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सरकारी कर्मचारियों को VPN, Google Drive जैसी सर्विस यूज करना बैन…. सरकार ने जारी किया आदेश… जानें क्या है वजह

नयी दिल्ली 19 जून 2022। भारत सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों को आदेश जारी किया है कि वे गूगल ड्राइव और ड्रॉपबॉक्स सहित थर्ड-पार्टी, गैर-सरकारी क्लाउड प्लेटफॉर्म के साथ-साथ नॉर्ड VPN और एक्सप्रेस VPN समेत वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) सर्विसेस का यूज ना करें. राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा पारित यह आदेश सभी मंत्रालयों और विभागों को भेज दिया गया है

भारत सरकार ने अपने कर्मचारियों को थर्ड पार्टी और गैर-सरकारी क्लाउड प्लेटफॉर्म जैसे Google Drive और Dropbox यूज करने से बैन कर दिया है. सरकारी कर्मचारी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) सर्विस का भी यूज नहीं कर सकते हैं. सरकारी कर्मचारियों को वीपीएन इस्तेमाल करने से भी मना किया गया है।

सरकार की ओर से 10 पन्नों की रिपोर्ट में NordVPN, ExpressVPN, Tor और proxies वीपीएन को इस्तेमाल करने से मना किया गया है। इसके अलावा रिमोट कंट्रोल वाले एप्स जैसे TeamViewer, AnyDesk और Ammyy Admin के इस्तेमाल की भी मनाही है।

हाल ही में पॉपुलर VPN सर्विस NordVPN और ExpressVPN ने अपने नेटवर्क को भारत में हटाने की घोषणा की थी. ये घोषणा तब की गई जब सरकार ने नई VPN पॉलिसी की घोषणा की है. कर्मचारियों को लोकप्रिय क्लाउड सर्विसेस का उपयोग करने से प्रतिबंधित करने के अलावा, सरकार ने कर्मचारियों को नॉर्ड VPN, एक्सप्रेस VPN, टोर और प्रॉक्सी सहित किसी भी थर्ड-पार्टी की गुमनाम सर्विसेस और VPN का उपयोग नहीं करने का निर्देश दिया है. इसके अलावा, “अनअथॉराइज्ड रिमोट एडमिनिस्ट्रेशन टूल” जैसे कि TeamViewer, AnyDesk, और Ammyy Admin का उपयोग करने से भी परहेज करने का निर्देश दिया है. 

कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस ऑर्डर को नेशनल इंफोर्मेटिक्स सेंटर (NIC) ने पास किया है और इसे सभी मिनिस्ट्री और डिपार्टमेंट्स को भेज दिया गया है. ऑथोरिटी ने सरकारी कर्मचारियों को नई गाइडलाइन मानने के लिए कहा है. 

इस ऑर्डर को लेकर कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने अप्रूव किया है. इससे पहले नई VPN पॉलिसी की घोषणा की गई थी जिसमें VPN सर्विस प्रोवाइडर्स और डेटा सेंटर कंपनी को डेटा को 5 साल के लिए स्टोर करने के लिए कहा गया है. 


VPN को लेकर सरकार ने क्या कहा है?
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एजेंसी सीईआरटी ने पिछले हफ्ते अपने एक आदेश में कहा है कि वीपीएन सेवा प्रदाताओं को अपने उपयोगकर्ताओं के नाम, ईमेल आईडी और आईपी एड्रेस सहित अन्य डाटा को पांच साल या उससे अधिक समय तक सेव करके रखना होगा। आदेश में कहा गया है कि यदि किसी कारणवश से किसी वीपीएन कंपनी का रजिस्ट्रेशन रद्द होता तो उसके बाद भी उसे डाटा मांगा जा सकता है। सीधे शब्दों में कहें तो किसी वीपीएन कंपनी के बंद या बैन होने के बाद भी उसे सरकार को डाटा देना होगा। VPN को लेकर नया कानून 28 जून 2022 से लागू हो रहा है। आदेश में यह भी कहा गया है कि सभी सेवा प्रदाताओं को अपने सिस्टम में अनिवार्य रूप से लॉगिन की सुविधा देनी चाहिए।

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