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हाईकोर्ट : ….जब आधी रात को खुला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का दरवाजा….रात 8 बजे लगी अर्जी और फिर कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई… जानिये क्या है पूरा मामला

बिलासपुर 5 अगस्त 2022। फरियादी ग्रामीणों की याचिका पर गुरुवार की बीती रात 11 बजे हाईकोर्ट खोला गया और ग्रामीणों के घर से बेदखली की कार्रवाई पर रोक लगाई गई। कोर्ट ने फरियादी ग्रामीणों को अंतरिम राहत देते हुए उनको घर से बेदखल करने पर रोक लगा दी है। ग्रामीणों के खिलाफ अतिक्रमण के मामले में कार्रवाई की जा रही थी। अब कार्रवाई पर 10 अगस्त तक रोक लगा दी गई है।

दरअसल मामला महासमुन्द जिले के बागबहरा का है। वहां पर छोटे- बड़े झाड़ के जंगल में वर्षों से रह रहे ग्रामीणों को तहसीलदार ने बेदखली का वारंट जारी किया था। घबराए ग्रामीणों ने गुरुवार की रात 8 बजे हाईकोर्ट में अर्जी लगाई। याचिकाकर्ता के वकील ने रजिस्ट्री के माध्यम से अर्जेंट सुनवाई का हवाला देते अनुरोध किया था। मामले की गंभीरता के मद्देनजर जस्टिस पी. सेम कोशी ने रात तकरीबन 11 बजे सुनवाई करते हुए कार्रवाई पर रोक लगाते हुए फरियादी ग्रामीणों को बड़ी राहत दी है।

महासमुंद जिले के बागबहरा के ग्राम लालपुर पटवारी हल्का नंबर 22 बड़े झाड़ के जंगल में आजादी के पहले से रह रहे रह रहे ग्रामीणों के खिलाफ तहसीलदार द्वारा बेदखली की कार्रवाई करने का नोटिस जारी किया था। नोटिस मिलने के बाद याचिकाकर्ता फूलदास कोसरिया और योगेश ने हाईकोर्ट के वकील वकार नैयर से देर शाम संपर्क किया। याचिकाकर्ता के वकील ने वकील ने रजिस्ट्री के माध्यम से अर्जेंट सुनवाई किए जाने का हाईकोर्ट से अनुरोध किया था। जिस पर हाईकोर्ट से अनुमति मिलने के बाद वकील ने रात 10 बजे ग्रामीणों की याचिका दाखिल की।

मामले की गंभीरता को देखते हुए जस्टिस पी सेमकोशी ने रात 10ः50 बजे सुनवाई शुरू की जो कि लगभग 11 बजे तक जारी रही। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ग्रामीणों को अंतरिम राहत देते हुए बेदखली की कार्रवाई पर 10 अगस्त तक रोक लगा दी है।

याचिकाकर्ता के वकील वकार नैयर ने बताया कि ग्रामीण आजादी के पहले से उस भूमि पर काबिज थे और 1982 से अभी तक वे लगातार टैक्स भी पटा रहे हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ नगरीय क्षेत्रों भूस्वामि विधेयक 1984 के अनुसार 2002 से पहले जमीन पर काबिज हैं, उन्हें डीम्ड पट्टेदार माना जाएगा। मतलब कि वो पट्टेदार हैं और वे पट्टे के लिए आवेदन करते हैं तो राज्य शासन को उन्हें पट्टा दिया जाना है, जो कि भूमिहीन हैं। अगर उनकी भूमि किसी शासकीय प्रयोजन के लिए ली जा रही है तो उन्हें उसके बदले पुनर्वास योजना के तहत उन्हें किसी नई जगह भूमि दिया जाएगा या फिर उन्हें मुआवजा दिया जाएगा।

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