युक्तियुक्तकरण में है कई तकनीकी दिक्कत, मुकुंद उपाध्याय समझिये, क्यों युक्तियुक्तकरण उद्देश्यों को नहीं कर पायेगा पूरा

रायपुर 9 मई 2025। छत्तीसगढ़ में स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (Rationalization) को लेकर शिक्षक संगठनों ने तकनीकी खामियों और अव्यवस्थाओं पर आपत्ति जताई है। राज्य व्याख्याता पदोन्नति संघ के प्रदेश संचालक मुकुंद उपाध्याय ने व्यवस्था की गंभीर कमियों को उजागर करते हुए कहा कि बिना विषय आधारित दृष्टिकोण के शिक्षक स्थानांतरण से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।छत्तीसगढ़ राज्य व्याख्याता पदोन्नति संघ के प्रदेश संचालक मुकुंद केशव उपाध्याय ने युक्तियुक्तकरण के क्रियान्वयन में आ रही तकनीकी खामियों और नीति की अस्पष्टता की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान आदेश में स्पष्ट किया गया है कि विद्यालय में स्वीकृत पदों की संख्या की तुलना में यदि शिक्षक अधिक हैं, तो कनिष्ठ शिक्षकों को अन्य विद्यालयों में स्थानांतरित किया जाएगा। यह प्रक्रिया विषय की अनदेखी करते हुए केवल वरिष्ठता के आधार पर की जा रही है, जो भविष्य में शिक्षण गुणवत्ता पर गंभीर असर डाल सकती है।

मुकुंद उपाध्याय के अनुसार, यदि किसी स्कूल में गणित, विज्ञान और कला संकाय के शिक्षक कार्यरत हैं और तीन में से कनिष्ठ विज्ञान शिक्षक को सिर्फ इस आधार पर हटाया जाता है कि वह कनिष्ठ है, तो उस विद्यालय में उस विषय की पढ़ाई बाधित हो सकती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कोरबा जिले की स्थिति का उल्लेख किया, जहां उन्होंने बताया कि 1998 से अब तक मिडिल स्कूलों में विषयवार शिक्षक नियुक्ति नहीं हुई है।

मुख्य समस्याएं जो उन्होंने रेखांकित कीं, वे इस प्रकार हैं:

  • युक्तियुक्तकरण में विषय की अनदेखी, केवल वरिष्ठता के आधार पर स्थानांतरण।

  • सेटअप और स्वीकृत पदों की संख्या के अनुसार प्रक्रिया लागू करने में तकनीकी अड़चनें।

  • कई स्कूलों में एक विषय के शिक्षक अधिक, तो किसी विषय के शिक्षक पूर्णतः अनुपस्थित होने की आशंका।

  • कोरबा जैसे जिलों में विषयानुसार संतुलन बनाना लगभग असंभव।

उन्होंने आशंका जताई कि यदि इसी पद्धति पर आगे कार्रवाई हुई तो कोरबा जिले के लगभग 40 से 50 प्रतिशत विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों की भारी कमी हो जाएगी। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, विशेषकर गणित और विज्ञान जैसे मुख्य विषयों में।

उपाध्याय ने यह भी कहा कि विभाग को विषयानुसार और विद्यालय की वास्तविक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ही युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया लागू करनी चाहिए, अन्यथा यह कदम शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की बजाय कमजोर कर देगा।

शिक्षक संगठनों ने शासन से मांग की है कि इस प्रक्रिया में सुधार करते हुए विषय की आवश्यकता, स्कूल की भौगोलिक स्थिति, और शिक्षक की दक्षता जैसे कारकों को भी ध्यान में रखा जाए। साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि यदि मांगों पर उचित विचार नहीं किया गया, तो आंदोलन की राह भी अपनाई जा सकती है।

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