VIDEO-मुख्यमंत्री की लंबी उम्र के लिए पत्नी ने रखा वट सावित्री व्रत, जानिये क्या है व्रत के पीछे की कहानी, जिसे सुहागन…
रायपुर 6 जून 2024। आज वट सावित्री व्रत के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय की अगुवाई में दर्जन भर महिलाओं ने पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर सुहागन महिलाओं ने बरगद के पेड़ की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना करते हुए वटवृक्ष की परिक्रमा की और अपने-अपने पति की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना की। पूजा के दौरान महिलाओं ने सावित्री और सत्यवान की कथा भी सुनी।
पूजा-अर्चना के बाद कौशल्या साय ने सभी सुहागन महिलाओं को अपनी शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह पर्व पति-पत्नी के बीच अटूट प्रेम, स्नेह और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व हिंदू धर्म की महिलाओं का, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह प्रकृति पूजा का भी पर्व है। इस पर्व में हम सब पेड़ों की पूजा, मिट्टी की पूजा भी करते हैं। इस व्रत को सुहागन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए करती हैं। इस अवसर पर मैं देश और प्रदेश की सभी सुहागन महिलाओं को अपनी बधाई एवं शुभकामनाएं देती हूँ। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए कहा कि हम सबको मिलकर पेड़ों के संरक्षण की दिशा में काम करना है।
जानिये क्या है इसकी पूरी कथा
स्कंदपुराण की कहानी के अनुसार सावित्री का विवाह सत्यवान के साथ हुआ था। दोनों एक-दूसरे के प्रति समर्पित थे। एक दिन सत्यवान लकड़ी काटने गए लेकिन अचानक सत्यवान की तबियत बिगड़ने लगी। जब सत्यवान घर आए, तो बेसुध होने लगे। यह देखकर सावित्री ने सत्यवान का सिर अपनी गोद में रख लिया। इतने में यमराज सत्यवान के प्राण हरने लगे। यह देखकर सावित्री ने उन्हें रोकने का प्रयास किया लेकिन यमराज यह कहकर सत्यवान के प्राण ले जाने लगे कि सत्यवान अल्पायु थे, इसलिए उनका समय आ गया है। उन्होंने सावित्री को वापस घर लौटने को कहा लेकिन सावित्री यमराज के पीछे आती रही। यह देखकर यमराज ने वापस लौटने के बदले सावित्री को तीन वरदान मांगने को कहा। सावित्री ने कहा कि पहला वर है कि मेरे सास-ससुर की आंखों की रोशनी वापस आ जाए, दूसरा वर सावित्री का खोया हुआ राज्य वापस मिल जाए। तीसरा वर मांगते हुए सावित्री ने कहा कि “मैं 100 पुत्रों की मां बनना चाहती हूं।” यमराज ने अपना पीछा छुड़ाने के लिए सावित्री को तथास्तु कहा और वहां से सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगे। लेकिन तभी सावित्री ने यमराज को रोकते हुए कहा कि आपका दिया वरदान पूरा कैसे होगा, जब आपने मेरे पति के प्राण ही हर लिए हैं। पतिव्रता स्त्री को देखकर यमराज ने सावित्री के पति सत्यवान के पति वापस लौटा दिए। यमराज के कहने पर सावित्री घर के पास मौजूद वट वृक्ष के पास लौटी, तो वहां पर सत्यवान के मृत शरीर में वापस प्राण आ गए।