3500 स्कूलों में प्राचार्य नहीं: आखिरकार पदोन्नति के लिए हाईकोर्ट में क्यों लगाना पड़ा कैविएट

रायपुर 22 सितंबर 2024। छत्तीसगढ़ के 3500 शालाओं में प्राचार्य के पद रिक्त हैं ऐसे प्राचार्य विहीन शालाओं में प्रभारी प्राचार्य के भरोसे शाला संचालित है जिसके कारण प्रदेश में शिक्षा गुणवत्ता प्रभावित है, ज्ञात हो यही प्राचार्य संकुल प्रभारी भी होते है।

स्कूल शिक्षा विभाग और डीपीआई के द्वारा संयुक्त संचालक व जिला शिक्षा अधिकारियों को पदोन्नति के निर्देश दिए गए थे जिसके तहत जेडी कार्यालय व जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने प्रदेश भर में पदोन्नति की है लेकिन प्राचार्य पदोन्नति करने का दायित्व शिक्षा विभाग पर डीपीआई का है जिन्होंने 12 वर्षों से ट्रायवल में वह 8 वर्षों से शिक्षा विभाग में पदोन्नति ही नहीं किया है, जिसके कारण लगभग 3500 शाला प्राचार्य विहीन है, जबकि प्राचार्य व व्याख्याता लगातार रिटायर हो रहे है।

रामगोपाल साहू एल बी संवर्ग के 1998 के व्याख्याता है जिनकी 26 वर्षों में अब तक पदोन्नति नहीं हुई, शिक्षाकर्मी के रूप में प्राचार्य पदोन्नति की परीक्षा 2005 – 06 में बैठने के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई, 2012 में पंचायत में रहने के दौरान प्राचार्य पदोन्नति के लिए नियम बना लेकिन शिक्षा विभाग में पंचायत को पद नहीं दिया जिसके कारण रामगोपाल साहू जैसे ही 1998 बैच के एल बी संवर्ग के व्याख्याता 26 वर्ष की सेवा एक ही पद पर दे रहे हैं जिनकी अब तक पदोन्नति नहीं हुई और ना ही उन्हें समयमान वेतनमान दिया गया है।

रामगोपाल साहू ने सिंगल बेंच उच्च न्यायालय बिलासपुर में भी केश लगाया था लेकिन उनके पूर्व सेवा की गणना नहीं किए जाने के कारण लाभ नहीं मिला इसके बाद डबल बेंच उच्च न्यायालय बिलासपुर में भी उन्होंने याचिका दायर किया था जिसमें संविलियन के बाद उन्हें 5 वर्ष की सेवा नहीं हुआ है इस तर्क के साथ शिक्षा विभाग ने अवसर नही दिया।

उसके बाद रामगोपाल साहू और उसकी टीम ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर किया है ज्ञात हो रामगोपाल साहू के लिए हाई कोर्ट के विद्वान अधिवक्ता अनूप मजूमदार ने लगातार पैरवी की है रामगोपाल साहू का संविलियन 2018 में हुआ है उसके बाद 5 मार्च 2019 के भर्ती और पदोन्नति नियम के तहत अब 6 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके हैं अतः वे संविलियन के बाद भी प्राचार्य पदोन्नति की पात्रता रखते हैं तथा वरिष्ठता सूची में उनका नाम है, सीआर व चल अचल संपत्ति की जानकारी मंगाया जा चुका है, इस विषय को ध्यान में रखते हुए रामगोपाल साहू की ओर से उच्च न्यायालय के विद्वान अधिवक्ता अनूप मजूमदार ने प्राचार्य पदोन्नति अवरुद्ध न हो या प्राचार्य पदोन्नति पर कोई भी याचिका दायर होने पर रामगोपाल साहू का पक्ष सुना जाए इस विषय से संबंधित केविएट हाई कोर्ट में दायर किया है।

रामगोपाल साहू का कहना है की शिक्षा विभाग द्वारा एल बी संवर्ग के व्याख्याता, पूर्व के शासकीय नियमित व्याख्याता व प्रधान पाठक पूर्व माध्यमिक शाला तीनों के पदोन्नति के लिए अलग-अलग रेशियो तय किया गया है जिसके तहत सभी का पदोन्नति हो, वर्तमान में किसी भी प्रकार से न्यायालय का अवरोध नहीं है और तीनों संवर्गों की अंतरिम और अंतिम वरिष्ठता सूची जारी किया जा चुका है, उन्होंने शिक्षा विभाग से मांग किया है कि शीघ्र ही 3500 शालाओं में प्राचार्य पद पर पदोन्नति किया जाकर शिक्षा गुणवत्ता में वृद्धि किया जावे, शासन द्वारा वर्तमान में पदोन्नति की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है जिसे और तेज गति देने की आवश्यकता है। अब तक पदोन्नति नही किये जाने के कारण शिक्षा विभाग को केविएट लगाकर पदोन्नति करना था, किन्तु हमने शिक्षा विभाग का सहयोग करते हुए केविएट लगाया है।

Related Articles