कमेटी के निराकरण पर निर्भर करेगी।

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