ब्रेकिंग: छत्तीसगढ़ में भी पश्चिम बंगाल की तर्ज पर बनाए गए हैं OBC सर्टिफिकेट? नगरीय निकायों में बने ऐसे OBC प्रमाण पत्रों की शिकायत पहुंची सरकार तक, उपमुख्यमंत्री ने कहा, कराएंगे जांच

रायपुर 24 मई 2024। फर्जी जाति प्रमाण पत्र को छत्तीसगढ़ सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा है कि, पिछले 5 सालों में छत्तीसगढ़ में बनाए गए जाति प्रमाण पत्रों की जांच कराई जाएगी। उप मुख्यमंत्री ने ये फैसला कोलकाता हाईकोर्ट के उस फैसले के बाद लिया है, जिसमें 2010 के बाद जितने भी OBC सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया गया है।

Telegram Group Follow Now

 

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 5 सालों में बने जाति प्रमाणपत्रों की जांच कराई जाएगी। जाति प्रमाणपत्रों की जांच को लेकर डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि शिकायत आई है कि 5 सालों में नगरीय निकायों में बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाणपत्र बने है। राज्य सरकार ऐसे सभी फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच कराएगी।

 

क्या है कोलकाता हाईकोर्ट का फैसला

 

कलकत्ता हाईकोर्ट ने 2010 के बाद जारी किए गए सभी ओबीसी सर्टिफिकेट को रद्द करने का आदेश दिया है। उस सर्टिफिकेट को दिखाकर अब कोई भी व्यक्ति नौकरी नहीं पा सकता है। हालांकि, यह उन आदेश उन लोगों पर लागू नहीं होगा जिन्हें पहले नौकरी मिल चुकी है।

 

कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती और राजशेखर मंथर की बेंच ने कहा कि 2011 से प्रशासन ने बिना किसी नियम का पालन किए बगैर ओबीसी सर्टिफिकेट जारी कर दिए। इस तरह से ओबीसी सर्टिफिकेट देना असंवैधानिक है। यह सर्टिफिकेट पिछड़ा वर्ग आयोग की कोई भी सलाह माने बगैर जारी किए गए। इसलिए इन सभी सर्टिफिकेट को कैंसिल कर दिया गया है।2012 से टीएमसी सरकार एक कानून लेकर आई थी। इसी को कोर्ट में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार को ओबीसी की लिस्ट बनाने के लिए 1993 के कानून के मुताबिक आयोग की सिफारिश विधानसभा को सौंपनी होगी। तपोब्रत चक्रवर्ती की बेंच ने कहा, ‘तो फिर ओबीसी किसे माना जाएगा, इसका फैसला विधानसभा करेगी। वेसोय बंगाल पिछड़ा वर्ग कल्याण को इसकी सूची तैयार करनी है। राज्य सरकार उस लिस्ट को विधानसभा में पेश करेगी। जिनके नाम इस लिस्ट में होंगे उन्हीं को ओबीसी माना जाएगा।सत्ता में आने के बाद से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बार-बार दावा किया है कि उन्होंने लगभग सभी मुसलमानों को ओबीसी के तहत ला दिया है। टीएमसी सरकार ने सभी मुस्लिमों को ओबीसी की कैटेगरी में ला दिया है और मुस्लिम समुदाय की आबादी रिजर्वेशन का फायदा भी उठा रही है। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्हें बार-बार यही कहते हुए सुना गया है। हालांकि, कलकत्ता हाईकोर्ट ने आज साफ कर दिया है कि जिस तरीके से ममता बनर्जी सरकार ने 2011 में ओबीसी प्रमाणपत्र जारी किया था वह अवैध था।

Related Articles

NW News