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NW स्पेशल: नरवा विकास, भूपेश बघेल सरकार का नरवा विकास, हरियाली के साथ वनांचल में भरा उल्लास….

रायपुर 11 सितंबर 2023 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल और मार्गदर्शन में राज्य के वन क्षेत्रों में भू-जल संरक्षण के साथ ही संवर्धन के लिए शानदार काम हो रहा है. अपने इन कामों से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल देश भर में जल संरक्षण के लिए अगवानी करते दिखाई दे रहे हैं. सीएम के महती प्रयासों से बड़ी तादाद में जल स्रोतों, नदी-नालों और तालाबों को पुनर्जीवित करने का काम छत्तीसगढ़ में किया गया है. भूपेश बघेल सरकार की बहुप्रतीक्षित नरवा विकास कार्यक्रम के तहत प्रदेश में 02 राष्ट्रीय उद्यान, 03 टाईगर रिजर्व और 01 एलीफेंट रिजर्व सहित 24 जिलों के 32 वन मंडलों के नालों में भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण हो रहा है.

इसे इसी समझा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ राज्य प्रतिकरात्मक वनरोपण, निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (कैम्पा) मद से बनने वाली इन जल संग्रहण संरचनाओं से वनांचल में रहने वाले लोगों और वन्य प्राणियों के लिए पेयजल की उपलब्धता तो सुनिश्चित हो रही है, साथ ही नाले में पानी का भराव रहने से आस-पास की भूमि में नमी बनी रहती है. इससे खेती-किसानी में सुविधा के साथ-साथ आय के स्रोत और हरियाली में भी बढ़ोतरी हो रही है. जिससे वनांचल में उल्लास ही उल्लास भर गया हैै

26 लाख 75 हजार 544 भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण-

कैम्पा मद की वार्षिक कार्ययोजना 2022-23 के अंतर्गत ‘नरवा विकास’ कार्यक्रम में राज्य के वनांचल स्थित 01 हजार 503 छोटे-बड़े नालों में 26 लाख 75 हजार 544 भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण जारी है. इसके निर्माण के लिए 284 करोड़ 81 लाख रूपए की राशि स्वीकृत है. इससे 2.79 लाख हेक्टेयर भूमि को उपचारित किया जा रहा है. साल 2022-23 में ही बड़े तादाद में वनांचल के 1503 नालों में भू-जल संवर्धन का काम हो रहा है. कैम्पा मद से लगभग 27 लाख संरचनाओं का निर्माण प्रगति पर है

कैम्पा की वार्षिक कार्ययोजना 2022-23 के अंतर्गत भू-जल संबंधी संरचनाओं का विकास-

नरवा विकास कार्यक्रम के तहत कैम्पा की वार्षिक कार्ययोजना 2022-23 के अंतर्गत गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के 50 नालों में 10 करोड़ की राशि से 87 हजार 351, इन्द्रावती टायगर रिजर्व के अंतर्गत 64 नालों में 13 करोड़ की राशि से 5 हजार 663 और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के 8 नालों में 1.20 करोड़ की राशि से 1 हजार 554 संरचानाओं का निर्माण प्रगति पर है. इसी तरह एलिफेंट रिजर्व तोमर पिंगला के 57 नालों में 11 करोड़ की राशि से 24 हजार 594, अचानकमार टायगर रिजर्व के 46 नालों में 9.31 करोड़ की राशि से 39 हजार 868 और उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व के 11 नालों में 1.70 करोड़ रूपए से 14 हजार 579 भू-जल संबंधी संरचानाओं का निर्माण प्रगति पर है.

विभिन्न वन मंडलों के तहत कार्य-

वन मंडलवार खैरागढ़ के 34, बालोद के 12, राजनांदगांव के 24, कवर्धा के 60 और बिलासपुर के 40 नालों में सरंचानाओं का निर्माण हो रहा है. इसके अलावा वनमंडलवार मरवाही के 86 नालों, कोरबा के 27 नालों, कटघोरा के 30 नालों, रायगढ़ के 41 नालों, धरमजयगढ़ के 22 नालों, जांजगीर-चांपा के 14 और मुंगेली के 22 नालों में संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है. गरियाबंद के 67 नालों, बलौदाबाजार के 28 नालों, धमतरी के 44 नालों, महासमुंद के 40 नालों में संरचानाओं का निर्माण जारी है. इसके अलावा कांकेर के 49 नालों, पूर्व भानुप्रतापपुर के 29 नालों, पश्चिम भानुप्रतापपुर के 37 नालों, केशकाल के 35 नालों, दक्षिण कोण्डागांव के 59 नालों, नारायणपुर के 43 नालों, सुकमा के 32 नालों बस्तर के 56 नालों, बीजापुर के 37 नालों, दंतेवाड़ा के 25 नालों में संरचनाओं का निर्माण हो रहा है. इसी तरह जशपुर के 23 नालों, सरगुजा के 32 नालों, सूरजपुर के 33, बलरामपुर के 51 नालों, कोरिया के 87 नालों तथा मनेन्द्रगढ़ के 48 नालों में संरचानाओं का निर्माण किया जा रहा है.

केंद्रीय अधिकारियों की भी मिल चुकी है सराहना-

राज्य सरकार के इस प्रोजेक्ट को केंद्रीय अधिकारियों की भी सराहना मिली है. वन विभाग के अधिकारियों ने नरवा विकास योजना के अंतर्गत मृदा और जल संरक्षण पर हो रहे कार्यों का लेखा-जोखा राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रस्तुत किया था. राजधानी में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई थी. जिसमें केंद्र सरकार के अधिकारियों ने राज्य में चल रहे नरवा विकास कार्यक्रम की सराहना की थी

नरवा विकास कार्यक्रम के अंतर्गत यह बनाया गया-

इस कार्यक्रम के तहत बनाए गए संरचनाओं में ब्रश वुड चेक डैम, लूज बोल्डर चेक डैम, गेबियन संरचना, मिट्टी चेक डैम, कंटूर ट्रेंच और स्टेगर्ड कंटूर ट्रेंच आदि निर्माण शामिल है. इसके अलावा गली प्लग, चेक डैम, स्टाप डैम, परकोलेशन टैंक तथा तालाब, डबरी और वाटरहोल आदि भू-जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है

नरवा विकास कार्यक्रम के फायदे-

छत्तीसगढ़ में नरवा विकास कार्यक्रम के तहत कैम्पा मद अंतर्गत वनांचल स्थित नालों में काफी तादाद में भू-जल संरक्षण संबंधी कार्याे का तेजी से क्रियान्वयन जारी है. इससे वन क्षेत्रों के भू-जल स्तर में काफी सुधार दिखाई देने लगा है और वनवासियों सहित क्षेत्रवासियों को पेयजल, सिंचाई और निस्तारी आदि सुविधाओं का भरपूर फायदा मिलने लगा है. साथ ही साथ इससे वन संरक्षण और संवर्धन के कार्यों को भी बढ़ावा मिला है. राज्य में इसके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए वन और जलवायु परिवर्तन विभाग को ’स्कॉच अवार्ड’ के पर्यावरण श्रेणी के लिए स्वर्ण पुरस्कार भी मिल चुका है….

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