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NW न्यूज स्पेशल : थैक्यू कका ! विशेष पिछड़ी जनजाति की जिंदगी बदल रही है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ये सोच, 708 युवाओं को अब तक मिली सरकारी नौकरी  

रायपुर 21 अप्रैल 2023। असीमा बाई ने जिंदगी में गरीबी को बेहद करीब से देखा। 100-200 रुपये के लिए पिता तपती दुपहरी में मजदूरी करते, तो मां को दूसरों के घरों में बर्तन मांजती। मुफ़लिसी से लड़ते हुए जशपुर के बगीचा के ग्राम कुरहाटिपना की असीमा ने ग्रेजुएशन तो किया, लेकिन कभी सोचा नहीं था, कि उसे सरकारी नौकरी मिल जायेगी। लेकिन, असीमा अब शिक्षक बन चुकी है। कभी खुद गरीबी में गुजार चुकी असीमा, अब मुफलिसी के बीच पल रहे सैंकड़ों बच्चों की जिंदगी संवार रही है और ये बता भी रही है कि अगर मेहनत में ईमानदारी है, तो भूपेश सरकार उनके सपनों को पर लगाने के लिए तैयार बैठी है।

असीमा ही नहीं, विजय कुमार, शामबती पहाड़िया, शंशु राम, ब्रजकिशोर पहाड़िया सभी की जिंदगी अब बदल चुकी है। ये सभी ’पहाड़ी कोरवा’ और ’बिरहोर’ जनजाति से ताल्लुक रहते हैं। बेशक इन युवाओं ने इस विलुप्त होती जनजाति में जन्म लिया, लेकिन पढ़ाई और मुकाम अपने बूते पायी, ये बात अलग है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इनके हौसलों को सम्मान देकर समाज में इन्हें नयी पहचान दी। आदिवासियों की विलुप्त होती सात प्रजातियों के पढ़े लिखे युवाओं को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी में शिक्षक व बाबू बनाकर सरकारी नौकरी देने की सोच मुख्यमंत्री ने आज से तीन साल पहले रखी थी।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सिर्फ विलुप्त हो रही जनजाति के सरंक्षण और संवर्धन के साथ मुख्य धारा में जोड़ने के लिए शासकीय नौकरी देने का जो खाका तैयार किया है, उससे अब तक सैकड़ों युवा सरकारी नौकरी पा चुके हैं। उसी कड़ी में 21 अप्रैल को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल  जशपुर जिला के 142 युवाओं को सरकारी नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र वितरित किया। जशपुर जिले की विशेष पिछड़ी जनजाति ’पहाड़ी कोरवा’ और ’बिरहोर’ जनजाति के इन युवाओं के हाथों में नियुक्ति पत्र होना, ना सिर्फ सूबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सपने को सच होने से जैसा था, बल्कि उन पीढ़ियों को भी नयी दिशा देने की कोशिश थी, जिन्हें नाम तो हमेशा संरक्षित जनजाति का दिया गया, लेकिन उनके संरक्षण, सुरक्षा और जीवनशैली में सुधार की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।

708 युवाओं को मिल चुकी है अब तक नौकरी

मुख्यमंत्री की सोच का ही परिणाम है कि प्रदेश में अब तक विशेष पिछड़ी जनजाति के 708 युवाओं को शासकीय नौकरी दी अब तक दी जा चुकी है। आदिम जाति कल्याण विभाग की आयुक्त श्रीमती शम्मी आबिदी ने बताया कि जशपुर जिले में विशेष पिछड़ी जनजातियों के सर्वाधिक 199 युवाओं को शासकीय नौकरी दी गई है। इसी तरह बलरामपुर जिले में 95 तथा कबीरधाम जिले में इन जनजातियों के 80 युवाओं को नौकरी दी गई है। कलेक्टर जशपुर डॉ. रवि मित्तल ने बताया कि विशेष पिछड़ी जनजातियों के जिन युवाओं को आज नौकरी दी गई, उनमें हायर सेकंडरी सर्टिफिकेट परीक्षा उतीर्ण 124, स्नातक उत्तीर्ण 11 एवं स्नातकोत्तर उत्तीर्ण 06 पहाड़ी कोरवा शामिल है। बिरहोर समुदाय के भी 01 अभ्यर्थी को भी नियुक्ति दी गई है। जो हायर सेकंडरी सर्टिफिकेट परीक्षा उत्तीर्ण है। जशपुर में ’पहाड़ी कोरवा’ और ’बिरहोर’ जनजाति के 142 युवाओं को 21 अप्रैल को मिले नियुक्ति पत्र के पहले भी जिले 57 संरक्षित जनजाति के युवाओं को शासकीय नौकरी मिल चुकी है।


7 जनजातियों को माना गया है संरक्षित जनजाति

प्रदेश सरकार ने 7 जनजातियों को संरक्षित श्रेणी में रखा है। आदिवासियों की पांच प्रजातियों को बैगा पहाड़ी कोरवा, कमार, अबुझमाड़िया व बिरहोर को ही राष्ट्रपति संरक्षित प्रजातियों में गिना जाता था। उसके बाद पंडो और भूंजिया को भी राज्य सरकार ने विलुप्त जनजातियों में शामिल कर लिया है। भूपेश बघेल ने बगीचा में भेंट-मुलाकात के दौरान विशेष पिछड़ी जनजातियों के युवाओं को सीधी भर्ती के पदों पर नियुक्ति दिलाने की घोषणा की थी।

