CG POLITICS : बृजमोहन के इस्तीफे के बाद शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन का मुखिया कौन ? सीनियर मंत्री की जगह सूबे के मुखिया अब करेंगे….!

रायपुर 20 जून 2024। बीजेपी के कद्दावर नेता और सूबे के शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने अंततः बुधवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के पहले ही कयास लगाये जा रहे थे कि उनके सारे विभाग किसी नये मंत्री की जगह किसी सीनियम मिनिस्टर को दिये जायेंगे। लेकिन इस्तीफे के बाद ऐसा कुछ भी होता नजर नही आ रहा है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल के पुनर्गठन तक बृजमोहन अग्रवाल के सारे विभाग मुख्यमंत्री के पास ही रहेंगे।

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छत्तीसगढ़ की सियासत में पिछले एक सप्ताह से चल रही खींचतान पर बुधवार को विराम लग गया। आचार संहिता के बाद साय सरकार की पहली कैबिनेट की बैठक में वहीं हुआ, जिस पर सबकी निगाहे टिकी थी। पार्टी के सीनियर लीडर और शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने उदास मन से मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। आपको बता दे कि पिछले एक सप्ताह में बृजमोहन अग्रवाल के मंत्री पद से इस्तीफा को लेकर गरमायी राजनीति के बाद प्रदेश की राजधानी से लेकर देश की राजधानी तक के बड़े लीडर्स की नजर रायपुर के हर मूवमेंट पर थी। इसी बीच कई ऐसे राजनीतिक घटनाक्रम भी हुए।

लिहाजा सूत्रों की माने तो इस पूरे मैटर पर पार्टी में ही बढ़ती राजनीति को देखते हुए दिल्ली के आला कमान को हस्तक्षेप करना पड़ा। जिसके बाद ये तय हुआ कि बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक बृजमोहन अग्रवाल की आखिरी कैबिनेट होगी। इस बैठक में ही बृजमोहन अग्रवाल इस्तीफा देंगे। हुआ भी कुछ ऐसा ही कैबिनेट की बैठक में पहुंचे बृजमोहन अग्रवाल के चेहरे पर पहले जैसा तेज नजर नही दिखा, उदास और भारी मन से अंततः उन्होने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को मंत्री पद से इस्तीफ सौंप दिया। इस खबर के सामने आते ही एक बार फिर पक्ष-विपक्ष और ब्यूरोक्रेसी की नजरें उस नाम का इंतजार करती दिखी, जिसे बृजमोहन अग्रवाल के विभागों की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती थी।

जी हां, पहले ये कयास लगाये जा रहे थे कि बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफ के बाद कैबिनेट के किसी सीनियर मंत्री को इसकी जवाबदारी सौंप दी जायेगी। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नही। संविधान में ये प्रावधान है कि जिस विभाग के मंत्री नहीं होते हैं, वो विभाग मुख्यमंत्री के पास होते हैं। लिहाजा, बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद अब उनके सारे विभाग मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पास ही चले गये हैं।  इसका कारण भी स्पष्ट है, यदि किसी सीनियर लीडर को शिक्षा,संस्कृति,पर्यटन और संसदीय कार्य का विभाग सौंपा जाता है, तो वह नये सिये विभाग में आमूल-चूल परिवर्तन करना चाहेंगे। ऐसे में 5 दिन बाद शुरू हो रहे शिक्षा सत्र पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा। ठीक यहीं हाल दूसरे विभागों की भी हो सकती है।

ऐसे में सरकार किसी भी तरह से प्रयोग के मूड में नही है। लिहाजा आचार संहिता खत्म होने के बाद अब सरकार जनता के बीच बेहतर परफार्मेंस और गुड गर्वनेंस का रोड मैप तैयार कर काम करने की तैयारी में है। यहीं वजह है कि बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद उनके सारे विभाग किसी मंत्री को देने के बजाये खुद मुख्यमंत्री के पास रहने की अधिकांश संभावना है। रही बात बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद सूबे में खाली पड़े 2 मंत्री पर की, तो मंत्रिमंडल के पुनर्गठन अभी वक्त लग सकता है। ऐसे में लगभग तय माना जा रहा है कि शिक्षा,संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय के साथ ही संसदीय कार्य विभाग की जिम्मेदारी किसी को न देकर सारे विभाग मुख्यमंत्री के अधिनस्त ही होंगे।

 

 

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