युक्तियुक्तकरण के विरोध में उतरे सात संगठन आये एक मंच पर, मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन, लिखा, तुरंत बंद हो युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया

रायपुर 12 अगस्त 2024। शिक्षकों व स्कूलों के युक्तियुक्तकरण को लेकर शिक्षक वर्ग में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। लिहाजा शिक्षक संगठन लामबंद होने लगे हैं। जांजगीर में सात शिक्षक संगठनों ने मिलकर युक्तियुक्तकरण कोलेकर मोर्चा खोला है। छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के विश्वनाथ सिंह परिहार व अर्जुन सिंह क्षत्रीय, छत्तीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस के रोशन नेगी, छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के धन्य कुमार पांडेय, छत्तीसगढ़ शिक्षक फेडरेशन के शरद राठौर, छत्तीसगढ़ राज्य कर्मचारी संघ के अनुभव तिवारी और छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक समग्र शिक्षक फेडरेशन की तरफ से  रविंद्र राठौर ने संयुक्त ज्ञापन मुख्यमंत्री को सौंपा है।

2 अगस्त को जारी युक्तियुक्तकरण को लेकर दिशा निर्देश के कई मुताबिक कई स्कूल या तो बंद हो जायेंगे या फिर उनका असितत्व ही पूरी तरह से खत्म हो जायेगा। वैसी ही कुछ स्थिति शिक्षकों की होने वाली है। जिसके तहत शिक्षक के भी 30 हजार के करीब पद खत्म हो जायेंगे।

शिक्षा विभाग के जानकारों का कहना है कि सेटअप में पूरी तरह से बदलाव हो जाने से शिक्षा व्यवस्था बूरी तरह से चरमरा जायेगी। इधर शिक्षक संघ ने इस मामले में मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा है। एसडीएम जांजगीर के माध्यम से भेजे गये मुख्यमंत्री को ज्ञापन में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोकने की मांग की गयी है। वहीं जारी निर्देश में संशोधन की मांग की गयी है। संघ ने मांग में कहा है कि …

  1. किसी भी विद्यालय को बंद न किया जाए। दर्ज संख्या बढ़ाने के समुचित उपाय किये जाने पर जोर दिया जाए।
  2. शिक्षकों की वरिष्ठता का निर्धारण शाला में कार्यभार ग्रहण दिनांक के स्थान पर विभाग में नियुक्ति तिथि से किया जाए।
  3. शिक्षक सेट अप से किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ न किया जाए।
  4. प्राथमिक शालाओं में 60 से कम दर्ज संख्या पर 1 प्रधान पाठक एवं सिर्फ 1 शिक्षक पदस्थ करने का निर्णय पूरी तरह से अव्यवहारिक है। प्राथमिक शाला में 5 कक्षाओं का संचालन होता है इस मान से 1 प्रधान पाठक सहित कम से कम 4 शिक्षक तो होने ही चाहिए।
  5. पूर्व माध्यमिक शालाओं में विषय आधार पर अध्यापन कार्य होता है। अतः हायर सेकेण्डरी विद्यालयों की तरह पूर्व माध्यमिक शालाओं में भी सभी विषय के शिक्षक अनिवार्य रूप से पदस्थ होने चाहिए। केवल दर्ज संख्या के मान से युक्तियुक्तकरण करने से विद्यालय में विषय शिक्षकों की कमी हो जायेगी, जिससे अध्यापन कार्य प्रभावित होगा। अध्यापन की गुणवत्ता प्रभावित होगी। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विरुद्ध है।
  6. शालाओं में प्रधान पाठकों की नियुक्ति विषय आधार पर नहीं होती, अतः प्रधान पाठकों को विषय शिक्षक के रूप में न गिना जाए।
  7. विद्यालय में दो वर्ष से कम पदांकन अवधि वाले शिक्षकों को अतिशेष मानकर प्रभावित न किया जाए। यह प्रदेश के स्थानांतरण नीति के विरूद्ध है।
  8. उच्च न्यायालय के आदेश से पदस्थ शिक्षकों को अतिशेष मानकर प्रभावित न किया जाए।
  9. जारी निर्देश में दिव्यांग शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया से मुक्त रखा गया है। इसी तरह से गंभीर बीमारी / लाईलाज बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों को भी युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से मुक्त रखा जाए।
  10. शासन द्वारा मान्यता प्राप्त संगठनों के पदाधिकारियों को युक्तियुक्तकरण की प्रकिया से मुक्त रखा जाए। पूर्व में भी की गई युक्तियुक्तकरण की प्रकिया में मान्यता प्राप्त संगठनों के पदाधिकारियों को प्रक्रिया से मुक्त रखा गया था। अतः उनकी सहमति बगैर उन्हें स्थानांतरित न किया जाए।
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