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ACB-EOW में 2 और FIR : DMF और धान घोटाले में दर्ज हुई FIR, DMF में IAS रानू साहू सहित कारोबारी और बिचौलियों पर मामला दर्ज

रायपुर 29 जनवरी 2023। ED के बाद अब जल्द ही ACB का एक्शन छत्तीसगढ़ में देखने को मिल सकता है। ACB में चार अलग-अलग मामले दर्ज किये गये हैं, जिसमें से कोयला और शराब घोटाले में 100 से ज्यादा लोगों पर FIR दर्ज की जानकारी दो दिन पहले आयी थी, अब खबर है कि दो अन्य FIR चावल घोटाले और DMF घोटाले में की गयी है। ये FIR 16 जनवरी और 17 जनवरी को केस दर्ज हुए थे। 16 जनवरी को FIR क्रमांक 1/24 में धारा-120-B-IPC, 409-IPC, 13(2)-PRE, 13(1)(a)-PRE और 17 जनवरी को एफआईआर क्रमांक 2/24 में धारा 120-B-IPC, 420-IPC, 12-PRE के तहत दर्ज केस हुआ था।

डीएमएफ मामले में IAS रानू साहू के खिलाफ नामजद FIR हैं। दरअसल कांग्रेस कार्यकाल में कोरबा जिले में डीएमएफ के पैसों का बड़े पैमाने पर बंदरबांट हुई थी। अब ED की शिकायत पर EOW ने जो मामले दर्ज किए हैं, उसके मुताबिक इस अनियमितता में तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू समेत अनेक विभागीय अफसर भी संलिप्त  हैं। शिकायत के मुताबिक कई टेंडर्स में अफसरों को सीधे-सीधे 40 फीसदी रकम पहुंचाई गई है

ईडी के प्रतिवेदन रिपोर्ट पर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने अपराध क्रमांक-02/2024 धारा 120बी, 420 भादवि एवं धारा-7,  धारा-12 के तहत् मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शिकायत के मुताबिक, कोरबा में तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू के साथ उनके मातहत अफसरों ने निविदा भरने वाले के साथ सांठगांठ की थी। डीएमएफ के पैसों से कराए जाने वाले कामों की निविदाओं के आबंटन में, बिल पास कराने के लिए, सामानों के वास्तविक मूल्य से कई गुना ज्यादा दाम के बिल पास किए गए।

शिकायत में जिन ठेकेदारों पर अफसरों को लाभ पहुंचाने की शिकायत है, उनमें संजय शेण्डे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, रिषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल, शेखर के नाम शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक कोरबा जिले में DMF से टेंडर्स के आंबटन में बड़े पैमाने पर पैसों का लेन-देन हुआ है। गलत ढंग से टेंडर की दरें तय कर ठेकेदारों को सीधे लाभ पहुंचाया गया, जिसके कारण प्रदेश शासन को बड़ी आर्थिक हानि हुई है।

शिकायत में प्रतिवेदन में यह भी साफ-साफ कहा गया है कि, अफसरों को कुल टेंडर दर में से लगभग 40 प्रतिशत रकम दिए गए। इतना ही नहीं बल्कि एक निजी कम्पनी को भी इन निविदाओं के लिए 15 से 20 प्रतिशत अलग-अलग दरों से कमीशन दिया गया है। इसी तरह प्रदेश के कई जिलों में डी.एम.एफ. में भारी वित्तीय अनियमितता बरतकर शासन को नुकसान पहुंचाया गया है। 

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