नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई: कभी नक्सलगढ़ रहा बस्तर अब नियद नेल्ला नार से बन रहा विकास का नया गढ़

रायपुर 28 मई 2025 छत्तीसगढ़ में नक्सलियों को जड़ से खत्म करने का अभियान अब लगता है कि अंतिम चरण पर है। गृह मंत्री अमित शाह के ऐलान ‘2026 तक नक्सलवाद मुक्त होगा भारत’ के बाद बड़े पैमाने पर लाल आतंक के खिलाफ ऑपरेशन चल रहे हैं। पिछले 14 महीने में 400 से ज्यादा नक्सली मारे जा चुके हैं। मई महीने में हुए एक बड़े मुठभेड़ में देश का सबसे बड़ा नक्सल लीडर नंवबल्ला केशव राव उर्फ बसवराजू मारा गया। जिसके सिर पर 1.5 करोड़ रुपये का इनाम था। बसवराजू 2010 के दंतेवाड़ा हमले और 2013 के झीरम घाटी नरसंहार का मास्टरमाइंड था। नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के तीन दशकों में यह पहली बार है कि सुरक्षाबलों द्वारा एक महासचिव स्तर के नक्सली को मार गिराया गया। इससे पहले 16 अप्रैल 2024 को कांकेर जिले में मारे गए 29 नक्सलियों में नक्सलियों के लीडर शंकर राव का भी खात्मा हुआ था, जिस पर 25 लाख रुपये का इनाम था।
वहीं, जनवरी 2025 में बीजापुर में नक्सली चालापति मारा गया था, उसके सिर पर 90 लाख रुपये का इनाम था। 18 नवंबर 2024 को कर्नाटक के उडुपी जिले के हेबरी क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने विक्रम गौड़ा को मार गिराया था। वो दक्षिण भारत में नक्सलवाद का सरगना था। इस तरह जवानों ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। लाल आतंक के खिलाफ केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त ऑपरेशऩ की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि अब नक्सली लाल आतंक से तौबा कर रहे हैं और मुख्यधारा में लौट रहे हैं। वहीं, जो आतंक की दुनिया को नहीं छोड़ रहे हैं वो इस दुनिया को छोड़ रहे हैं। अभी तक बड़ी संख्या में नक्सलियों ने हथियार डाले हैं और मुख्यधारा में लौटे हैं। इसके लिए सरकार ने उदार आत्मसमर्पण नीति भी बनाई है। साल 2025 के पहले चार महीनों में 700 से अधिक माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। आंकड़े बताते हैं कि नक्सलवाद अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है।
मजबूती से लड़ रहे लड़ाई
नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कहते हैं कि जब से हम सरकार में आए हैं, नक्सलवाद के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ रहे हैं। 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को समाप्त करने की दिशा में हमारे जवान आगे बढ़ रहे हैं। बस्तर और अबूझमाड़ में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन लगातार जारी हैं और नक्सली मारे जा रहे हैं।
बस्तर में विकास का नया सोपान
छत्तीसगढ़ के दक्षिणी सीमावर्ती इलाके जिनकी पहचान कभी नक्सलियों के गढ़ के रूप में हुआ करती थी, अब वह तेजी से विकास के गढ़ के रूप में अपनी पहचान बना रहे हैं। बस्तर के कैनवास पर अब एक नई तस्वीर उभर कर सामने आ रही है। यह राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के दूरदर्शी नेतृत्व और दृढ़-संकल्प के चलते संभव हो पाया है राज्य के घोर नक्सल प्रभावित जिलों में विकास की नई रेखाएं खींच रही हैं। कभी पिछड़ेपन और भय का पर्याय माने जाने बस्तर क्षेत्र में आज विकास की नई इबारतें लिखी जा रही हैं। विष्णु देव सरकार की जनहितैषी नीति, नक्सलवाद उन्मूलन अभियान और समग्र विकास ने इन क्षेत्रों में सकारात्मक और परिणाममूलक परिवर्तन की शुरुआत कर दी है।
राज्य के सात घोर नक्सल प्रभावित जिलों में से छह जिले कांकेर, बस्तर, बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और नारायणपुर बस्तर संभाग के अंतर्गत आते हैं तथा एक जिला मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी दुर्ग संभाग का हिस्सा है। इन जिलों में पिछले 15 महीनों में नक्सल उन्मूलन अभियान और विकास की रणनीति को समानांतर रूप से लागू करते हुए, छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों के पैर उखाड़ने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है।
विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रहे गांव
मुख्यमंत्री की जनकल्याणकारी नीतियों और योजनाओं की बदौलत अब आमजनता तेजी से विकास मुख्यधारा से जुड़ रही है। नियद नेल्ला नार योजना में शामिल गांवों में अब विकास की नई बयार बह रही है। शासन-प्रशासन की सक्रियता, जनसंपर्क और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से अब इन क्षेत्रों में विश्वास और उम्मीद की नई किरण दिखाई दे रही है। इन जिलों में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं बड़ी तेजी से उपलब्ध कराई गई हैं। योजनाओं का लाभ पात्र हितग्राहियों तक सुनिश्चित पहुंचाने का प्रयास भी लगातार जारी है। मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम जनमन, आयुष्मान भारत, पीएम किसान सम्मान निधि, उज्ज्वला योजना, आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसी योजनाओं से न केवल इन क्षेत्रों में सरकारी उपस्थिति मजबूत हुई है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी आमजन का सशक्तिकरण हुआ है। मनरेगा के तहत 29,000 नए जॉब कार्ड जारी हुए हैं, जिनमें 5,000 कार्ड नियद नेल्ला नार योजना में शामिल गांवों में बने हैं।