Top-up loan : महंगाई में सहारा बन रहा टॉप-अप लोन, लेकिन सावधानी जरूरी – जानिए फायदे और नुकसान

Top-up loan : इस बढ़ती महंगाई के दौर में घर, कार या अन्य महंगी चीजें खरीदने के लिए अक्सर लोग लोन का सहारा लेते हैं। पर्सनल लोन न सिर्फ एक विकल्प बन चुका है बल्कि लोगों की जरूरत भी बन गया है। यह लोन किस्तों में चुकाने की सुविधा देता है जिससे व्यक्ति पर तत्काल आर्थिक बोझ नहीं पड़ता। हालांकि, जब लोन से मिलने वाली राशि कम पड़ने लगे, तो लोग टॉप-अप लोन लेने का विकल्प चुनते हैं। लेकिन यह कितना फायदेमंद है और कब नुकसानदायक बन सकता है, आइए जानें।
Top-up loan : महंगाई में सहारा बन रहा टॉप-अप लोन

क्या होता है टॉप-अप लोन?
टॉप-अप लोन वह सुविधा है जिसके तहत कोई उधारकर्ता अपने पहले से चल रहे लोन पर अतिरिक्त राशि ले सकता है। इस प्रक्रिया में आमतौर पर नई डॉक्यूमेंटेशन की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि बैंक के पास पहले से उधारकर्ता की पूरी जानकारी मौजूद रहती है।
अधिकतर मामलों में यह उसी ब्याज दर पर दिया जाता है जिस पर मूल लोन लिया गया था।
टॉप-अप लोन के फायदे
बिना ज्यादा डॉक्यूमेंट्स के लोन प्रक्रिया पूरी होती है।
जल्द पैसा मिलने की संभावना अधिक रहती है।
मौजूदा लोन की ब्याज दर पर ही टॉप-अप मिल सकता है।
आपातकालीन स्थितियों में तत्काल फंड की व्यवस्था हो जाती है।
टॉप-अप लोन के नुकसान
प्रिंसिपल अमाउंट बढ़ने से ईएमआई की राशि भी बढ़ जाती है।
लोन की अवधि भी बढ़ सकती है, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक बोझ बढ़ सकता है।
अगर ब्याज दर पहले से ज्यादा है, तो टॉप-अप लेना नुकसानदेह हो सकता है।
अधिक ईएमआई होने पर मासिक बजट प्रभावित हो सकता है।
टॉप-अप लेना सही या गलत?
टॉप-अप लेना पूरी तरह से आपकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। अगर ब्याज दर अधिक है और ईएमआई बढ़ती जा रही है, तो यह आपके लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। ऐसे में यह जरूर सोचें कि आप बढ़ी हुई किस्तों का भुगतान कर सकते हैं या नहीं।
विशेषज्ञों की सलाह है कि व्यक्ति को उतना ही लोन लेना चाहिए, जितना वह आसानी से चुका सके। साथ ही अपनी सैलरी का एक हिस्सा हमेशा इमरजेंसी फंड के रूप में सुरक्षित रखें ताकि अचानक आने वाले खर्चों से निपटा जा सके।