Bad Habits : चाहकर भी नहीं छुड़ा पा रहे हैं बुरी आदतों से पीछा: क्यों होती हैं ये आदतें और कैसे पाएं मुक्ति?

Bad Habits हमारे जीवन में कब और कैसे घर कर जाती हैं, यह अक्सर हमें पता भी नहीं चलता। चाहे वह स्मोकिंग हो, ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल हो, आलस हो, या फिर अनहेल्दी खानपान, ये आदतें धीरे-धीरे हमारे रोज के जीवन का हिस्सा बन जाती हैं। लेकिन जब हम इन्हें छोड़ने की कोशिश करते हैं, तो पाते हैं कि यह इतना आसान नहीं है। बुरी आदतों को छोड़ना मुश्किल क्यों होता है? इसके पीछे कई मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और सामाजिक कारण होते हैं। आइए जानें इनके बारे में।

Bad Habits : चाहकर भी नहीं छुड़ा पा रहे हैं बुरी आदतों से पीछा

Bad Habits
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दिमाग की आदत पर निर्भरता

बुरी आदतें हमारे दिमाग में गहराई तक जड़ जमा लेती हैं। जब हम कोई आदत दोहराते हैं, तो हमारे दिमाग में डोपामाइन नाम के केमिकल का सीक्रेशन होता है, जो हमें खुशी और संतुष्टि का एहसास देता है। यही डोपामाइन हमें उस आदत को बार-बार दोहराने के लिए मोटिवेट करता है। जब हम आदत छोड़ने की कोशिश करते हैं, तो दिमाग इस सुखद अनुभव को खोने के डर से विरोध करता है, जिससे छोड़ना मुश्किल हो जाता है।

आदतों का ऑटोमेटिक होना

आदतें हमारे दिमाग में एक ऑटोमेटिक प्रक्रिया बन जाती हैं। उदाहरण के लिए, जब हम तनाव में होते हैं, तो बिना सोचे-समझे सिगरेट पीने लगते हैं या जंक फूड खाने लगते हैं। यह रिएक्शन हमारे कंट्रोल से बाहर हो जाता है और इसे बदलने के लिए हमें काफी कोशिश करनी पड़ती है।

मनोवैज्ञानिक लगाव

बुरी आदतें अक्सर हमारी भावनाओं से जुड़ी होती हैं। जब हम उदास, स्ट्रेस्ड या अकेले होते हैं, तो ये आदतें हमें सुकून देती हैं। उदाहरण के लिए, कई लोग तनाव कम करने के लिए स्मोक करते हैं। जब हम आदत छोड़ने की कोशिश करते हैं, तो इमोशनल सपोर्ट के अभाव में हम असहज महसूस करते हैं, जिससे आदत छोड़ना और भी मुश्किल हो जाता है।

सोशल और पर्यावरण के प्रभाव

हमारा पर्यावरण और सामाजिक दायरा भी हमारी आदतों को प्रभावित करता है। अगर हमारे आसपास के लोग भी वही बुरी आदतें अपनाते हैं, तो हमारे लिए उन्हें छोड़ना और भी मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके दोस्त स्मोक करते हैं, तो आपके लिए इसे छोड़ना मुश्किल होगा, क्योंकि आप उनके साथ समय बिताने के दौरान फिर से इसकी ओर आकर्षित हो सकते हैं।

बदलाव का डर

अक्सर व्यक्ति किसी न किसी बदलाव से डरता है। बुरी आदतों को छोड़ने का मतलब है अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना। यह डर और अनिश्चितता हमें आदत छोड़ने से रोकती है। हमें लगता है कि आदत छोड़ने के बाद हमारा जीवन कैसा होगा, और यह डर हमें कोशिश करने से रोकता है।

धैर्य और कोशिश की कमी

बुरी आदतों को छोड़ने के लिए धैर्य और लगातार कोशिश की जरूरत होती है। कई बार हम तुरंत रिजल्ट चाहते हैं और जब ऐसा नहीं होता, तो हम हार मान लेते हैं। आदतों को बदलने में समय लगता है और इस प्रोसेस में असफलताएं भी आती हैं, लेकिन इन असफलताओं से हार न मानना ही सफलता की कुंजी है।

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