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गांधी जयंती 2023 : गांधी जी को महात्मा और राष्ट्रपिता की संज्ञा किसने और क्यों दी थी , जानिए उनके जीवन से जुड़ी प्रेरणादायक बातें

2 अक्टूबर 2023|2 अक्टूबर को हर वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाई जाती है. इस बार देश बापू की 154वीं जयंती मना रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब रूस-यूक्रेन जंग के संबंध में दो टूक कहते हैं कि ‘यह युग युद्ध का नहीं है’ तो उनके इस कथन में महात्मा गांधी का दृष्टिकोण ही झलकता है. ‘अहिंसा परमो धर्म:’ को आत्मसात कर अपने जीवन काल में इस विचार की ताकत बापू ने दुनिया को महसूस भी कराई और अहिंसक सत्याग्रहों के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान देकर देश और दुनिया के मन में हमेशा के लिए रच बस गए. 

देशों में उथल-पुथल, संकट और कई मोर्चों पर असमानता के चलते युद्ध के मुहाने पर खड़ी नजर आती दुनिया में बापू के विचारों की कितनी जरूरत है, यह किसी से छिपा नहीं है. सादा जीवन उच्च विचार और सत्य के मार्ग पर चलकर अहिंसा का पालन करने का उनका सिद्धांत आज भी दुनिया को शांति की राह दिखाता है.

कब गांधी को मिला बापू का नाम

आजादी के लड़ाई में अपना सबकुछ त्याग देने वाले गांधी का जीवन बहुत ही सादा और सादगी से भरा हुआ था। गांधी जी का जीवन एक साधक से कम नहीं था। सादा जीवन और उच्च विचार के नियम का पालन करे वाले गांधी न सत्य और अहिंसा का मार्ग चुना और लोगों को प्रेरणा भी दी। एक धोती और लाठी के साथ कई पदयात्राओं, कारागारों तक का गांधी ने सफर तय किया। उन्होंने समाज में सौहर्द लाने का प्रयास किया, इस कारण लोग प्रेमवश गांधी को बापू (पितातुल्य) कहकर बुलाने लगे। बता दें कि गांधी जी अपनी मृत्यु के अंतिम क्षणों तक प्रेम, सौहार्द और अहिंसा की बात करते रहे। 

गांधी को किसने दी राष्ट्रपिता की संज्ञा?

गांधी को पहली बार राष्ट्रपिता सुभाष चंद्र बोस ने कहा था। सुभाष चंद्र बोस ने गांधी को राष्ट्रपिता कहकर सम्मानित किया था। ये कहते हुए उन्होंने कहा था कि राष्ट्रपिता का स्वतंत्रता आंदोलन में अहम योगदान है। इसी के बाद से अमूमन गांधी के लिए राष्ट्रपिता शब्द का इस्तेमाल होने लगा। हालांकि राष्ट्रपिता और महात्मा की संज्ञा पर अब लोगों द्वारा कई तरह के बयान भी दिए जाते हैं। 

आजादी के लिए गांधी के आंदोलन

स्वतंत्रता के लिए गांधी जी ने कई आंदोलन किए। इसमें सत्याग्रह और खिलाफत आंदोलन, नमक सत्याग्रह, डांडी यात्रा आदि शामिल है। गांधी जी ने देश की आजादी की लड़ाई में अहिंसा की सिद्धांत अपनाया। हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच सौहार्द और एकता बढ़ाने का प्रयास किया।

स्वतंत्रता के बाद

भारतीय स्वतंत्रता मिलने के बाद गांधी जी ने भारतीय समाज के साथ सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए काम किया और हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया। उन्होंने सच्चाई, संयम और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

सादगी ही सौन्दर्य

आजादी की लड़ाई में गांधी जी ने अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया। उनके लिए सादगी पूर्ण जीवन ही सौन्दर्यता थी। गांधी जी का जीवन एक साधक के रूप में भी मशहूर है। उन्होंने सादगी, निर्लिप्तता, और आत्मा के साथ संबंध को महत्वपूर्ण धारणाओं में जिया। एक धोती में पदयात्रा, आश्रमों में जीवन व्यतीत करने वाले गांधी भारतीयों के लिए पिता तुल्य हो गए और लोग उन्हें प्रेम व आदरपूर्वक बापू कहकर पुकारने लगे।

गांधी को सबसे पहले किसने कहा था महात्मा

गांधी जी को पहली बार महात्मा शब्द की संज्ञा और उपाधि रवींद्रनाथ टैगोर ने दी थी। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक पहली बार गांधी जी को 1915 में वैद्य जीवन राम कालिदास ने महात्मा कहकर संबोधित किया था। वहीं कुछ इतिहासकारों के मुताबिक पहली बार गांधी जी को महात्मा की उपाधि रवींद्रनाथ टैगोर ने दी थी। इसके बाद से ही गांधी जी के लिए राष्ट्रपिता और महात्मा जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाने लगा।

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