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Who is Deputy Chief Minister: उप-मुख्यमंत्री को क्या-क्या है अधिकार ? मंत्रिमंडल में कितनी होती है ताकत ? सिंहदेव कितना हो जायेंगे पावरफुल, जानिये सबकुछ

रायपुर 29 जून 2023। छत्तीसगढ़ में पहली बार डिप्टी सीएम कोई बनने जा रहा है। टीएस सिंहदेव को बार्टी ने उप मुख्यमंत्री बनाया है। जब से छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम बनाने का ऐलान हुआ, लोगों के जेहन में उप मुख्यमंत्री को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आखिर डिप्टी सीएम के पास पावर कितनी होती है। उसके पास क्या-क्या अधिकार होते हैं। वैसे देखा जाये जाये तो उप-मुख्यमंत्री पद (Who is Deputy Chief Minister) कुछ सालों पहले राजनीति में बहुत कम होता था, लेकिन आज के समय में यह पद आम हो गया है। आज हम आपको बताने जा रहे है कि किसी राज्य के उप मुख्यमंत्री (Who is Deputy Chief Minister)  का क्या काम होता है और उसके पास कितनी शक्तियां होती है।

क्या संवैधानिक पद है डिप्टी सीएम?

उप-मुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister) पद संवैधानिक नहीं है. इस पद पर आसीन व्यक्ति को मुख्यमंत्री की शक्तियां प्राप्त नहीं होतीं और न ही वो मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में प्रदेश की अगुवाई कर सकता है. मुख्यमंत्री कई मौकों पर सूबे से बाहर यात्रा के दौरान जरूरी राजकीय कार्यों को पूर्ण करने के लिए अपने किसी वरिष्ठ मंत्री को जिसे वह उचित समझें कुछ शक्तियां दे सकते हैं. संविधान में वाकई में उप-मुख्यमंत्री जैसे किसी पद का उल्लेख नहीं है. यहां तक कि शपथ-ग्रहण समारोह के दौरान डिप्टी सीएम अलग से शपथ लें, ऐसा तक नहीं होता है।

क्या है डिप्टी सीएम का काम?

सबसे पहले आपको बता दें कि डिप्टी सीएम का पद (Who is Deputy Chief Minister) संवैधानिक नहीं होता है। इस पद पर आसीन नेता को सीएम जिनती पावर नहीं होती है। डिप्टी सीएम मुख्यमंत्री की अनुपतिस्थति में प्रदेश सरकार को चलाने के लिए वाध्य नहीं होता है। ऐसे कई मौके आते हैं जब राज्य का सीएम राज्य से बाहर यात्रा के दौरे पर जाता है तो राज्य के जरूरी कार्य को पूरा करने के लिए वह अपने मंत्री मंडल में से किसी एक मंत्री को यह जिम्मेदारी सौंप सकता है। वही संविधान में भी डिप्टी सीएम (Who is Deputy Chief Minister) जैसे पद का उल्लेख नहीं है। इतना ही नहीं शपथ के दौरान डिप्टी सीएम (Who is Deputy Chief Minister) अलग से शपथ नहीं ले सकता है। यह भी संविधान में कहीं नहीं लिखा हुआ है। चूंकि डिप्टी सीएम का पद कोई संवैधानिक पद नहीं है इसलिए इन्हें अलग से भी कोई ताकत नहीं मिलती है. अगर ये पद संविधान में होता, तो कोई जानकारी या फाइल प्रॉपर चैनल से होते हुए ऊपर जाती, यानी पहले फाइल उप-मुख्यमंत्री के पास पहुंचती और वहां से मुख्यमंत्री तक जाती. लेकिन ऐसा है नहीं. उप-मुख्यमंत्री वही विभाग देख सकता है, जो उसे सौंपे जाएं. उप मुख्यमंत्री को दूसरे मंत्रियों से अलग कोई भत्ता या सुविधा भी नहीं मिलती है. वह सिर्फ अपने विभागों के लिए ही जिम्मेदार होता है.   

कितना पावरफुल होता है डिप्टी सीएम?

दरअसल संविधान में डिप्टी सीएम (Who is Deputy Chief Minister) के पद का कोई उल्लेख नहीं है ऐसे में यह पद संवैधानिक पद नहीं है, जिसके चलते डिप्टी सीएम (Who is Deputy Chief Minister)  पावर फुल नहीं होता है। लेकिन अगर यह पद संविधान में होता, तो कोई भी जानकारी या फिर सरकारी फाइले पहले डिप्टी सीएम (Who is Deputy Chief Minister) तक जाती इसके बाद मुख्यमंत्री तक जाती। लेकिन हां किसी उप-मुख्यमंत्री को जो विभाग दिया जाता है। वो वही विभाग के कार्य देख सकता है। साथ ही उप मुख्यमंत्री (Who is Deputy Chief Minister) को दूसरे मंत्रियों से तहर अलग से किसी भी प्रकार का भत्ता नहीं मिलता है।

सुप्रीम कोर्ट जा चुका है मामला

उपमुख्यमंत्री की तरह उप प्रधानमंत्री का भी पद संवैधानिक पद नहीं होता है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका है। जब साल 1989 में तत्कालीन रामास्वामी वेंकटरमण, देवीलाल चौधरी को शपथ दिला रहे थे। शपथ के दौरान देवीलाल चौधरी को मंत्री पद की शपथ लेनी थी लेकिन वह अपने आप को उप प्रधानमंत्री बोल कर संबोधित कर रहे थे। इसी को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर कहा था कि वह भले ही अपने आप को उप प्रधानमंत्री बता रहे हो या मान रहे हो लेंकिन उकने अधिकार केंन्द्रीय मंत्री जैसे ही रहेंगे। यही बात डिप्टी सीएम (Who is Deputy Chief Minister)  पर लागू होती है।

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