व्याख्याता पद पर पदोन्नति के लिए डीएड को मान्य करने हेतु सरकार तुरंत करे नियमों में बदलाव, प्रधान पाठक मंच ने कहा, व्याख्याता बनने के लिए बीएड की अनिवार्यता अनुचित
रायपुर 11 जनवरी 2024। व्याख्याता पद पर पदोन्नति के लिए सिर्फ बीएड प्रशिक्षित होने की अनिवार्यता पूर्णतः अनुचित, व्यावहारिक है। चूंकि व्याख्याता हाई स्कूलों एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में अध्ययन अध्यापन कराता है। इस पद में उच्च वर्ग शिक्षक के पद पर कार्यरत शिक्षकों की पदोन्नति होनी है। उच्च वर्ग शिक्षक एवं प्राथमिक प्रधान पाठक विगत कई वर्षों से प्राथमिक एवं मिडिल स्कूलों में अध्यापन अध्यापन का कार्य कर रहे हैं।
विगत अनेकों वर्षों से ऐसा नियम रहा है कि बगैर प्रशिक्षित एवं प्रशिक्षित डीएड बीएड दोनों योग्यता धारियों का व्याख्याता के पदों पर पदोन्नति होता रहा है। पहले की स्थिति में तो ऐसा रहता था कि 10 वीं एवं 12 वीं पढ़े लोग भी बड़े-बड़े पदों पर नौकरी पा जाते थे। अब सोशल मीडिया से जानकारी प्राप्त हो रही है कि व्याख्याता है बीएड की योग्यता अनिवार्य है। इस संबंध में हाईकोर्ट ने आदेश दिया है।
छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक मंच एवं शिक्षक एलबी संवर्ग संगठन ने इस नियम को पूर्णत: अव्यवहारिक, अनुचित एवं डीएड योग्यता धारी शिक्षकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया है। संगठन के प्रांत अध्यक्ष जाकेश साहू, प्रमोद शर्मा एवं परसराम निषाद सहित अन्य साथियों ने इस मामले में राज्य सरकार से मांग की है कि व्याख्याता पदोन्नति के लिए बीएड एवं डीएड दोनों योग्यता को समकक्ष माना जाना चाहिए।
इसके लिए राज्य सरकार को नियमों में बदलाव किया जाना चाहिए।सरकार इसलिए होता है कि जनहित में अव्यवहारिक नियमों को रद्द कर सही नियमावली बनाएं। सही नियमावली बनाने के लिए ही सरकार होती है। आज तक या देखने में आया है कि केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा जनहित एवं आम पब्लिक के हित के विरुद्ध जितने भी नियम बने हुए थे, जो देश और राज्य के लिए गलत था। उन नियमों में बदलाव किया गया है।
देश में धारा 370 जैसे गलत नियम को बंद कर दी गई। केंद्र सरकार ने ठोस नियम बनाया। राज्य सरकार ने भी विधानसभा में कानून पारित कर जनहित के अनेक नियम बनाए हैं। ऐसे में राज्य सरकार से अनुरोध की जाती है कि व्याख्याता पदोन्नति के लिए सिर्फ बीएड मान्यता नियम को शिक्षक हित में बदले। सरकार राज्य विधानसभा में एक नया विधायक पेश कर इस नियम में बदलाव करें एवं व्याख्याता पदोन्नति हेतु डीएड को भी उतना ही मान्यता दे जितना बीएड को।