क्या है यूनिफाइड लाइसेंस, जिससे बदल जाएगी इंश्योरेंस की दुनिया

सरकार बीमा कानूनों में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। इनमें इंश्योरेंस कंपनियों के लिए यूनिफाइड लाइसेंस लाना सबसे अहम है। साथ ही, सरकार बीमा सेक्टर में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) की मौजूदा सीमा को 74 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी करना चाहती है। इन बदलावों का मकसद देश में अधिक से अधिक नागरिकों को बीमा के दायरे में लाना है।

भारत में अभी लाइफ, जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट के नियम काफी जटिल हैं। जैसे कि लाइफ इंश्योरेंस कंपनी हेल्थ कवर नहीं बेच सकती। लेकिन, जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को हेल्थ से लेकर मरीन बीमा उत्पाद बेचने की इजाजत है। सरकार यूनिफाइड लाइसेंस के साथ इस नीतिगत जटिलता को दूर करना चाहती है। इससे एक ही बीमा कंपनी को लाइफ, जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट ऑफर करने की इजाजत मिल जाएगी।

  • लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां हेल्थ कवर जैसे प्रोडक्ट बेच सकेंगी। जनरल इंश्योरेंस कंपनियां भी जीवन बीमा बेच पाएंगी।
  • इससे नियमों की जटिलता कम होगी, जिससे घरेलू और विदेशी बीमा कंपनियां निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित होंगी।
  • इससे ग्राहकों को भी सहूलियत होगी। उन्हें अलग-अलग बीमा के लिए अलग-अलग कंपनी के पास नहीं जाना पड़ेगा।
  • यूनिफाइड लाइसेंस से इंश्योरेंस कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे ग्राहकों को बेहतर उत्पाद और सेवाएं मिलेंगी।
  • इससे नियामकीय ढांचे में सुधार होगा, जिससे इंश्योरेंस कंपनियों की गतिविधियों पर बेहतर निगरानी रखी जा सकेगी।

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