शिक्षा विभाग: सहायक संचालक के खिलाफ जांच प्रतिवेदन के पन्ने गायब, DPI ने JD से पूरी रिपोर्ट की तलब, आखिर कौन बचा रहा है दागी अफसर को?

रायपुर 26 जून 2024। …आखिर कौन बचा रहा है विवादित सहायक संचालक केआर डहरिया को? जांच में दोषी पाये जाने के बाद कार्रवाई में क्यों अफसरों के कांप रहे हैं हाथ? आरोपी को बचाना क्या गुनाह की सहभागिता नहीं ? ये सवाल भी है और बड़ी शर्मिंदगी भी…दरअसल जिस सहायक संचालक के खिलाफ जांच प्रतिवेदन DPI को भेजा गया है, उस जांच प्रतिवेदन के पन्ने ही गायब मिले हैं। लिहाजा डीपीआई ने संयुक्त संचालक को पत्र भेजकर जांच प्रतिवेदन के 129 पन्ने मांगे हैं।

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डीपीआई ने बिलासपुर जेडी को पत्र भेजकर 7 दिन के भीतर पूरा जांच प्रतिवेदन मांगा है। दरअसल कोरबा DEO कार्यालय में पदस्थ सहायक संचालक केआर डहरिया पर कई तरह के आरोप लगे हैं। पिछले दिनों तक कलेक्टर तक के निर्देश को ठेंगा दिखा देने का प्रकरण सामने आया था। आरोपों का घड़ा जब फूटा को संयुक्त संचालक की तरफ से जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया।

स्वयंभू DEO (सहायक संचालक) के आर डहरिया के खिलाफ  भ्रष्टाचार, दुर्व्यवहार और नाफरमानी के मामले की जांच अप्रैल महीने में शुरू हुई थी, जिसमें कई स्तर पर डहरिया के खिलाफ आरोपों की पुष्टि भी हुई। तीन सदस्यीय कमेटी ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट संयुक्त संचालक को सौंपी थी। जिसके आधार पर डहरिया के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव शासन स्तर पर भेजा गया था।

लेकिन, कमाल की बात ये है कि जांच प्रतिवेदन से पन्ने ही गायब मिले हैं। जांच प्रतिवेदन के पन्ने गायब होना तो चिंता की बात है ही, सवाल भी सबसे बड़ा ये है कि आखिर जांच प्रतिवेदन के पन्ने गायब किये तो किसने किये? क्या ये सहायक संचालक को बचाने की कोशिश है।

रिजाइन कर चुके शिकों को भी करा दी ड्यूटी ज्वाइन

सहायक संचालक डहरिया पर पिछले दिनों गंभीर आरोप लगा था। उन्होंने दो-दो त्यागपत्र दे चुके शिक्षकों की पुनः नियुक्ति का आदेश जारी किया था। ये आदेश उन्होंने तब जारी कर दिया था, जबकि डिप्टी कलेक्टर प्रदीप साहू उस वक्त डीईओ के प्रभार में थे। जब इस मामले में केआर डहरिया से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, उन्होंने जल्दबाजी में हस्ताक्षर कर दिया था। लेकिन अब एक और कारगुजारी सामने आयी है, जिसमें  6 मार्च 2024 को भी डहरिया ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर इसी तरह से शिक्षक को रिलीव किया था। जबकि, विषय यह है कि इस तरह का तकनीकी त्यागपत्र में कार्यभार पुनः ग्रहण करने का आदेश वही अधिकारी निकाल सकता है जिसके पास डीडीओ पावर होता है वो भी अपने उच्च अधिकारियों की सहमती लेकर ही वह आदेश कर सकता है। परंतु के आर डहरिया ने बिना किसी से सहमति लिए ऐसा कृत्य किया है।

विवादों से रहा है डहरिया का पुराना नाता

ये कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी कई मौके आये हैं, जब सहायक संचालक डहरिया की कार्यशैली सवालों में रही है। दुर्व्यवहार से लेकर कई तरह के निर्देशों को लेकर शिक्षक संगठन इनकी शिकायत भी कर चुके हैं। जिले के शिक्षा अधिकारी गोवर्धन भारद्वाज के निलंबन के पश्चात इसी विभाग में सहायक संचालक के रूप में संलग्न के आर डहरिया जिनका मूल पद व्याख्याता का है, जो स्वयं को प्रभारी प्राचार्य जैसा पद बताकर शासन स्तर से सहायक संचालक का आदेश करवा विवादो के साथ यथावत स्थापित है। पिछले वर्ष हुए सहायक शिक्षक से प्रधान पाठक के पदांकन में इन्होंने जो मनचाहे जगह पर पोस्टिंग की पर्चियां सील मुहर और हस्ताक्षर के साथ बांटी थी, जिस पर उच्च न्यायालय ने लोक शिक्षण संचालनालय को पत्र लिखकर अवगत कराया था। जिस पर लोक शिक्षण संचालनालय ने डहरिया की दो वेतन वृद्धि तक रोकने का आदेश किया था।कुछ दिन पूर्व के आर डहरिया ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में एक तानाशाही आदेश निकलकर सभी को प्रभावित किया, जिस पर लिपिकों ने नाराजगी जाहिर करते हुए, कलेक्टर एवं लोक शिक्षण संचलालय तक इसकी शिकायत कर दी थी। जिसकी जांच हेतु कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ को जांच अधिकारी बनाकर जांच शुरू कर दी है,परंतु डहरिया अपने कृत्यों से अब भी बाज नही आ रहे।

 

 

 

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