कटहल की खेती करके कमाए लाखो रूपये का मुनाफा  ,जाने कैसे

कटहल की खेती करके कमाए लाखो रूपये का मुनाफा  ,जाने कैसे

कटहल की खेती करके कमाए लाखो रूपये का मुनाफा  ,जाने कैसे कटहल के कच्चे एवं पके दोनों प्रकार के फलों की उपयोगिता है। कटहल भारत का एक महत्वपूर्ण फल होता है, इसकी बागवानी बिना विशेष देखभाल के भी हो जाती है।सब्जियों में कटहल का काफी महत्वपूर्ण स्थान होता है।

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कटहल के कच्चे फलों का आचार भी बना कर तैयार किया जाता है और पका फल खाया जाता है। इसकी सर्वाधिक खेती असम की जाती है। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत के राज्यों में भी इसकी बागवानी बड़े पैमाने पर की जाती है।

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खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

कटहल की खेती करने के लिए सभी प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती है ,लेकिन गहरी दोमट तथा बलुई दोमट मिट्टी इसकी बागवानी के लिए सबसे अधिक उपयुक्त होती है। जल विकास का अच्छा प्रबंध होना अति आवश्यक है। इनकी जड़े भूमि में अधिक पानी के जमाव को सहन नहीं करती है ,जिसके फलस्वरूप जल स्तर ऊपर उठने पर पौधे सूखने लगते हैं।

कटहल उष्ण कटिबन्धीय फल होता है। इसे शुष्क तथा नम दोनों प्रकार की जलवायु में उगाया जा सकता है। इसकी बागवानी मैदानी भागों से लेकर समुद्र तल से लगभग 1000 मी. ऊँचाई तक पहाड़ों पर कर सकते है।

कटहल की किस्में

कटहल का एक ही किस्म के बीज द्वारा तैयार पौधों में भिन्नता होती है। इसकी प्रमुख किस्में रसदार, खजवा, सिंगापुरी, गुलाबी, रुद्राक्षी आदि हैं। सिंगापुरी किस्म एक जल फल देने वाली किस्म होती है तथा गुणों में फल मध्यम श्रेणी के होते हैं ,और यह बारहमासी किस्में होती हैं।

कटहल की खेती का पौधारोपण

कटहल की खेती करने हेतु रोपाई के लिए जुलाई से सितम्बर तक का समय अच्छा होता है। इसके लिए भूमि की अच्छी तरह से जुताई करना होता है उसके बाद पाटा चलाकर भूमि को समतल बना लेना चाहिए। फिर बाद में 10 से 12 मीटर की दूरी पर 1 मीटर व्यास एवं गहराई का गड्ढा बना लेना चाहिए। इन गड्ढों में 20 से 25 किग्रा. गोबर की सड़ी खाद अथवा कम्पोस्ट, 250 ग्राम सिंगल सुपर फ़ॉस्फेट, 500 म्युरियेट ऑफ़ पोटाश, 1 किलो नीम की खल्ली तथा 10 ग्राम थाइमेट को मिट्टी में अच्छी प्रकार मिलाकर डालना चाहिए।

कटहल के खेती का प्रसारण

इसका प्रसारण इनाचिंग और गूटी द्वारा और अधिकतर बीज से किया जाता है। यह बड़े आकार एवं उत्तम किस्म के कटहल से बीज का चुनाव करना चाहिए। बीज को पके फल से निकलने के बाद ताजा  बोना अच्छा माना जाता है।

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