बैगा 
ये बिलासपुर, मुंगेली व कवर्धा जिलों में पाए जाते हैं। इनके परिवार 16 हजार 675 हैं। जनसंख्या करीब 7 लाख 71 हजार 862 है। ये 522 गांवों में बसे हैं।

अबुझमाड़िया
ये नारायणपुर, बीजापुर व दंतेवाड़ा जिलों में पाए जाते हैं। इनके 3 हजार 895 परिवार हैं। इनकी जनसंख्या करीब 19 हजार 401 है। ये 201 गावों में बसे हैं।

कमार 
ये गरियाबंद व धमतरी जिलों में मिलते हैं। इनके 5 हजार 542 परिवार हैं। इनकी आबादी 23 हजार 288 है। ये 429 गावों में बसे हैं।

पहाड़ी कोरवा
ये कोरबा, जशपुर, सरगुजा व सूरजपुर जिलों के पहाड़ों में बसे हैं। इनके केवल 404 परिवार ही बचे हैं। इनकी आबादी 37 हजार 472 है। ये 134 गांवों में बसे हैं। 

बिरहोर
ये रायगढ़ व जशपुर जिलों में मिलते हैं। इनके करीब 800 परिवार हैं। जनसंख्या 3 हजार 34 है। ये 82 गांवों में बसे हैं। 

पंडो

पंडो सूरजपुर, बलरामपुर व सरगुजा जिलों में मिलते हैं। इनकी जनसंख्या 31 हजार 814 है।

भूंजिया

भूंजिया गरियाबंद व धमतरी जिले में मिलती है। इनकी आबादी 7 हजार 199 है।

संरक्षित जनजातियों के संरक्षण की सबसे बड़ी कोशिश

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, इन समुदायों के कुल 9,623 योग्य युवाओं को राज्य में रोजगार कार्यालयों में नामांकित किया गया है और उन सभी को नौकरी मिलेगी. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस समुदाय को रोजगार देने के लिए सरकारी खजाने पर सालाना 346.43 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। दरअसल जनजातीय समाज परंपरागत रूप से विकास की दौड़ में पिछड़ा समाज है। इस समाज में कुछ समुदाय बहुत ज्यादा पीछे रह गए हैं। राज्य की विशेष पिछड़ी जनजातियों के उत्थान के लिए राज्य शासन द्वारा बहुआयामी प्रयास किए जा रहे हैं। इन समुदायों के पढ़े-लिखे नौजवानों को शासकीय सेवाओं में उनकी पात्रता के अनुसार सीधी नियुक्ति दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने भी कहा कि आदिवासियों के उत्थान के लिए जल-जंगल-जमीन के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए हमने पेसा कानून के सबसे बेहतर नियम लागू किए हैं। 65 प्रकार की वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और उनके प्रसंस्करण से वनवासियों को रोजगार और आय के अच्छे साधन मिल रहे हैं। कोदो-कुटकी-रागी का समर्थन मूल्य तय करके उनकी खरीदी की व्यवस्था की गई है। इन फसलों के लिए भी राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा की इन युवाओं ने बहुत विषम परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई की है। सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्ति मिलने से इन समुदाय में पढ़ाई के लिए उत्साह बढ़ेगा। 

मिला नियुक्ति पत्र पर खुशी से झूम उठे युवा

जशपुर जिले के विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा और बिरहोर समुदाय के युवा शासकीय नौकरी पाकर बहुत खुश है। बगीचा विकासखंड के ग्राम नवरंगपुर निवासी तथा सहायक ग्रेड 3 के पद पर नियुक्त श्री विजय कुमार ने बताया कि वे आर्थिक तंगी की वजह से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए, उनके माता-पिता ने कृषि मजदूरी एवं मनरेगा के तहत काम कर उनकी स्नातक की पढ़ाई पूरी करवाई। उन्हें पूर्व में अतिथि शिक्षक के रुप में नियुक्ति मिली थी। मुझे जशपुर जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग में सहायक ग्रेड-3 के पद पर नियुक्ति मिली। 


चतुर्थ श्रेणी के पद पर स्वच्छता परिचारक के पद पर नियुक्त सराईटोली, सन्ना की श्रीमती शामबती पहाड़िया ने बताया कि उनके माता-पिता ने कृषि मजदूरी एवं उधार लेकर उन्हें शिक्षा दिलवाई है। नियुक्ति प्राप्त इन युवाओं ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया। राजपुर, बगीचा के संकल्प शिक्षण संस्थान में कक्षा 10 वीं में अध्ययनरत ग्राम राजपुर के छात्र शंशु राम ने मुख्यमंत्री श्री बघेल से फर्राटेदार अंग्रेजी में बात की। मुख्यमंत्री द्वारा पूछे जाने पर शंशु राम ने बताया कि वे भविष्य में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए आईआईटी मुंबई जाना चाहते हैं। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि खूब बढ़िया सपना आपने देखा है और इसे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत है। अनुशासन, कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से पढ़ाई करेंगे तो निश्चित ही आपका सपना साकार होगा। मनोरा विकासखंड के पहाड़ी कोरवा समाज की संरक्षक श्रीमती पंडरी ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया। 

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